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National Civil Service Day : सर्विस डिलीवरी में सुविधा शुल्क पर राज्यपाल ने जताई चिंता, कही ये बड़ी बात...

राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने सर्विस डिलीवरी में सुविधा शुल्क को लेकर चिंता जताई है. नेशनल सिविल सर्विस डे 2022 के मौके पर (National Civil Service Day) बोलते हुए उन्होंने कहा कि जब तक फाइल आगे नहीं बढ़ती जब तक सुविधा शुल्क नहीं दिया जाता. इस परिपाटी को बदलने की जरूरत हैं.

Kalraj Mishra
सर्विस डिलीवरी में सुविधा शुल्क पर राज्यपाल ने जताई चिंता
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Published : Apr 21, 2022, 5:58 PM IST

जयपुर. देश में कई पब्लिक सर्विस डिपार्टमेंट में लगे अधिकारियों के कार्यों को एक्नॉलेज करने के लिए हर साल 21 अप्रैल को नेशनल सिविल सर्विस डे मनाया जाता है. यह दिन सिविल सेवकों के लिए एक रिमाइंडर भी है, जो सामूहिक रूप से देश की एडमिनिस्ट्रेटिव मशीनरी को चलाते हैं और वे देश के नागरिकों की सेवा के लिए समर्पित हैं. जयपुर में गुरुवार को सिविल सर्विस डे मौके पर आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल कलराज मिश्र ने मौजूदा परिस्थितियों पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि जब तक फाइल आगे नहीं बढ़ती जब तक सुविधा शुल्क नहीं देते. इस परिपाटी को बदलने की जरूरत है.

फाइल समय पर क्लियर नहीं होना चिंता का विषय : राज्यपाल कलराज मिश्र ने नेशनल सिविल सर्विस डे पर ओटीएस में आयोजित कार्यक्रम में सिविल सेवा से जुड़े अधिकारियों से कहा कि राष्ट्र धर्म का मतलब संविधान है. आप लोकतंत्र के सजग प्रहरी हैं. हम अपनी जिम्मेदारी निभाएं तो सुशासन होगा. आपसे जनता को उत्कृष्ट कार्य की उम्मीद होती है. जनता से आपका सीधा संबंध है. इसलिए उनकी अपेक्षाओं को (Convenience Fee for Service Delivery Issue) प्राथमिकता के साथ पूरा करना चाहिए.

किसने क्या कहा, सुनिए...

मिश्र ने कहा कि फाइलों के माध्यम आम जनता का अधिकारियों से सीधा संवाद होता है. जल्दी फाइल क्लियर होनी चाहिए, लेकिन आज चिंता का विषय है कि फाइलें पड़ी रहती हैं. ऐसे में जनता सोचती है कि इनको कुछ चाहिए. जब तक सुविधा शुल्क नहीं दिया जाएगा, फाइल आगे नहीं बढ़ेगी. इस परिपाटी को बदलने की जरूरत है. मिश्र ने भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करते हुते कहा कि राज्य सरकार जन कल्याण योजनाएं लाती है, लेकिन उन सुविधाओं का लाभ आम जनता तक अपेक्षाकृत नहीं पहुंच रहा है. ऐसी स्थिति में जरूरत है कि हम सुविधा शुल्क तो खत्म करके जनता को सीधा सुविधाओं का लाभ दें.

नियमों के लोक कल्याण कार्य जलिट नहीं हो : राज्यपाल ने कहा कि (National Civil Service Day 2022 in Jaipur) लोक सेवकों को नियमों में रहकर ही कार्य करना चाहिए. लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नियमों के चलते लोक कल्याण का कार्य जटिल न बन जाए. उन्होंने कहा कि हरेक मसले पर संवैधानिक प्रावधानों में संशोधन की बात पर जोर देने के बजाय जड़ और अव्यावहारिक हो चुके नियमों को परिस्थितियों के अनुसार बदलने के लिए भी प्रयास किया जाना चाहिए.

