जयपुर. भारत में हर साल 24 जनवरी को राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है. लड़कियों के प्रति होने वाले भेदभाव को दूर करने और परिवार-समाज में जागरूकता फैलाने के लिए ये दिवस मनाया जाता है. सरकार इस दिन लड़कियों की सुरक्षा, शिक्षा, लिंगानुपात, स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन करती है. ताकि लोगों की मानसिकता में बदलाव लाया जा सके. तमाम कवायदों के बीच जयपुर नगर निगम भी बालक और बालिका के बीच की खाई को पूरी तरह से खत्म करने के लिए ना केवल जागरुकता फैलाने का काम कर रहा है. बल्कि हर दंपति से इसके लिए संकल्प पत्र भी भरवा रहा है.
राजस्थान में जयपुर नगर निगम एकमात्र ऐसा नगरीय निकाय है जहां पर विवाह पंजीयन के दौरान वर-वधू से बेटे और बेटी में भेदभाव नहीं करने और समान व्यवहार करने का संकल्प पत्र बनाया जाता है. जयपुर नगर निगम की ये पहल समाज को नई दिशा देने वाली है.
नगर निगम प्रशासन 2006 के बाद बनने वाले विवाह पंजीयन प्रमाण पत्र के साथ वर और वधु से एक संकल्प पत्र भी भराता है. जिसमें दोनों संयुक्त रूप से संकल्प लेते हैं कि कभी भी दांपत्य जीवन में भ्रूण के लिंग परीक्षण नहीं करेंगे और ना ही कभी ऐसे अमानवीय कृत्य में किसी का सहयोग करेंगे.पढ़ें- राजस्थान विधानसभा की कार्यवाही, कल इन दो प्रस्तावों पर रहेगी सबकी नजर
बेटी का जन्म होने पर बेटे के समान ही पालन-पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा पर समान व्यवहार करेंगे. साथ ही बेटा-बेटी में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करने का संकल्प पत्र भराया जाता है. इस संबंध मे नगर निगम के विवाह पंजीयन रजिस्ट्रार प्रदीप पारीक ने बताया कि संकल्प पत्र में वर और वधु के हस्ताक्षर के साथ भ्रूण लिंग परीक्षण और बेटा बेटी में भेदभाव नहीं करने का संकल्प दिलाया जाता है. वहीं विवाह पंजीयन कराने वाले दंपत्ति भी नगर निगम की इस पहल की सराहना करते हैं.
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लोगों ने बताया कि आए दिन भ्रूण हत्या और नवजात बच्चियों को झाड़ियों में फेंकने की खबरें सामने आती हैं. इस तरह के संकल्प पत्र से दंपत्तियों में जागरूकता आएगी. वाकई, जयपुर नगर निगम का ये एक सराहनीय प्रयास है. इससे लैंगिक अनुपात में आ रही असमानता दूर होगी और लोग भी जागरूक होंगे.