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कोरोना संकटकाल में नई तकनीक और प्रोटोकॉल को डिजाइन कर नवजात की सफल हार्ट सर्जरी - Artial Switch Operation

जयपुर के एक निजी हॉस्पिटल में चिकित्सकों की टीम ने आर्टियल स्विच नामक हार्ट का सफल ऑपरेशन किया है. नई तकनीक के समायोजन से किया जाने वाला संभवतया ये देश का पहला ऐसा ऑपरेशन है. जिसके लिए पूर्व में किसी तरह की कोई भी गाइडलाइन जारी नहीं की गई है.

हार्ट का आर्टियल स्विच ऑपरेशन,Artial switch heart operation of Heart
हार्ट का आर्टियल स्विच ऑपरेशन
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Published : May 3, 2020, 11:37 AM IST

जयपुर. आवश्यकता आविष्कार की जननी है, ऐसा एक बार फिर सिद्ध हुआ है. कोरोना की विषम परिस्थितियों में नई तकनीक और प्रोटोकॉल डिजाइन कर नवजात शिशु की सफल सर्जरी के बाद डॉ. सुनील कौशल ने 15 दिन के बच्चे की दुर्लभ सफल आर्टियल स्विच सर्जरी की.

स्पेस सूट, ओटी सूट, ओटी का प्रेशर पॉजिटिव से न्यूट्रल कर नई तकनीक के समायोजन से किया जाने वाला संभवतया ये देश का पहला ऐसा ऑपरेशन है. अगर देखे तो पूरे विश्वभर में इस दुर्लभ सर्जरी के बारे में किसी भी प्रकार का कोई उल्लेख उपलब्ध नहीं है, कि किस सावधानी और तकनीकों से इस ऑपरेशन को किया जाना चाहिए.

हार्ट का आर्टियल स्विच ऑपरेशन,Artial switch heart operation of Heart
चिकित्सकों की टीम

लगभग 30 प्रतिशत मरीजों का कोरोना नेगेटिव टेस्ट भी पॉजिटिव हो सकता है. इस कारण ऑपरेशन बहुत सावधानी से मरीज को कोरोना पॉजिटिव मानकर करना पड़ता है. कई मामलों में मरीज का कोरोना टेस्ट नेगेटिव निकलने के बाद भी मरीज पॉजिटिव निकलकर सामने आये हैं.

पढ़ें- Special Report: सूडान में फंसा ओसियां का व्यापारी, वतन वापसी की लगा रहा गुहार

जयपुर के एक निजी हॉस्पिटल के डॉ. सुनील कौशल की टीम ने नये अविष्कार स्थापित कर चिकित्सा जगत में नए आयाम स्थापित किया है. डॉ. सुनील ने बताया कि, नवजात को हार्ट की दुर्लभ जन्मजात बीमारी थी. जिसे ट्रांसपोजिशन ऑफग्रेट आर्टरी कहा जाता है और इसका एक मात्र इलाज आर्टियल स्विच नामक हार्ट का ऑपरेशन ही है. यह ऑपरेशन बच्चे के जन्म के कुछ दिनों में ही किया जाता है. इस समय बच्चे का हार्ट हाथ के अंगूठे के बराबर होता है इस कारण बहुत सावधानी से सर्जरी को सफल अंजाम देना काफी चुनौतीपूर्ण है.

साथ ही ऑपरेशन PPE किट पहनकर करना अपने आप में बहुत ही मुश्किल है. क्योंकि PPE किट में सारा शरीर, हाथ-पांव सभी पूर्ण रूप से ढके हुए रहते हैं और इतने छोटे हार्ट में इस तरह ऑपरेशन करना बहुत मुश्किल होता है. डॉ. कौशल ने बताया कि ऑपरेशन करना बहुत ही जरूरी है. क्योंकि नहीं करने की स्थिति में बच्चे की जान जाना भी कुछ दिनों में निश्चित है.

पढ़ें- मजदूरों की 'घर' वापसी के लिए सरकार ने चलाई स्पेशल ट्रेन, देखें रिपोर्ट

उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में इसको करने की विश्व में कोई निर्धारित गाइडलाइन नहीं है. इसके लिए हमने कई सारे विशेषज्ञों से बातचीत की लेकिन कोई भी इसका बेहतर जवाब नहीं दे पाया. ऐसे में हमने हमारी एक नई तकनीक बनाई, जो कि पूर्ण रूप से सफल रही. इसके तहत बच्चे के जन्म से पूर्व ही उसकी मां का कोरोना टेस्ट करवाना शुरू कर दिया.