आज मनाया जा रहा सिविल सर्विस डे : नेशनल सिविल डे पर ओटीएस आयोजित कार्यक्रम में लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान (LBSNAA) के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा ने कहा कि जब भी नोट एड्रेस के बारे में कहा जाता है, तब 2000 शब्दों की जगह बड़े मुद्दों को लेकर बात करनी होती है. फॉर्मल स्टेट को फॉर्मल गवर्नेस सिस्टम अपनाना जरूरी है और कैसे काम हम मिशन में लेते हैं, यह अहम है. कॉर्पोरेट गवर्नेंस का नया फंडा आया है. प्रशासन का मतलब प्लान होता है, राजनीतिक निर्णय गवर्नेंस नहीं हैं. इस अवधारणात्मक भिन्नता को पहचानना जरूरी है. उन्होंने कहा कि बॉलीवुड में ऐसा हो सकता है कि आप एक्टर के लड़के हो इसलिए वहां हो. लेकिन सिविल सेवा में ऐसा नहीं है.

पढ़ें : 15th Civil Services Day : जनहित में काम करने वाले सेवकों को पुरस्कार, पीएम बोले, देश राजसिंहासनों की बपौती नहीं

उन्होंने कहा कि यह सब आपके पावर पर निर्भर है. ज्ञान का पावर है, संरक्षण का पावर है. आपमें प्रभु शक्ति, मंत्र शक्ति और उत्साह शक्ति है. इसलिए गुड गवर्नेंस की दिशा में हमेशा सशक्त और मजबूती के साथ में काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लोक सेवकों को सुशासन, प्रशासन और प्रबन्धन के महत्व को बारीकी से समझते हुए लोकहित के लिए पूर्ण निष्ठा और लगन से कार्य करना चाहिए. उन्होंने कहा कि समर्पित, संकल्पबद्ध और निष्पक्ष रहकर देश की प्रगति के लिए कार्य करने की क्षमता होने के कारण ही सरदार वल्लभ भाई पटेल ने लोक सेवकों को 'स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया' कहकर सम्बोधित किया था.

सिविल सेवा का गठन : भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1947 में ब्रिटिश राज के भारतीय सिविल सेवा से इसका गठन किया गया. 1947 में 21 अप्रैल को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने ऑल इंडिया सर्विस का उद्घाटन किया. दिल्ली में मेडकॉफ हाउस में ऑल इंडिया एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस ट्रेनिंग स्कूल में उन्होंने एक जोरगार भाषण के साथ सिविल सर्वेंट्स को संबोधित किया, तभी से 21 अप्रैल को नेशनल सिविल सर्विस डे मनाया जाने लगा. इस मौके पर केन्द्रिय और राज्य सरकारों के सभी अधिकारियों को भारत के प्रधानमंत्री कीओर से उनके उत्कृष्ठ प्रदर्शन के लिए सम्मानित भी किया जाता है.

पढ़ें : चूरू कलेक्टर को आज PM मोदी करेंगे सम्मानित, जानिए क्यों...

इस दिवस का मनाए जाने के पीछे ये है कारण : बता दें कि नेशनल सिविल सर्विस डे को मनाने के पीछे कारण है कि सिविल सर्विस ऑफिसरों के काम और प्रयत्नों की प्रशंसा और प्रोत्साहन दिया जाए. इसके साथ सिविल सर्विस के अलग-अलग विभागों के काम का मूल्यांकन भी इस दौरान हो जाता है. केंद्रीय और राज्य सरकारों के सभी अधिकारियों को भारत के प्रधानमंत्री की ओर से उनके उत्कृष्ठ प्रदर्शन के लिए सम्मानित भी किया जाता है.

