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छोटी काशी में 'नाग पंचमी' पर कालसर्प योग के निवारण के लिए हुआ पूजन

छोटी काशी जयपुर में श्रावण कृष्ण पंचमी की तिथि पर नांग पंचमी पर्व मनाया गया. शहर के छोटे मंदिरों में नाग देवता की पूजा की गई. इस अवसर पर महिलाओं ने नाग की बाम्बी और शिवजी के मंदिर में नाग देवता की पूजा की.

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Published : Jul 10, 2020, 9:47 PM IST

जयपुर में नाग पंचमी, नाग देवता की पूजा, Nag Panchami in Jaipur
नाग पंचमी पर छोटी काशी में पूजा अर्चना

जयपुर. श्रावण कृष्ण पंचमी पर छोटी कांशी जयपुर में नाग पंचमी का पर्व मनाया गया. इस दौरान छोटे मंदिरों में नाग देवता की पूजा-अर्चना की गई. साथ ही घरों में पकवान बनाकर नाग देवता को भोग लगाया गया. वहीं, परिवार की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की गई.

नाग पंचमी पर छोटी काशी में पूजा-अर्चना

बता दें कि धार्मिक आस्था के नजरिए से सावन माह का महीना बेहद पवित्र होता है. यह महीना भगवान शिव को अति प्रिय है, इसी महीने नाग पंचमी का पर्व भी आता है. नाग पंचमी का त्यौहार नाग देवता को समर्पित है. इस लिए खासतौर पर इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. राजस्थान में पुराने समय से ही श्रावन कृष्ण पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाने की परंपरा रही है.

इसी के चलते खासतौर पर महिलाओं ने नाग की बाम्बी और शिवजी के मंदिर में नाग देवता की पूजा की. नाग की बांबी को पंचोपचार पूजन कर गंध, अक्षत और पुष्प चढ़ाकर दूध से अभिषेक कराया गया. वहीं, मोठ और बाजरे से बने पकवान का भोग लगाया गया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, क्योंकि भोलेनाथ के गले में भी नाग देवता वासुकी लिपटे रहते हैं.

ये पढ़ें: जयपुर : तंग गलियों को सैनिटाइज करेगा ये इनोवेटिव नोजल स्प्रे, सचिवालय में भी देगा डेमो

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों के राहु, केतु के मध्य शनि होता है, उनका कालसर्प योग बनता है. जिसके तहत काल का मतलब मृत्यु और सर्प यानी सांप तो मृत्यु जैसा जीवन इंसान कालसर्प योग में जीता है. इस योग में कार्य बनते बनते अचानक बिगड़ जाते है. यहां तक की कुछ अशुभ होने की आंशका मन में बरकरार रहती है. ऐसे में कालसर्प योग के निवारण के लिए सावन माह की पंचमी को पूजन अर्चन किया जाता है. इससे अवरुद्ध काम बनने लगते हैं, साथ ही अशुभ होने की आंशका का भी निवारण होता है.

जयपुर. श्रावण कृष्ण पंचमी पर छोटी कांशी जयपुर में नाग पंचमी का पर्व मनाया गया. इस दौरान छोटे मंदिरों में नाग देवता की पूजा-अर्चना की गई. साथ ही घरों में पकवान बनाकर नाग देवता को भोग लगाया गया. वहीं, परिवार की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की गई.

नाग पंचमी पर छोटी काशी में पूजा-अर्चना

बता दें कि धार्मिक आस्था के नजरिए से सावन माह का महीना बेहद पवित्र होता है. यह महीना भगवान शिव को अति प्रिय है, इसी महीने नाग पंचमी का पर्व भी आता है. नाग पंचमी का त्यौहार नाग देवता को समर्पित है. इस लिए खासतौर पर इस दिन नाग देवता की पूजा की जाती है. राजस्थान में पुराने समय से ही श्रावन कृष्ण पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाने की परंपरा रही है.

इसी के चलते खासतौर पर महिलाओं ने नाग की बाम्बी और शिवजी के मंदिर में नाग देवता की पूजा की. नाग की बांबी को पंचोपचार पूजन कर गंध, अक्षत और पुष्प चढ़ाकर दूध से अभिषेक कराया गया. वहीं, मोठ और बाजरे से बने पकवान का भोग लगाया गया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है, क्योंकि भोलेनाथ के गले में भी नाग देवता वासुकी लिपटे रहते हैं.

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जिन लोगों के राहु, केतु के मध्य शनि होता है, उनका कालसर्प योग बनता है. जिसके तहत काल का मतलब मृत्यु और सर्प यानी सांप तो मृत्यु जैसा जीवन इंसान कालसर्प योग में जीता है. इस योग में कार्य बनते बनते अचानक बिगड़ जाते है. यहां तक की कुछ अशुभ होने की आंशका मन में बरकरार रहती है. ऐसे में कालसर्प योग के निवारण के लिए सावन माह की पंचमी को पूजन अर्चन किया जाता है. इससे अवरुद्ध काम बनने लगते हैं, साथ ही अशुभ होने की आंशका का भी निवारण होता है.

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