क्योंकि मां को खांसी और बुखार की शिकायत थी और गर्भ के दौरान यह संक्रमण बच्चे में फैलने का डर था. जन्म के बाद हमने बच्चे का भी सभी स्तरों का कोरोना टेस्ट करवाया, जो कि नेगेटिव था. उसके बाद नई तकनीक से सर्जरी कर बच्चे को नई जिंदगी दी गई. अब बच्चा और उसकी मां के साथ-साथ ऑपरेशन करने वाली टीम भी सकुशल है.

जयपुर. आवश्यकता आविष्कार की जननी है, ऐसा एक बार फिर सिद्ध हुआ है. कोरोना की विषम परिस्थितियों में नई तकनीक और प्रोटोकॉल डिजाइन कर नवजात शिशु की सफल सर्जरी के बाद डॉ. सुनील कौशल ने 15 दिन के बच्चे की दुर्लभ सफल आर्टियल स्विच सर्जरी की.

स्पेस सूट, ओटी सूट, ओटी का प्रेशर पॉजिटिव से न्यूट्रल कर नई तकनीक के समायोजन से किया जाने वाला संभवतया ये देश का पहला ऐसा ऑपरेशन है. अगर देखे तो पूरे विश्वभर में इस दुर्लभ सर्जरी के बारे में किसी भी प्रकार का कोई उल्लेख उपलब्ध नहीं है, कि किस सावधानी और तकनीकों से इस ऑपरेशन को किया जाना चाहिए.

हार्ट का आर्टियल स्विच ऑपरेशन,Artial switch heart operation of Heart
चिकित्सकों की टीम

लगभग 30 प्रतिशत मरीजों का कोरोना नेगेटिव टेस्ट भी पॉजिटिव हो सकता है. इस कारण ऑपरेशन बहुत सावधानी से मरीज को कोरोना पॉजिटिव मानकर करना पड़ता है. कई मामलों में मरीज का कोरोना टेस्ट नेगेटिव निकलने के बाद भी मरीज पॉजिटिव निकलकर सामने आये हैं.

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जयपुर के एक निजी हॉस्पिटल के डॉ. सुनील कौशल की टीम ने नये अविष्कार स्थापित कर चिकित्सा जगत में नए आयाम स्थापित किया है. डॉ. सुनील ने बताया कि, नवजात को हार्ट की दुर्लभ जन्मजात बीमारी थी. जिसे ट्रांसपोजिशन ऑफग्रेट आर्टरी कहा जाता है और इसका एक मात्र इलाज आर्टियल स्विच नामक हार्ट का ऑपरेशन ही है. यह ऑपरेशन बच्चे के जन्म के कुछ दिनों में ही किया जाता है. इस समय बच्चे का हार्ट हाथ के अंगूठे के बराबर होता है इस कारण बहुत सावधानी से सर्जरी को सफल अंजाम देना काफी चुनौतीपूर्ण है.

साथ ही ऑपरेशन PPE किट पहनकर करना अपने आप में बहुत ही मुश्किल है. क्योंकि PPE किट में सारा शरीर, हाथ-पांव सभी पूर्ण रूप से ढके हुए रहते हैं और इतने छोटे हार्ट में इस तरह ऑपरेशन करना बहुत मुश्किल होता है. डॉ. कौशल ने बताया कि ऑपरेशन करना बहुत ही जरूरी है. क्योंकि नहीं करने की स्थिति में बच्चे की जान जाना भी कुछ दिनों में निश्चित है.

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उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में इसको करने की विश्व में कोई निर्धारित गाइडलाइन नहीं है. इसके लिए हमने कई सारे विशेषज्ञों से बातचीत की लेकिन कोई भी इसका बेहतर जवाब नहीं दे पाया. ऐसे में हमने हमारी एक नई तकनीक बनाई, जो कि पूर्ण रूप से सफल रही. इसके तहत बच्चे के जन्म से पूर्व ही उसकी मां का कोरोना टेस्ट करवाना शुरू कर दिया.

क्योंकि मां को खांसी और बुखार की शिकायत थी और गर्भ के दौरान यह संक्रमण बच्चे में फैलने का डर था. जन्म के बाद हमने बच्चे का भी सभी स्तरों का कोरोना टेस्ट करवाया, जो कि नेगेटिव था. उसके बाद नई तकनीक से सर्जरी कर बच्चे को नई जिंदगी दी गई. अब बच्चा और उसकी मां के साथ-साथ ऑपरेशन करने वाली टीम भी सकुशल है.

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