जयपुर. ज्येष्ठ महीने के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि यानी 25 मई से नौतपा (Nautapa 2022) की शुरुआत हो रही है. नौतपा में सूर्य का ताप सबसे ज्यादा होता है. इस वजह से तेज गर्मी पड़ती है. इसके साथ ही आंधी-तूफान की भी आशंका रहती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस दौरान सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है. इसी कारण नौ दिनों तक मौसम में फेरबदल देखने को मिलता है.
कब से कब तक रहेगा नौतपा : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल सूर्य 25 मई को दोपहर 2:50 पर रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करेगा. 25 मई से 8 जून तक सूर्य रोहिणी नक्षत्र में रहेगा. इस दौरान शुरुआती 9 दिन यानी 2 जून तक नौतपा (Nautapa 2022) जारी रहेगा. नौतपा का सीधा संबंध मानसून में पड़ने वाली बारिश से होता है. गर्मी जितनी भीषण होगी बारिश भी उतनी ही अच्छी होगी.
क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य : ज्योतिषाचार्य डॉ. अमित व्यास के अनुसार जब सूर्य वृष राशि के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तब से नौतपा (Nautapa 2022) शुरू होता है. नौतपा में सूर्य का ताप सबसे ज्यादा होता है. इसका प्रभाव मानव जीवन पर भी पड़ता है. इस दौरान सबसे ज्यादा गर्मी पड़ना, मौसम में परिवर्तन आना, तेज आंधी-तूफान आना, कहीं-कहीं बारिश और ओले पड़ने जैसी स्थितियां देखने को मिलती है. मौसम परिवर्तन के आधार पर जब मानव जीवन पर कोई प्रभाव पड़ता है तो हिंदू संस्कृति में धार्मिक महत्व भी बन जाता है. मान्यता है कि इस दौरान यदि घर के आस-पास या अंदर हरे पेड़-पौधे लगाए जाते हैं, तो एक तरफ जहां प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में योगदान देते हैं तो वहीं दूसरी तरफ बृहस्पति रूपी ऊर्जा और सूर्य रूपी ताप जीवन को प्राप्त होता है.
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ये है मान्यता: नौतपा के दौरान बारिश नहीं होनी चाहिए, ऐसा होना मौसम के लिहाज से सही नहीं माना जाता. इसके पीछे वैज्ञानिक कारण है कि नौतपा के दौरान समुद्री क्षेत्रों में वाष्पीकरण की प्रक्रिया तेज हो जाती है, ऐसे में बारिश होने से ये प्रक्रिया रुक जाती है और फिर बारिश के मौसम में पर्याप्त बारिश नहीं होती है. इससे जल संकट पैदा हो जाता है.
नौतपा में ऐसा करना होगा फलदायी: चूंकि हमारी धार्मिक मान्यताएं किसी न किसी वैज्ञानिक रहस्य से जुड़ी हुई है तो ऐसे में नौतपा में धार्मिक मान्यताओं के आधार पर हरे पेड़-पौधे लगाना, पानी का मटका दान करना, वित्तीय क्षमता के अनुसार वाटर कूलर लगवाना, शरीर में पानी की मात्रा बढ़ाने वाले खरबूजा, तरबूज, आम आदि का दान देने वाले और प्राप्त करने वाले दोनों के लिए सुखद फलदाई होता है.