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नेपाल ने भारतीय भूमि से उखाड़ लिया अपना तंबू

नेपाल सशस्त्र बल के जवानों ने अपने कैंप को पीछे हटा लिया है. एसएसबी और नेपाल अधिकारियों के साथ हुई बातचीत में ये फैसला लिया गया.

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भारत-नेपाल सीमा की तस्वीर
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Published : Jun 28, 2020, 5:24 PM IST

मोतिहारी: नेपाल ने रक्सौल के पनटोका इलाके में बनाए गए भारतीय जमीन पर अपने अस्थायी कैंप को हटा लिया है. तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि नेपाल सशस्त्र बल के जवान अपने कैंप को लेकर पीछे हट रहे हैं.

नेपाल ने भारतीय भूमि से उखाड़ लिया अपना तंबू

कैंप हटाने के दौरान कुछ स्थानीय लोग भी मौजूद हैं. वे जवानों को कैंप हटाने में मदद कर रहे हैं. तस्वीरों के मुताबिक नेपाल की ओर से फूस की झोपड़ी बनाई गई थी. बांस के जरिए जमीन से इसे लगाया गया था. एसएसबी और नेपाल अधिकारियों के साथ हुई बातचीत ये फैसला लिया गया.

पढ़ें- Special : सीरिया का ये 'विशेष' खजूर अब जोधपुर में मिलेगा, इम्यूनिटी बढ़ाने में भी है मददगार

नेपाली सशस्त्र सेना ने लगाया था कैंप

दरअसल, हाल के दिनों में भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ी नाराजगी के बाद से नेपाल के सीमा प्रहरी और नेपाल के लोगों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है. लॉकडाउन के बाद नेपाली सशस्त्र सेना ने सरिसवा नदी के दूसरी तरफ भारतीय जमीन पर टेंट लगाकर अपना पोस्ट बना लिया था. जिसे अब हटा लिया गया है. रक्सौल के भारतीय भू-भाग में कब्जा जमाए नेपाल के पुलिसकर्मी पीछे लौट गए हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नेपाल के सुरक्षाकर्मी 100 मीटर पीछे चले गए हैं.

सरिसवा नदी करती है भारतीय सीमा में प्रवेश

बता दें कि सरिसवा नदी नेपाल से निकल कर रक्सौल के पनटोका के पास पिलर संख्या 393 के पास भारतीय सीमा में प्रवेश करती है. जो एक पहाड़ी नदी है. ये नदी हर साल भारतीय भू-भाग में कटाव की दिशा बदलती रहती है. नदी की धारा को नेपाल प्रशासन दोनों देशों की सीमा बताते हुए भारतीय जमीन पर कब्जा जमाए बैठा है. नदी की धारा बदलने के साथ नेपाल जबरन अपनी सीमा बदल रहा है. नेपाल के लोगों ने भारतीय परिक्षेत्र के लगभग पचास लोगों की जमीन पर अपना कब्जा कर लिया है.

कई सालों से होता आ रहा है कब्जा

नेपाल की हिमाकत से स्थानीय लोगों में आक्रोश देखा गया. नेपाली सशस्त्र पुलिस और नेपाल जनता का भारतीय भूमि पर कब्जे का यह खेल कई सालों से चल रहा है. भारतीय परिक्षेत्र के लोग जब नदी पार करके अपनी जमीन पर जाते हैं, तो उनके साथ नेपाल सीमा प्रहरी और नेपाल के लोग मारपीट करते हैं. स्थानीय पनटोका के ग्रामीण और नेपाल के सिरिसिया गांव के लोगों के बीच अक्सर जमीन को लेकर झगड़ा होता रहता है. लेकिन भारतीय अधिकारी इसकी सुध नहीं लेते हैं. हालांकि पंचायती के बाद मामले का निदान निकलता है.

पढ़ें- ग्रामीणों की कोरोना से जंग: केरू ग्राम पंचायत में अब तक 3500 से ज्यादा ग्रामीणों का हो चुका कोरोना टेस्ट, देखिए

नेपाल-भारत का रिश्ता

बहरहाल नेपाल-भारत के बीच चल रहा ये तनाव अभी कम होता नहीं दिख रहा. नेपाल सीमा से सटे इलाके लोग काफी डर हुए हैं. उनका कहना है कि नेपाल का ऐसा रवैया उन्होंने कभी नहीं देखा है. आए दिन नेपाल सरकार और प्रशासन किसी ना किसी मामले को लेकर भारत में अड़चन पैदा कर रहा है. हालांकि भारतीय अधिकारी नेपाल से लगातार बातचीत करके मामले को सुलझाने में लगे हैं. लेकिन अभी भी पूर्वी चंपारण जिले के लालबकेया नदी के बलुआ गुआबारी तटबंध के निर्माण पर नेपाल ने रोक लगा रखी है. जिससे इस इलाके के लोगों को बरसात में बाढ़ का खतरा सता रहा है.

