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NCRB के आंकड़ों ने आधी आबादी की चिंता बढ़ाई...महिलाएं बोलीं-हमें घर से निकलने में डर लगता है, सुरक्षित माहौल चाहिए - women safety law

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ओर से 2020 को लेकर जारी आंकड़ों ने राजस्थान का सिर पूरे देश में झुका दिया है. राजस्थान दुष्कर्म के मामले में पहले पायदान पर आ गया है. राजस्थान में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर खड़े हो रहे सवालों के बीच ईटीवी भारत ने जानी आधी आबादी की राय..

NCRB के आंकड़ों पर महिलाएं चिंतित
NCRB के आंकड़ों पर महिलाएं चिंतित
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Published : Sep 15, 2021, 11:02 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 9:22 AM IST

जयपुर. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों ने एक बार फिर प्रदेश की आधी आबादी को चिंता में डाल दिया है. राजस्थान में बेटियां अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगी हैं. एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकडों ने राजस्थान को देशभर में शर्मसार किया है. दुष्कर्म के मामले में राजस्थान देशभर में पहले स्थान पर इस रिपोर्ट में आया है. एनसीआरबी के आंकड़े जारी होने के बाद ईटीवी भारत ने आधी आबादी का रिएक्शन जाना.

NCRB के आंकड़ों ने आधी आबादी की चिंता बढ़ाई

इस दौरान महिलाओं ने साफ कहा कि उन्हें घर से बाहर निकलने में डर लगता है , उन्हें सुरक्षा का माहौल चाहिए. आधी आबादी की चिंता इसलिए ज्यादा है क्योंकि राजस्थान में हर दिन 14 से ज्यादा रेप की घटनाएं हो रही हैं. राजस्थान दुष्कर्म की घटनाओं में पहले पायदान पर आ गया है.

दलित महिलाओं के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता सुमन देवटिया कहती हैं कि एनसीआरबी के ताजा आंकड़े चिंताजनक हैं. राजस्थान पहले पायदान पर आया है. इससे यह समझ में आता है कि राजस्थान में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. इस रिपोर्ट के आधार पर यह सामने आ गया है कि हर दिन 14 से ज्यादा रेप की घटनाएं हो रही है और अपराध को छुपाने के लिए पुलिस कह रही है कि हम मुकदमे दर्ज कर रहे हैं, इसलिए आंकड़े बढ़ रहे हैं.

पढ़ें- NCRB Report: दुष्कर्म मामले में राजस्थान देश भर में शर्मसार...2020 में दर्ज हुए 5,310 केस

लेकिन मैं यह कहना चाहूंगी कि आज भी महिलाएं ऐसी हैं जो थाने तक अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने नहीं पहुंच पा रही हैं. सुमन ने कहा कि पुलिस की कार्यशैली हमेशा से ही सवालों में रही है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि ग्राम पंचायत स्तर पर जिस तरीके से उन मामलों को दबाया जाता है और पुलिस उस में सहयोग करती है. ऐसे कई मामले हमारे पास आते हैं. खाप पंचायतों में फैसले होते हैं और महिलाओं को न्याय नहीं मिल पाता. सुमन ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहि का महिलाओं को न्याय दिलाने में पुलिस का सहयोग ना के बराबर है. उन्होंने राजस्थान सरकार से अपील की कि महिलाओं के हक में बने कानून की ठीक ढंग से पालना होनी चाहिए. जिससे उन्हें न्याय मिल सके.

सुमन ने कहा कि पुलिस और न्याय से जुड़े लोगों को निष्पक्ष रूप से काम करने की जरूरत है. क्योंकि कई बार देखा जाता है कि दबाव में मामले को दबाया जाता है और महिलाएं न्याय के लिए भटकती रहती हैं. न्याय के स्तर को देखेंगे तो दलित और गरीब महिलाओं को न्याय नहीं मिलता है. उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. वहीं फोर्टी महिला विंग की वॉइस प्रेसिडेंट ललिता कुच्चल कहती हैं कि एनसीआरबी के आंकड़ों ने और ज्यादा डरा दिया है. जिस तरीके से राजस्थान जहां महिलाओं का हमेशा से ही सम्मान होता रहा है. वहीं आज महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. घर से बाहर निकलने से डर लगने लगता है.

