जयपुर: प्रदेश के नए ब्यूरोक्रेसी के मुखिया को लेकर पिछले एक सप्ताह से अटकलों का बाजार गरम था. एक तरफ जहां सरकार निवर्तमान मुख्य सचिव राजीव स्वरूप के कार्यकाल को 3 महीने आगे बढ़वाने की जुगत में लगी थी. इसके लिए पार्टी की तरफ से केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा गया था. लेकिन केंद्र सरकार ने राजीव स्वरूप के कार्यकाल को बढ़ाने से इनकार कर दिया. ऐसे में सीएम गहलोत ने अपने सबसे करीबी ऑफिसर निरंजन कुमार आर्य को मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त कर दिया. जो वित्त विभाग का जिम्मा संभाल रहे थे.
निरंजन कुमार आर्य और गहलोत सरकार की नजदीकियों का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि आर्य को मुख्य सचिव बनाने के लिए सरकार ने 10 वरिष्ठ अधिकारियों को नजरअंदाज किया है. सीनियोरिटी के लिहाज से 11 पायदान पर आने वाले वाले निरंजन आर्य की पत्नी संगीता आर्य को भी हाल ही में RPSC का सदस्य बनाया गया है.
निरंजन कुमार आर्य पाली जिले के रहने वाले हैं. गहलोत सरकार के पिछले कार्यकाल में सचिव रहते हुए निरंजन आर्य अपनी पत्नी संगीता आर्य को पाली जिले की सोजत विधानसभा सीट से कांग्रेस का टिकट दिलवाने में कामयाब भी रहे थे. हालांकि किस्मत ने उनका साथ नहीं दिया और वे चुनाव हार गईं. जिसके बाद सीएम गहलोत ने उन्हें RPSC का सचिव नियुक्त कर दिया.
निरंजन कुमार आर्य और सीएम अशोक गहलोत की नजदीकियों को लेकर ब्यूरोक्रेसी में लगातार चर्चाएं होती रही हैं. निवर्तमान मुख्य सचिव राजीव स्वरूप का जब एक्सटेंशन मंजूर होने पर सस्पेंस बना हुआ था, तब भी इस बात को लेकर चर्चाएं जोरों पर थी कि आर्य को ब्यूरोक्रेसी की कमान सौंपी जा सकती है.
हालांकि इस इस बीच कुछ जानकर यह भी कह रहे थे कि निरंजन आर्य को मुख्य सचिव बनाने के लिए गहलोत सरकार को 10 आईएएस अधिकारियों की वरिष्ठता को नजरअंदाज करना पड़ेगा. CM गहलोत नहीं चाहते थे कि उनके ऊपर किसी तरह का आरोप लगाया जाए.
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ऐसे में गहलोत ने आर्य की पत्नी जो पूर्व में कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ चुकी हैं, उन्हें आरपीएससी का सदस्य बना दिया. इसके बाद मौके मिलते ही निरंजन आर्य सीएम गहलोत के पास अपना विश्वास बनाए रखने में कामयाब हुए और उन्हें मुख्यसचिव बना दिया गया. हालांकि इस बीच सरकार कई आईएएस अफसरों को सचिवालय से बाहर करना पड़ा.
वरिष्ठ अधिकारियों को किया जाता है सचिवालय से बाहर
जब भी कभी किसी आईएएस अधिकारी को मुख्यसचिव पद पर लगाया जाता है, तो उससे वरिष्ठता वाले अधिकारी को सचिवालय में किसी भी तरह के विभाग की जिम्मेदारी नहीं देकर सचिवालय से बाहर भेज दिया जाता है. जहां मुख्यसचिव का अधिकार क्षेत्र नहीं हो और सीधी रिपोर्टिंग मुख्यमंत्री या पीएमओ से हो. कहा जाता कि अगर ऐसा नहीं किया जाए तो ब्यूरोक्रेसी में वरिष्ठता के लिहाज से अधिकारियों के सम्मान का हनन होता है.
यह दस अधकारी हैं आर्य से वरिष्ठ
ऐसा नहीं है प्रदेश में किसी अधिकारी की वरिष्ठता को नजरअंदाज करते हुए पहली बार मुख्य सचिव बनाया गया हो. इससे पहले भी इसी तरह से सरकार अपनी पसंद के अफसर को मुख्यसचिव बनाती रही है. इस बार भी ऐसा ही हुआ है.
निवर्तमान मुख्य सचिव राजीव स्वरूप के बाद वरिष्ठता के आधार पर 1985 बैच में रविशंकर श्रीवास्तव, गिरिराज सिंह, उषा शर्मा का पद ज्यादा बड़ा है. इसी तरह से 1987 बैच में नीलकमल दरबारी, वीनू गुप्ता, 1988 बैच में सुबोध अग्रवाल, पीके गोयल, 1989 बैच में वी श्रीनिवास, शुभ्रा सिंह, राजेश्वर सिंह और इन सब के बाद निरंजन कुमार आर्य का नाम आता है.
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हालांकि उषा शर्मा, नीलकमल दरबारी, शुभ्रा सिंह, वी श्रीनिवास दिल्ली में नियुक्त हैं. वहीं रविशंकर श्रीवास्त चेयरमैन ट्रीब्यूनल बोर्ड, गिरिराज सिंह चेयरमैन टैक्स बोर्ड अजमेर, पीके गोयल चेयरमैन एण्ड मैनेजिंग डायरेक्टर राजस्थान वेयर हाउस कॉरपोरेशन जयपुर में पहले ही सचिवालय से बाहर हैं.