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नवरात्रि 2019: जानें क्या है घटस्थापना मुहूर्त...इस बार चैत्र नवरात्र 9 नहीं 8 दिन की होगी

चैत्र नवरात्रि साल में आने वाले सबसे पहले नवरात्र होते हैं. इस नवरात्र से ही हिंदू नववर्ष का आरंभ माना जाता है. इसके साथ रामायण के अनुसार माना जाता है कि भगवान राम ने चैत्र के महीने में देवी दुर्गा की उपासना कर रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी.

नवरात्रि 2019
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Published : Apr 4, 2019, 11:46 PM IST

जयपुर. चैत्र नवरात्रि साल में आने वाले सबसे पहले नवरात्र होते हैं. इस नवरात्र से ही हिंदू नववर्ष का आरंभ माना जाता है. इसके साथ रामायण के अनुसार माना जाता है कि भगवान राम ने चैत्र के महीने में देवी दुर्गा की उपासना कर रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी.

8 दिवसीय चैत्र नवरात्र का शुभारंभ 6 अप्रैल शनिवार से होकर 13 अप्रैल शनिवार तक यानी साल 2019 की चैत्र नवरात्र 9 दिन की नही कुल 8 दिन की होगी. शनिवार 13 अप्रैल को दुर्गाष्टमी, दुर्गानवमी, एवं रामनवमी भगवान श्रीराम का प्रगटोत्सव एक साथ मनाया जायेगा.

इस बार हिन्दू नव संवत्सर 2076 परिधावी का 6 अप्रैल से मीन लगन में शुभारंभ होगा. संवत्सर के राजा सूर्य पुत्र शनिदेव एवं मंत्री सूर्यदेव रहेगे. 6 अप्रैल शनिवार से 13 अप्रैल शनिवार समापन होगा. नवरात्रि के साथ भगवान झूलेलाल जयंती चैतीचांद, नव संवत्सर, गुड़ीपड़वा नववर्ष ब्रह्मा के द्वारा सृष्टि की रचना भी इसी दिन हुई थी. नवरात्रि में 13 अप्रैल को दुर्गाअष्टमी एवं नवमी राम प्रगटोत्सव एक साथ रहेगी इसलिए इस बार की नवरात्रि 8 दिवस की होगी.

चैत्र नवरात्रि में माता महाकाली, माता महालक्ष्मी, माता महासरस्वती की आराधना करके प्रसन्न किया जाता है ताकि सुख, समृद्धि, धन, धान की वृद्धि हो. मंत्र जप, पूजा, पाठ, हवन, आरती, प्रसाद वितरण, कन्या भोजन के साथ व्रत का समापन किया जाता हैं.

नवरात्र में व्रत के साथ दुर्गा सप्तसती का पाठ, घी की अखण्ड ज्योति पूरे नवरात्रि में जलाने, ज्वारे बोने क्रम, गायत्री महामंत्र का जप एवं मां दुर्गा के इस बीज मंत्र- ऊं ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नम: का जप आदि अनुष्ठान करने सभी मनोकामनाएं पूरी होने के साथ बाधाएं भी दूर हो जाती है. नवरात्रि में कलश, घटस्थापना एवं अखंड ज्योति हेतु सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त.

6 अप्रैल शनिवार 2019

1: चौघडिय़ा के अनुसार:

सुबह 7 बजकर 30 मिनट से सुबह 9 बजे तक

दोपहर 12 बजे से दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक "चर".

दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से दोपहर 3 बजे तक "लाभ".

दोपहर 3 बजे से शाम 4 बजकर 30 मिनट तक "अमृत".

गौधूलि बेला शाम 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक "लाभ".

2:स्थिर लग्न के अनुसार:

वृषभ लग्न- सुबह 7 बजकर 55 मिनट से सुबह 9 बजकर 53 तक

सिंह लग्न- दोपहर 2 बजकर 22 मिनट से शाम 4 बजकर 34 तक.