पढ़ें- दुष्कर्म के भयावह आंकड़े : केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह का ट्वीट'वार'..2020 में राजस्थान में रेप के 5310 मामले, निकम्मी सरकार अव्वल

उन्होंने कहा कि हम पहले और दूसरे नंबर पर पिछले कई सालों से बने हुए हैं जो चिंता का विषय है. सरकार किसी की भी लेकिन जिस तरह से महिलाओं के साथ रेप के आंकड़े सामने आ रहे हैं वह डराने वाले हैं. उन्होंने कहा कि सरकार और पुलिस कहती है कि मामले दर्ज हो रहे हैं इसलिए आंकड़े ज्यादा दिखाई दे रहे हैं. महिला किसी दबाव के बेगैर थाने में मुकदमा दर्ज करा सकती है. उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि दर्ज केसों पर कितनी कार्रवाई हो रही है.

क्या आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई है. जिससे कि एक उदाहरण पेश किया जा सके. जिस तरीके से न्याय मिलने में देरी होती है ये चिंता की बात है. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस मामले को इस तरह से अटकाती है कि आरोपी बचकर निकलने का रास्ता तलाश लेता है. पीड़ित पक्ष को समझौता करने के लिए मजबूर कर देते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इस बात को समझे कि हम आज 21वीं सदी में हैं , लेकिन घर से बाहर निकलने में महिलाओं को बेटियों को डर लगता है . परिवार वालों को इस बात का डर रहता है कि बेटी घर से बाहर निकल रही है तो कहीं उसके साथ कोई अनहोनी ना हो जाए.

यह जो डर का माहौल है वह नहीं होना चाहिए. इसी प्रकार मिसेज इंडिया 2019 रही श्वेता मेहता मोदी ने भी एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि हम सुरक्षित नही हैं. श्वेता ने कहा कि राजस्थान का अपना एक इतिहास रहा है , यहां पर महिलाओं को जिस तरह का सम्मान किया जाता रहा है. उसके बारे में हमेशा चर्चा होती रही है , लेकिन अब जिस तरह से महिलाओं के साथ दुष्कर्म जैसी घटनाएं हो रही हैं वह बेहद चिंताजनक हैं.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी राजस्थान की छवि धूमिल हो रही है. उन्होंने कहा कि पिछले सालों के आंकड़े देखें तो यह आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं और डरा रहे हैं. मुझे लगता है कि सरकार को चाहिए कि वह सख्त कार्रवाई करे. जिससे आरोपियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके. जब तक कठोर कदम नहीं उठाए जाएंगे तब तक ये आंकड़े कम नहीं होंगे.

जयपुर. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के ताजा आंकड़ों ने एक बार फिर प्रदेश की आधी आबादी को चिंता में डाल दिया है. राजस्थान में बेटियां अपने आप को असुरक्षित महसूस करने लगी हैं. एनसीआरबी (नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो) के आंकडों ने राजस्थान को देशभर में शर्मसार किया है. दुष्कर्म के मामले में राजस्थान देशभर में पहले स्थान पर इस रिपोर्ट में आया है. एनसीआरबी के आंकड़े जारी होने के बाद ईटीवी भारत ने आधी आबादी का रिएक्शन जाना.

NCRB के आंकड़ों ने आधी आबादी की चिंता बढ़ाई

इस दौरान महिलाओं ने साफ कहा कि उन्हें घर से बाहर निकलने में डर लगता है , उन्हें सुरक्षा का माहौल चाहिए. आधी आबादी की चिंता इसलिए ज्यादा है क्योंकि राजस्थान में हर दिन 14 से ज्यादा रेप की घटनाएं हो रही हैं. राजस्थान दुष्कर्म की घटनाओं में पहले पायदान पर आ गया है.

दलित महिलाओं के लिए काम करने वाली सामाजिक कार्यकर्ता सुमन देवटिया कहती हैं कि एनसीआरबी के ताजा आंकड़े चिंताजनक हैं. राजस्थान पहले पायदान पर आया है. इससे यह समझ में आता है कि राजस्थान में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. इस रिपोर्ट के आधार पर यह सामने आ गया है कि हर दिन 14 से ज्यादा रेप की घटनाएं हो रही है और अपराध को छुपाने के लिए पुलिस कह रही है कि हम मुकदमे दर्ज कर रहे हैं, इसलिए आंकड़े बढ़ रहे हैं.

