जयपुर. प्रदेश में 20 जिलों के 90 निकायों में मतदान जारी है. हर किसी की नजर 30 जनवरी को आने वाले 90 निकायों के वार्डों के नतीजे पर होगी कि क्या भाजपा इस चुनाव में अपने शहरी वोटर को बचाने में कामयाब रहती है या फिर सत्ताधारी दल कांग्रेस 1 महीने पहले हुए 12 जिलो की तरह इस बार भी भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब रहती है.
दरअसल, एक महीने पहले हुए चुनाव में कांग्रेस 12 जिलों के 50 निकायों में से 36 निकाय जीत कर भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाई थी, लेकिन हकीकत यह है कि शहरी वोटर पर हमेशा से ही भाजपा का कब्जा रहा है और अगर भाजपा सत्ता में भी नहीं रही है तो भी कांग्रेस के या तो आसपास रही है या ज्यादा निकायों में अपने अध्यक्ष बनाने में कामयाब रही है.
सबसे ज्यादा निर्दलीयों पर नजर
राजस्थान में हो रहे 20 जिलों के 90 निकाय चुनाव में निर्दलीयों पर भी नजर होगी ,जो इन चुनाव में कांग्रेस और भाजपा का खेल बनाते और बिगाड़ते नजर आएंगे. दरअसल चाहे कांग्रेस हो या भाजपा दोनों ही पार्टियों ने करीब 300 वार्ड ऐसे हैं जहां पर पार्टी के सिंबल पर प्रत्याशी नहीं उतारे हैं. ऐसे में उनकी नजर निर्दलीय प्रत्याशियों पर है जिन्हें जीत मिलने के बाद कांग्रेस और भाजपा अपनी पार्टी में शामिल करना चाहेगी.
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हालांकि, पार्टियों का वर्चस्व जैसे-जैसे बड़ा है निर्दलीयों का वर्चस्व लगातार घटता जा रहा है. साल 1995 में 27 निर्दलीय बोर्ड बनाने में कामयाब हुए थे. साल 2000 में 21 निर्दलीयों ने बोर्ड बनाने में बाजी मारी थी .साल 2005 में 15 निर्दलीय ,साल 2010 में 22 निर्दलीय तो साल 2015 में 8 जगह ऐसी थी जहां निर्दलीयों के बोर्ड बने थे. अब देखना होगा कि निर्दलीय कितनी जगह इस बार बोर्ड बनाने में कामयाब होते हैं हालाकि साल दर साल निर्दलीयों की जीत के आंकड़ों में कमी आती जा रही है.
- यह रहे हैं 1995 से अब तक के निकाय चुनाव के नतीजे
साल | कांग्रेस | भाजपा | बसपा | CPI | CPI(M) | NCP | निर्दलीय |
1995 | 34 | 76 | 0 | 1 | 0 | 0 | 27 |
2000 | 65 | 52 | 0 | 0 | 1 | 0 | 21 |
2005 | 34 | 89 | 0 | 0 | 0 | 0 | 15 |
2010 | 52 | 62 | 2 | 0 | 0 | 0 | 22 |
2015 | 39 | 94 | 0 | 0 | 0 | 1 | 8 |