वृश्चिक लग्न- रात 9 बजे से रात्रि 11 बजकर 16 मिनट तक

बता दें, चैत्र नवरात्रि साल में आने वाले सबसे पहले नवरात्र होते हैं. इस नवरात्र से ही हिंदू नववर्ष का आरंभ माना जाता है. इसके साथ रामायण के अनुसार माना जाता है कि भगवान राम ने चैत्र के महीने में देवी दुर्गा की उपासना कर रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी.

जयपुर. चैत्र नवरात्रि साल में आने वाले सबसे पहले नवरात्र होते हैं. इस नवरात्र से ही हिंदू नववर्ष का आरंभ माना जाता है. इसके साथ रामायण के अनुसार माना जाता है कि भगवान राम ने चैत्र के महीने में देवी दुर्गा की उपासना कर रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी.

8 दिवसीय चैत्र नवरात्र का शुभारंभ 6 अप्रैल शनिवार से होकर 13 अप्रैल शनिवार तक यानी साल 2019 की चैत्र नवरात्र 9 दिन की नही कुल 8 दिन की होगी. शनिवार 13 अप्रैल को दुर्गाष्टमी, दुर्गानवमी, एवं रामनवमी भगवान श्रीराम का प्रगटोत्सव एक साथ मनाया जायेगा.

इस बार हिन्दू नव संवत्सर 2076 परिधावी का 6 अप्रैल से मीन लगन में शुभारंभ होगा. संवत्सर के राजा सूर्य पुत्र शनिदेव एवं मंत्री सूर्यदेव रहेगे. 6 अप्रैल शनिवार से 13 अप्रैल शनिवार समापन होगा. नवरात्रि के साथ भगवान झूलेलाल जयंती चैतीचांद, नव संवत्सर, गुड़ीपड़वा नववर्ष ब्रह्मा के द्वारा सृष्टि की रचना भी इसी दिन हुई थी. नवरात्रि में 13 अप्रैल को दुर्गाअष्टमी एवं नवमी राम प्रगटोत्सव एक साथ रहेगी इसलिए इस बार की नवरात्रि 8 दिवस की होगी.

चैत्र नवरात्रि में माता महाकाली, माता महालक्ष्मी, माता महासरस्वती की आराधना करके प्रसन्न किया जाता है ताकि सुख, समृद्धि, धन, धान की वृद्धि हो. मंत्र जप, पूजा, पाठ, हवन, आरती, प्रसाद वितरण, कन्या भोजन के साथ व्रत का समापन किया जाता हैं.

नवरात्र में व्रत के साथ दुर्गा सप्तसती का पाठ, घी की अखण्ड ज्योति पूरे नवरात्रि में जलाने, ज्वारे बोने क्रम, गायत्री महामंत्र का जप एवं मां दुर्गा के इस बीज मंत्र- ऊं ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नम: का जप आदि अनुष्ठान करने सभी मनोकामनाएं पूरी होने के साथ बाधाएं भी दूर हो जाती है. नवरात्रि में कलश, घटस्थापना एवं अखंड ज्योति हेतु सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त.

6 अप्रैल शनिवार 2019

1: चौघडिय़ा के अनुसार:

सुबह 7 बजकर 30 मिनट से सुबह 9 बजे तक

दोपहर 12 बजे से दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक "चर".

दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से दोपहर 3 बजे तक "लाभ".

दोपहर 3 बजे से शाम 4 बजकर 30 मिनट तक "अमृत".

गौधूलि बेला शाम 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक "लाभ".

2:स्थिर लग्न के अनुसार:

वृषभ लग्न- सुबह 7 बजकर 55 मिनट से सुबह 9 बजकर 53 तक

सिंह लग्न- दोपहर 2 बजकर 22 मिनट से शाम 4 बजकर 34 तक.

वृश्चिक लग्न- रात 9 बजे से रात्रि 11 बजकर 16 मिनट तक

बता दें, चैत्र नवरात्रि साल में आने वाले सबसे पहले नवरात्र होते हैं. इस नवरात्र से ही हिंदू नववर्ष का आरंभ माना जाता है. इसके साथ रामायण के अनुसार माना जाता है कि भगवान राम ने चैत्र के महीने में देवी दुर्गा की उपासना कर रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी.