चुरू जिला कलेक्टर सिहाग हुए समानित : नेशनल सिविल डे पर चूरू जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हुए समारोह में प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. खेलो इंडिया अभियान में जिले में हुए उत्कृष्ट कार्य और बेहतर उपलब्धियों के चलते (Churu performance in sports under Khelo India scheme) चूरू जिले को मिलने वाले इस पुरस्कार अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिला कलेक्टर को सम्मानित किया.

जयपुर. देश में कई पब्लिक सर्विस डिपार्टमेंट में लगे अधिकारियों के कार्यों को एक्नॉलेज करने के लिए हर साल 21 अप्रैल को नेशनल सिविल सर्विस डे मनाया जाता है. यह दिन सिविल सेवकों के लिए एक रिमाइंडर भी है, जो सामूहिक रूप से देश की एडमिनिस्ट्रेटिव मशीनरी को चलाते हैं और वे देश के नागरिकों की सेवा के लिए समर्पित हैं. जयपुर में गुरुवार को सिविल सर्विस डे मौके पर आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल कलराज मिश्र ने मौजूदा परिस्थितियों पर चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि जब तक फाइल आगे नहीं बढ़ती जब तक सुविधा शुल्क नहीं देते. इस परिपाटी को बदलने की जरूरत है.

फाइल समय पर क्लियर नहीं होना चिंता का विषय : राज्यपाल कलराज मिश्र ने नेशनल सिविल सर्विस डे पर ओटीएस में आयोजित कार्यक्रम में सिविल सेवा से जुड़े अधिकारियों से कहा कि राष्ट्र धर्म का मतलब संविधान है. आप लोकतंत्र के सजग प्रहरी हैं. हम अपनी जिम्मेदारी निभाएं तो सुशासन होगा. आपसे जनता को उत्कृष्ट कार्य की उम्मीद होती है. जनता से आपका सीधा संबंध है. इसलिए उनकी अपेक्षाओं को (Convenience Fee for Service Delivery Issue) प्राथमिकता के साथ पूरा करना चाहिए.

किसने क्या कहा, सुनिए...

मिश्र ने कहा कि फाइलों के माध्यम आम जनता का अधिकारियों से सीधा संवाद होता है. जल्दी फाइल क्लियर होनी चाहिए, लेकिन आज चिंता का विषय है कि फाइलें पड़ी रहती हैं. ऐसे में जनता सोचती है कि इनको कुछ चाहिए. जब तक सुविधा शुल्क नहीं दिया जाएगा, फाइल आगे नहीं बढ़ेगी. इस परिपाटी को बदलने की जरूरत है. मिश्र ने भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करते हुते कहा कि राज्य सरकार जन कल्याण योजनाएं लाती है, लेकिन उन सुविधाओं का लाभ आम जनता तक अपेक्षाकृत नहीं पहुंच रहा है. ऐसी स्थिति में जरूरत है कि हम सुविधा शुल्क तो खत्म करके जनता को सीधा सुविधाओं का लाभ दें.

नियमों के लोक कल्याण कार्य जलिट नहीं हो : राज्यपाल ने कहा कि (National Civil Service Day 2022 in Jaipur) लोक सेवकों को नियमों में रहकर ही कार्य करना चाहिए. लेकिन यह भी ध्यान रखना चाहिए कि नियमों के चलते लोक कल्याण का कार्य जटिल न बन जाए. उन्होंने कहा कि हरेक मसले पर संवैधानिक प्रावधानों में संशोधन की बात पर जोर देने के बजाय जड़ और अव्यावहारिक हो चुके नियमों को परिस्थितियों के अनुसार बदलने के लिए भी प्रयास किया जाना चाहिए.

