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जयपुर में 219 वर्ष पुराने नर्सिंग लीला एवं वराह लीला महोत्सव का शुभारंभ...

छोटी काशी के रूप में मशहूर जयपुर में भगवान नृसिंह का जन्मोत्सव श्रद्धाभाव से मनाया गया. इस दौरान बाबा विश्वेश्वरजी और ताड़केश्वरजी मंदिर का 219 वर्ष पुराना दो दिवसीय नृसिंह लीला और वराह लीला महोत्सव का शुभारंभ हुआ...

नर्सिंग लीला एवं वराह लीला महोत्सव का शुभारंभ
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Published : May 18, 2019, 2:30 AM IST

जयपुर . छोटी काशी में भगवान नृसिंह का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर शहर के विभिन्न नृसिंह मंदिरों में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए.

नर्सिंग लीला एवं वराह लीला महोत्सव का शुभारंभ

जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित बाबा विश्वेश्वरजी व ताड़केश्वरजी मंदिर का 219 वर्ष पुराना दो दिवसीय नृसिंह लीला और वराह लीला महोत्सव का शुभारंभ हुआ. ताड़केश्वर नवयुवक मंडल के तत्वाधान में महाआरती के बाद मंदिर के सामने नृसिंह लीला का मंचन किया गया. मंचन के दौरान जयकारों के बीच खंभा फाड़कर भगवान नृसिंह के प्रकट होने की लीला को हर कोई निहारता रहा.

भगवान नृसिंह की जगह-जगह आरती उतारी गई. रास्ते में राधा-दामोदर, काले गणेश मंदिर से भगवान की आरती की गई. महोत्सव के तहत शनिवार को वराह लीला का मंचन होगा.

गौरतलब है कि 219 वर्ष पुरानी इस परंपरा का निर्वहन पौराणिक वेशभूषा पहनकर किया जाता है. इसमें भगवान नृसिंह का रूप धरे व्यक्ति कई किलो वजनी मुखौटा धारण करता है. खास बात यह है कि इस मुखेटे को पहनाने के दौरान मंत्रोचार किया जाता है. वहीं, मुखौटा धारण करने से पहले संबंधित व्यक्ति को घड़े के ठंडे पानी से स्नान कराया जाता है. भगवान नृसिंह के हाथ में प्रहलाद रूपी छोटे बच्चे को गोद देने की परंपरा है. इसे भगवान का आशीर्वाद माना जाता है.

मान्यता है कि भगवान का रूप धारण किए इस व्यक्ति से आशीर्वाद लेने पर घर में सुख शांति के अलावा बीमारी का प्रकोप मिट जाता है. उधर छोटी काशी में भगवान नृसिंह की जयंती पर बगरू वालों के रास्ते स्थित नृसिंह मंदिर, पांच बत्ती स्थित नृसिंह मंदिर, सूरजपोल गेट नृसिंह मंदिर, खजाने वालों के रास्ते और चांदपोल बाजार स्थित नृसिंह मंदिर में शाम 6:30 बजे नृसिंह भगवान के प्रकट होने के लीला का मंचन किया गया. इसी तरह आमेर स्थित नृसिंह मंदिर में भी नृसिंह जयंती मनाई गई.

जयपुर . छोटी काशी में भगवान नृसिंह का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया. इस अवसर पर शहर के विभिन्न नृसिंह मंदिरों में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए.

नर्सिंग लीला एवं वराह लीला महोत्सव का शुभारंभ

जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित बाबा विश्वेश्वरजी व ताड़केश्वरजी मंदिर का 219 वर्ष पुराना दो दिवसीय नृसिंह लीला और वराह लीला महोत्सव का शुभारंभ हुआ. ताड़केश्वर नवयुवक मंडल के तत्वाधान में महाआरती के बाद मंदिर के सामने नृसिंह लीला का मंचन किया गया. मंचन के दौरान जयकारों के बीच खंभा फाड़कर भगवान नृसिंह के प्रकट होने की लीला को हर कोई निहारता रहा.

भगवान नृसिंह की जगह-जगह आरती उतारी गई. रास्ते में राधा-दामोदर, काले गणेश मंदिर से भगवान की आरती की गई. महोत्सव के तहत शनिवार को वराह लीला का मंचन होगा.