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चैत्र नवरात्रि साल में आने वाले सबसे पहले नवरात्र होते हैं. इस नवरात्र से ही हिंदू नववर्ष का आरंभ माना जाता है. इसके साथ रामायण के अनुसार माना जाता है कि भगवान राम ने चैत्र के महीने में देवी दुर्गा की उपासना कर रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी.

8 दिवसीय चैत्र नवरात्र का शुभारंभ 6 अप्रैल शनिवार से होकर 13 अप्रैल शनिवार तक यानी साल 2019 की चैत्र नवरात्र 9 दिन की नही कुल 8 दिन की होगी. शनिवार 13 अप्रैल को दुर्गाष्टमी, दुर्गानवमी, एवं रामनवमी भगवान श्रीराम का प्रगटोत्सव एक साथ मनाया जायेगा.

इस बार हिन्दू नव संवत्सर 2076 परिधावी का 6 अप्रैल से मीन लगन में शुभारंभ होगा. संवत्सर के राजा सूर्य पुत्र शनिदेव एवं मंत्री सूर्यदेव रहेगे. 6 अप्रैल शनिवार से 13 अप्रैल शनिवार समापन होगा. नवरात्रि के साथ भगवान झूलेलाल जयंती चैतीचांद, नव संवत्सर, गुड़ीपड़वा नववर्ष ब्रह्मा के द्वारा सृष्टि की रचना भी इसी दिन हुई थी. नवरात्रि में 13 अप्रैल को दुर्गाअष्टमी एवं नवमी राम प्रगटोत्सव एक साथ रहेगी इसलिए इस बार की नवरात्रि 8 दिवस की होगी.

चैत्र नवरात्रि में माता महाकाली, माता महालक्ष्मी, माता महासरस्वती की आराधना करके प्रसन्न किया जाता है ताकि सुख, समृद्धि, धन, धान की वृद्धि हो. मंत्र जप, पूजा, पाठ, हवन, आरती, प्रसाद वितरण, कन्या भोजन के साथ व्रत का समापन किया जाता हैं.

नवरात्र में व्रत के साथ दुर्गा सप्तसती का पाठ, घी की अखण्ड ज्योति पूरे नवरात्रि में जलाने, ज्वारे बोने क्रम, गायत्री महामंत्र का जप एवं मां दुर्गा के इस बीज मंत्र- ऊं ऐं हृीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै नम: का जप आदि अनुष्ठान करने सभी मनोकामनाएं पूरी होने के साथ बाधाएं भी दूर हो जाती है. नवरात्रि में कलश, घटस्थापना एवं अखंड ज्योति हेतु सर्वश्रेष्ठ शुभ मुहूर्त.

6 अप्रैल शनिवार 2019

1: चौघडिय़ा के अनुसार:

सुबह 7 बजकर 30 मिनट से सुबह 9 बजे तक

दोपहर 12 बजे से दोपहर 1 बजकर 30 मिनट तक "चर".

दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से दोपहर 3 बजे तक "लाभ".

दोपहर 3 बजे से शाम 4 बजकर 30 मिनट तक "अमृत".

गौधूलि बेला शाम 6 बजे से 7 बजकर 30 मिनट तक "लाभ".



2:स्थिर लग्न के अनुसार:

वृषभ लग्न- सुबह 7 बजकर 55 मिनट से सुबह 9 बजकर 53 तक

सिंह लग्न- दोपहर 2 बजकर 22 मिनट से शाम 4 बजकर 34 तक.

वृश्चिक लग्न- रात 9 बजे से रात्रि 11 बजकर 16 मिनट तक

बता दें, चैत्र नवरात्रि साल में आने वाले सबसे पहले नवरात्र होते हैं. इस नवरात्र से ही हिंदू नववर्ष का आरंभ माना जाता है. इसके साथ रामायण के अनुसार माना जाता है कि भगवान राम ने चैत्र के महीने में देवी दुर्गा की उपासना कर रावण का वध कर विजय प्राप्त की थी.


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