पढ़ें- NCRB Report: दुष्कर्म मामले में राजस्थान देश भर में शर्मसार...2020 में दर्ज हुए 5,310 केस

लेकिन मैं यह कहना चाहूंगी कि आज भी महिलाएं ऐसी हैं जो थाने तक अपनी रिपोर्ट दर्ज कराने नहीं पहुंच पा रही हैं. सुमन ने कहा कि पुलिस की कार्यशैली हमेशा से ही सवालों में रही है. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि ग्राम पंचायत स्तर पर जिस तरीके से उन मामलों को दबाया जाता है और पुलिस उस में सहयोग करती है. ऐसे कई मामले हमारे पास आते हैं. खाप पंचायतों में फैसले होते हैं और महिलाओं को न्याय नहीं मिल पाता. सुमन ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहि का महिलाओं को न्याय दिलाने में पुलिस का सहयोग ना के बराबर है. उन्होंने राजस्थान सरकार से अपील की कि महिलाओं के हक में बने कानून की ठीक ढंग से पालना होनी चाहिए. जिससे उन्हें न्याय मिल सके.

सुमन ने कहा कि पुलिस और न्याय से जुड़े लोगों को निष्पक्ष रूप से काम करने की जरूरत है. क्योंकि कई बार देखा जाता है कि दबाव में मामले को दबाया जाता है और महिलाएं न्याय के लिए भटकती रहती हैं. न्याय के स्तर को देखेंगे तो दलित और गरीब महिलाओं को न्याय नहीं मिलता है. उनकी सुनवाई नहीं हो रही है. वहीं फोर्टी महिला विंग की वॉइस प्रेसिडेंट ललिता कुच्चल कहती हैं कि एनसीआरबी के आंकड़ों ने और ज्यादा डरा दिया है. जिस तरीके से राजस्थान जहां महिलाओं का हमेशा से ही सम्मान होता रहा है. वहीं आज महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. घर से बाहर निकलने से डर लगने लगता है.

पढ़ें- दुष्कर्म के भयावह आंकड़े : केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह का ट्वीट'वार'..2020 में राजस्थान में रेप के 5310 मामले, निकम्मी सरकार अव्वल

उन्होंने कहा कि हम पहले और दूसरे नंबर पर पिछले कई सालों से बने हुए हैं जो चिंता का विषय है. सरकार किसी की भी लेकिन जिस तरह से महिलाओं के साथ रेप के आंकड़े सामने आ रहे हैं वह डराने वाले हैं. उन्होंने कहा कि सरकार और पुलिस कहती है कि मामले दर्ज हो रहे हैं इसलिए आंकड़े ज्यादा दिखाई दे रहे हैं. महिला किसी दबाव के बेगैर थाने में मुकदमा दर्ज करा सकती है. उन्होंने कहा कि सवाल यह है कि दर्ज केसों पर कितनी कार्रवाई हो रही है.

क्या आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हुई है. जिससे कि एक उदाहरण पेश किया जा सके. जिस तरीके से न्याय मिलने में देरी होती है ये चिंता की बात है. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस मामले को इस तरह से अटकाती है कि आरोपी बचकर निकलने का रास्ता तलाश लेता है. पीड़ित पक्ष को समझौता करने के लिए मजबूर कर देते हैं. उन्होंने कहा कि सरकार इस बात को समझे कि हम आज 21वीं सदी में हैं , लेकिन घर से बाहर निकलने में महिलाओं को बेटियों को डर लगता है . परिवार वालों को इस बात का डर रहता है कि बेटी घर से बाहर निकल रही है तो कहीं उसके साथ कोई अनहोनी ना हो जाए.

यह जो डर का माहौल है वह नहीं होना चाहिए. इसी प्रकार मिसेज इंडिया 2019 रही श्वेता मेहता मोदी ने भी एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों को लेकर चिंता जताई. उन्होंने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि हम सुरक्षित नही हैं. श्वेता ने कहा कि राजस्थान का अपना एक इतिहास रहा है , यहां पर महिलाओं को जिस तरह का सम्मान किया जाता रहा है. उसके बारे में हमेशा चर्चा होती रही है , लेकिन अब जिस तरह से महिलाओं के साथ दुष्कर्म जैसी घटनाएं हो रही हैं वह बेहद चिंताजनक हैं.

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी राजस्थान की छवि धूमिल हो रही है. उन्होंने कहा कि पिछले सालों के आंकड़े देखें तो यह आंकड़े लगातार बढ़ रहे हैं और डरा रहे हैं. मुझे लगता है कि सरकार को चाहिए कि वह सख्त कार्रवाई करे. जिससे आरोपियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके. जब तक कठोर कदम नहीं उठाए जाएंगे तब तक ये आंकड़े कम नहीं होंगे.

Last Updated : Sep 16, 2021, 9:22 AM IST
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