मोतिहारी: नेपाल ने रक्सौल के पनटोका इलाके में बनाए गए भारतीय जमीन पर अपने अस्थायी कैंप को हटा लिया है. तस्वीरों में साफ दिख रहा है कि नेपाल सशस्त्र बल के जवान अपने कैंप को लेकर पीछे हट रहे हैं.

नेपाल ने भारतीय भूमि से उखाड़ लिया अपना तंबू

कैंप हटाने के दौरान कुछ स्थानीय लोग भी मौजूद हैं. वे जवानों को कैंप हटाने में मदद कर रहे हैं. तस्वीरों के मुताबिक नेपाल की ओर से फूस की झोपड़ी बनाई गई थी. बांस के जरिए जमीन से इसे लगाया गया था. एसएसबी और नेपाल अधिकारियों के साथ हुई बातचीत ये फैसला लिया गया.

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नेपाली सशस्त्र सेना ने लगाया था कैंप

दरअसल, हाल के दिनों में भारत-नेपाल सीमा पर बढ़ी नाराजगी के बाद से नेपाल के सीमा प्रहरी और नेपाल के लोगों के व्यवहार में काफी बदलाव आया है. लॉकडाउन के बाद नेपाली सशस्त्र सेना ने सरिसवा नदी के दूसरी तरफ भारतीय जमीन पर टेंट लगाकर अपना पोस्ट बना लिया था. जिसे अब हटा लिया गया है. रक्सौल के भारतीय भू-भाग में कब्जा जमाए नेपाल के पुलिसकर्मी पीछे लौट गए हैं. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक नेपाल के सुरक्षाकर्मी 100 मीटर पीछे चले गए हैं.

सरिसवा नदी करती है भारतीय सीमा में प्रवेश

बता दें कि सरिसवा नदी नेपाल से निकल कर रक्सौल के पनटोका के पास पिलर संख्या 393 के पास भारतीय सीमा में प्रवेश करती है. जो एक पहाड़ी नदी है. ये नदी हर साल भारतीय भू-भाग में कटाव की दिशा बदलती रहती है. नदी की धारा को नेपाल प्रशासन दोनों देशों की सीमा बताते हुए भारतीय जमीन पर कब्जा जमाए बैठा है. नदी की धारा बदलने के साथ नेपाल जबरन अपनी सीमा बदल रहा है. नेपाल के लोगों ने भारतीय परिक्षेत्र के लगभग पचास लोगों की जमीन पर अपना कब्जा कर लिया है.

कई सालों से होता आ रहा है कब्जा

नेपाल की हिमाकत से स्थानीय लोगों में आक्रोश देखा गया. नेपाली सशस्त्र पुलिस और नेपाल जनता का भारतीय भूमि पर कब्जे का यह खेल कई सालों से चल रहा है. भारतीय परिक्षेत्र के लोग जब नदी पार करके अपनी जमीन पर जाते हैं, तो उनके साथ नेपाल सीमा प्रहरी और नेपाल के लोग मारपीट करते हैं. स्थानीय पनटोका के ग्रामीण और नेपाल के सिरिसिया गांव के लोगों के बीच अक्सर जमीन को लेकर झगड़ा होता रहता है. लेकिन भारतीय अधिकारी इसकी सुध नहीं लेते हैं. हालांकि पंचायती के बाद मामले का निदान निकलता है.

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नेपाल-भारत का रिश्ता

बहरहाल नेपाल-भारत के बीच चल रहा ये तनाव अभी कम होता नहीं दिख रहा. नेपाल सीमा से सटे इलाके लोग काफी डर हुए हैं. उनका कहना है कि नेपाल का ऐसा रवैया उन्होंने कभी नहीं देखा है. आए दिन नेपाल सरकार और प्रशासन किसी ना किसी मामले को लेकर भारत में अड़चन पैदा कर रहा है. हालांकि भारतीय अधिकारी नेपाल से लगातार बातचीत करके मामले को सुलझाने में लगे हैं. लेकिन अभी भी पूर्वी चंपारण जिले के लालबकेया नदी के बलुआ गुआबारी तटबंध के निर्माण पर नेपाल ने रोक लगा रखी है. जिससे इस इलाके के लोगों को बरसात में बाढ़ का खतरा सता रहा है.

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