जयपुर. राजनीतिक गलियारों में अब नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल विस्तार (Narendra Modi Cabinet Expansion) की सुगबुगाहट तेज हो गई है. साथ ही यह चर्चा भी अब आम होने लगी है कि यदि विस्तार हुआ तो क्या राजस्थान (Rajasthan) में मंत्री पद का कोटा बढ़ेगा या फिर पूर्व में बनाए मंत्रियों के पर कतरे जाएंगे. उम्मीद है कि विस्तार में राजस्थान का प्रतिनिधित्व बढ़ सकता है और कुछ नामों की चर्चाएं भी सियासी गलियारों में काफी जोरों से चल रही है.
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अब यदि मंत्रिमंडल का विस्तार (Cabinet Expansion) होता है तो राजस्थान में से किन नए चेहरों को मोदी मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी और और इन पुराने चेहरों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा इस पर सबकी निगाहें है.
इन सांसदों के नामों पर काफी चर्चा
प्रदेश भाजपा (Rajasthan BJP) के सियासी गलियारों में कई सांसदों के नामों की चर्चा इन दिनों आम है. खासतौर पर मोदी मंत्रिमंडल विस्तार (Modi Cabinet Expansion) में जिन नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है उसको लेकर चर्चाएं जोरों पर है. बताया जा रहा है कि यदि मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो उसमें संभवतया सांसद दीया कुमारी (Diya Kumari) को नए और महिला चेहरे के रूप में लिया जा सकता है.
इसी तरह सांसद सुमेधानंद, राहुल कस्वां (Rahul Kaswan) और सीपी जोशी (CP Joshi) के नाम की भी चर्चा है. हालांकि, सुमेधानंद और राहुल कस्वां में से यदि किसी को मौका मिलता है तो फिर सुमेधानंद का पलड़ा थोड़ा भारी नजर आ रहा है. वह इसलिए क्योंकि इस नाम पर प्रदेश नेतृत्व की भी सहमति होगी तो वही योग गुरु बाबा रामदेव का भी सुमेधानंद को साथ और समर्थन मिलेगा. वहीं, अनुसूचित जनजाति समाज से आने वाली जसकौर मीणा और राज्यसभा सांसद डॉ. किरोड़ी लाल मीणा (Kirori Lal Meena) के नामों की चर्चा भी जोरों पर है.
भूपेंद्र यादव और ओम प्रकाश माथुर का नाम भी चर्चाओं में...
वहीं, राजस्थान से आने वाले राज्यसभा सांसद भूपेंद्र यादव (Rajyasabha MP Bhupendra Yadav) और ओम प्रकाश माथुर (Om Prakash Mathur) का नाम भी मोदी मंत्रिमंडल में मौका मिलने की संभावनाओं को लेकर इन दिनों चर्चा में है. हालांकि भूपेंद्र यादव बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री हैं, लेकिन अगले साल यूपी में होने वाले विधानसभा चुनाव (UP Vidhansabha Election) को देखते हुए यादव को संगठनात्मक जिम्मेदारी के बजाय सत्ता में मंत्री बनाकर जिम्मेदारी देने के अधिक चांस है क्योंकि ऐसा करने पर राजस्थान से एक सांसद का प्रतिनिधित्व मोदी मंत्रिमंडल में बढ़ भी जाएगा और दूसरी तरफ यूपी में यादव समाज के बड़े वोट बैंक को भी भाजपा की ओर इसके जरिए आकर्षित किया जा सकता है.
इसी तरह ओम प्रकाश माथुर भाजपा के वरिष्ठ नेता भी हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और अमित शाह (Amit Shah) के लंबे समय तक करीबी नेताओं में शामिल भी रहे हैं. ऐसे में उनके नाम भी सियासी गलियारों में चर्चाओं में है.
मोदी-2.0 सरकार में राजस्थान का प्रतिनिधित्व कम, इसलिए उम्मीद ज्यादा
मोदी सरकार (Modi Government) के पहले कार्यकाल में राजस्थान से 8 मंत्री शामिल थे, जिनमें 2 मंत्री तत्कालिक राज्यसभा सांसद केजी अल्फोंस और विजय गोयल थे. इसके अलावा लोकसभा सांसदों में निहालचंद मेघवाल, पीपी चौधरी, सीआर चौधरी, कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अर्जुन राम मेघवाल और गजेंद्र सिंह शेखावत को मंत्रिमंडल में स्थान मिला था.
लेकिन, मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में राजस्थान (Rajasthan) से महज 3 ही सांसदों को जगह मिल पाई, जिनमें जल शक्ति मंत्रालय में कैबिनेट मंत्री के रूप में गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra Singh Shekhawat), कृषि राज्य मंत्री के तौर पर कैलाश चौधरी (Kailash Choudhary) और अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) को भारी उद्योग राज्यमंत्री का पद मिला है. इसी तरह राजस्थान राज्यसभा (Rajasthan Rajyasabha) से आने वाले किसी भी भाजपा सांसद को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में मंत्रिमंडल पर स्थान नहीं मिला.
एक-दो सांसदों को ही मिल सकता है मौका
कोटा सांसद ओम बिरला (Om Birla) को लोकसभा अध्यक्ष बनाकर एक भारी-भरकम जिम्मेदारी राजस्थान के खाते में डाल दी गई थी. ऐसे में यदि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का विस्तार हुआ भी तो राजस्थान से एक-दो सांसदों को ही मौका मिल सकता है, जिसकी थोड़ी बहुत संभावना हो.
विस्तार में गिर सकती है गाज, इसकी भी संभावना
वहीं, चर्चा इस बात की भी है कि यदि मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार होता है तो राजस्थान से एक मौजूदा मंत्री को बदला जा सकता है. राजस्थान से 3 सांसदों को मंत्रिमंडल में स्थान मिला है और वे तीनों ही अलग-अलग प्रमुख समाज से आते हैं. इनमें जाट समाज, अनुसूचित जाति समाज और राजपूत समाज है. राजस्थान में इन तीनों ही समाजों का अच्छा खासा वोट बैंक है.
पार्टी को इसपर करना होगा फोकस
बता दें, राजस्थान भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया (Satish Poonia) भी जाट समाज से आते हैं और केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री कैलाश चौधरी भी इसी समाज से आते हैं. ऐसे में यदि कुछ बदलाव होता है तो पार्टी को प्रदेश के मौजूदा बड़े पदों पर आसीन पदाधिकारियों और जातिगत संतुलन पर भी फोकस करना होगा.
अगले साल जिन राज्यों में चुनाव, वहां ज्यादा मिलेगी तवज्जो
अगले साल देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव (Assembly Election 2022) होने हैं, ऐसे में एक संभावना यह भी है कि जिन बड़े राज्यों में विधानसभा चुनाव होनी है वहां से मोदी मंत्रिमंडल में ज्यादा सांसदों को तवज्जो दी जा सकती है, जो कि राजनीतिक दृष्टि से जरूरी भी है.
राजस्थान में अगला विधानसभा चुनाव (Rajasthan Vidhansabha Election) 2023 में होगा, लेकिन उससे पहले 2022 में उत्तर प्रदेश सहित देश के कुछ राज्यों में चुनाव होना है. अगले साल 2022 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इन पांच में से चार में भाजपा की सरकार है जबकि पंजाब में कांग्रेस की सरकार है.
ऐसे में मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार (Narendra Modi Cabinet Expansion) होगा तो उसमें पूरा फोकस इन्हीं राज्यों पर होगा और वहां के जातिगत समीकरणों के साथ ही अन्य बातों को ध्यान में रखते हुए ही विस्तार होने की संभावना है.