आज मनाया जा रहा सिविल सर्विस डे : नेशनल सिविल डे पर ओटीएस आयोजित कार्यक्रम में लाल बहादुर शास्त्री प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान (LBSNAA) के पूर्व निदेशक संजीव चोपड़ा ने कहा कि जब भी नोट एड्रेस के बारे में कहा जाता है, तब 2000 शब्दों की जगह बड़े मुद्दों को लेकर बात करनी होती है. फॉर्मल स्टेट को फॉर्मल गवर्नेस सिस्टम अपनाना जरूरी है और कैसे काम हम मिशन में लेते हैं, यह अहम है. कॉर्पोरेट गवर्नेंस का नया फंडा आया है. प्रशासन का मतलब प्लान होता है, राजनीतिक निर्णय गवर्नेंस नहीं हैं. इस अवधारणात्मक भिन्नता को पहचानना जरूरी है. उन्होंने कहा कि बॉलीवुड में ऐसा हो सकता है कि आप एक्टर के लड़के हो इसलिए वहां हो. लेकिन सिविल सेवा में ऐसा नहीं है.

पढ़ें : 15th Civil Services Day : जनहित में काम करने वाले सेवकों को पुरस्कार, पीएम बोले, देश राजसिंहासनों की बपौती नहीं

उन्होंने कहा कि यह सब आपके पावर पर निर्भर है. ज्ञान का पावर है, संरक्षण का पावर है. आपमें प्रभु शक्ति, मंत्र शक्ति और उत्साह शक्ति है. इसलिए गुड गवर्नेंस की दिशा में हमेशा सशक्त और मजबूती के साथ में काम करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि लोक सेवकों को सुशासन, प्रशासन और प्रबन्धन के महत्व को बारीकी से समझते हुए लोकहित के लिए पूर्ण निष्ठा और लगन से कार्य करना चाहिए. उन्होंने कहा कि समर्पित, संकल्पबद्ध और निष्पक्ष रहकर देश की प्रगति के लिए कार्य करने की क्षमता होने के कारण ही सरदार वल्लभ भाई पटेल ने लोक सेवकों को 'स्टील फ्रेम ऑफ इंडिया' कहकर सम्बोधित किया था.

सिविल सेवा का गठन : भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद 1947 में ब्रिटिश राज के भारतीय सिविल सेवा से इसका गठन किया गया. 1947 में 21 अप्रैल को सरदार वल्लभ भाई पटेल ने ऑल इंडिया सर्विस का उद्घाटन किया. दिल्ली में मेडकॉफ हाउस में ऑल इंडिया एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस ट्रेनिंग स्कूल में उन्होंने एक जोरगार भाषण के साथ सिविल सर्वेंट्स को संबोधित किया, तभी से 21 अप्रैल को नेशनल सिविल सर्विस डे मनाया जाने लगा. इस मौके पर केन्द्रिय और राज्य सरकारों के सभी अधिकारियों को भारत के प्रधानमंत्री कीओर से उनके उत्कृष्ठ प्रदर्शन के लिए सम्मानित भी किया जाता है.

पढ़ें : चूरू कलेक्टर को आज PM मोदी करेंगे सम्मानित, जानिए क्यों...

इस दिवस का मनाए जाने के पीछे ये है कारण : बता दें कि नेशनल सिविल सर्विस डे को मनाने के पीछे कारण है कि सिविल सर्विस ऑफिसरों के काम और प्रयत्नों की प्रशंसा और प्रोत्साहन दिया जाए. इसके साथ सिविल सर्विस के अलग-अलग विभागों के काम का मूल्यांकन भी इस दौरान हो जाता है. केंद्रीय और राज्य सरकारों के सभी अधिकारियों को भारत के प्रधानमंत्री की ओर से उनके उत्कृष्ठ प्रदर्शन के लिए सम्मानित भी किया जाता है.

चुरू जिला कलेक्टर सिहाग हुए समानित : नेशनल सिविल डे पर चूरू जिला कलेक्टर सिद्धार्थ सिहाग को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हुए समारोह में प्रधानमंत्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया. खेलो इंडिया अभियान में जिले में हुए उत्कृष्ट कार्य और बेहतर उपलब्धियों के चलते (Churu performance in sports under Khelo India scheme) चूरू जिले को मिलने वाले इस पुरस्कार अंतर्गत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिला कलेक्टर को सम्मानित किया.

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