गौरतलब है कि 219 वर्ष पुरानी इस परंपरा का निर्वहन पौराणिक वेशभूषा पहनकर किया जाता है. इसमें भगवान नृसिंह का रूप धरे व्यक्ति कई किलो वजनी मुखौटा धारण करता है. खास बात यह है कि इस मुखेटे को पहनाने के दौरान मंत्रोचार किया जाता है. वहीं, मुखौटा धारण करने से पहले संबंधित व्यक्ति को घड़े के ठंडे पानी से स्नान कराया जाता है. भगवान नृसिंह के हाथ में प्रहलाद रूपी छोटे बच्चे को गोद देने की परंपरा है. इसे भगवान का आशीर्वाद माना जाता है.

मान्यता है कि भगवान का रूप धारण किए इस व्यक्ति से आशीर्वाद लेने पर घर में सुख शांति के अलावा बीमारी का प्रकोप मिट जाता है. उधर छोटी काशी में भगवान नृसिंह की जयंती पर बगरू वालों के रास्ते स्थित नृसिंह मंदिर, पांच बत्ती स्थित नृसिंह मंदिर, सूरजपोल गेट नृसिंह मंदिर, खजाने वालों के रास्ते और चांदपोल बाजार स्थित नृसिंह मंदिर में शाम 6:30 बजे नृसिंह भगवान के प्रकट होने के लीला का मंचन किया गया. इसी तरह आमेर स्थित नृसिंह मंदिर में भी नृसिंह जयंती मनाई गई.

Intro:आज छोटी काशी में भगवान नृसिंह का जन्मोत्सव बड़े धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर शहर के विभिन्न नृसिंह मंदिरों में कई कार्यक्रम भी आयोजित किये गए। जयपुर के चौड़ा रास्ता स्थित बाबा विश्वेश्वरजी व ताड़केश्वरजी मंदिर का 219 वर्ष पुराना दो दिवसीय नृसिंह लीला और वराह लीला महोत्सव का आज शुभारंभ हुआ। ताड़केश्वर नवयुवक मंडल के तत्वाधान में महाआरती के बाद मंदिर के सामने नृसिंह लीला का मंचन किया गया। मंच पर जयकारों के बीच खंब फाड़कर भगवान नृसिंह प्रकट हुए।


Body:भगवान नृसिंह की जगह-जगह आरती उतारी गई। लीला में नृसिंह अवतार आशीर्वाद देने के लिए मुख्य बाजार त्रिपोलिया से गोपालजी का रास्ता तक पहुंचे। रास्ते में राधा-दामोदर, काले गणेश मंदिर से भगवान की आरती की गई। महोत्सव के तहत शनिवार को वराह लीला का मंचन होगा।
गौरतलब है कि 219 वर्ष पुरानी इस परंपरा का निर्वहन पौराणिक वेशभूषा पहनकर किया जाता है। इसमें भगवान नृसिंह का रूप धरे व्यक्ति कई किलो वजनी मुखौटा धारण करता है। खास बात यह है कि यह मुखौटा मंत्रोच्चार से तैयार किया जाता है, यानी मंत्राया मुखौटा होता है। इसको धारण करने से पहले व्यक्ति को कोरे घड़े के ठंडे पानी से स्नान कराया जाता है। भगवान नृसिंह के हाथ में प्रहलाद रूपी छोटे बच्चे को गोद देने की परंपरा है। इसे भगवान का आशीर्वाद माना जाता है। मान्यता है कि भगवान का रूप धारण किए इस व्यक्ति से आशीर्वाद लेने पर घर में सुख शांति के अलावा बीमारी का प्रकोप मिट जाता है। साथ ही कृत्रिम रूप से बनाए गए इस खंभे का कागज घर में या पास में रखने से किसी प्रकार का दोष, विकार या अशांति पास नहीं आती। उधर छोटी काशी में भगवान नृसिंह की जयंती पर बगरू वालों के रास्ते स्थित नृसिंह मंदिर, पांच बत्ती स्थित नृसिंह मंदिर, सूरजपोल गेट नृसिंह मंदिर, खजाने वालों के रास्ते और चांदपोल बाजार स्थित नृसिंह मंदिर में शाम 6:30 बजे खंभा फाड़कर नृसिंह प्रकट हुए इसी तरह आमेर स्थित नृसिंह मंदिर में भी नृसिंह जयंती मनाई गई।

बाईट- अमित कुमार पाराशर, सांस्कृतिक मंत्री, ताड़केश्वर मंदिर









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