जयपुर. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस ही नहीं, बल्कि तीसरे दल के रूप में अब आरएलपी ने भी अपनी गतिविधियां (Rashtriya Loktantrik Party Strategy in Rajasthan) तेज करने का मानस बना लिया है. हालांकि, चुनाव में बीजेपी और आरएलपी के गठबंधन की संभावना की चर्चाएं रहती हैं, लेकिन आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल ने साफ कर दिया है कि अगले चुनाव में आरएलपी सभी 200 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. मतलब चुनाव में किसी सीट पर कोई गठबंधन नहीं होगा.
अब संभाग स्तर पर बड़ी रैली और सदस्यता अभियान शुरू करने का कार्यक्रम : हाल ही में पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद राजस्थान में आप सक्रिय हो गई, जिसके बाद हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी ने भी संगठनात्मक रूप से संभाग और जिला स्तर पर पार्टी के कार्यक्रमों को तेज करने का निर्णय लिया है. इसके तहत जोधपुर, बीकानेर और उदयपुर संभाग में जून माह में बड़ी सभा और रैलियों का आगाज किया जा सकता है. इसके साथ ही पार्टी अब चुनाव से पहले सदस्यता अभियान चलाकर जमीनी स्तर पर पार्टी के कार्यकर्ताओं की एक लंबी फौज खड़ा करने का मानस बना रही है. माना जा रहा है कि अगले माह के अंत तक इस दिशा में पार्टी का काम शुरू हो जाएगा.
आरएलपी के निशाने पर बीजेपी और कांग्रेस, लेकिन 'आप' भी दे सकती है चुनौती : राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी राजस्थान में अब तक तीसरे दल और शक्ति का दावा (RLP Supremo on Rajasthan Vidhan Sabha Election) करती रही है, लेकिन जिस तरह आम आदमी पार्टी की राजस्थान में गतिविधियां बढ़ रही हैं और नए सिरे से संगठनात्मक ढांचा खड़ा करने पर काम चल रहा है, उससे अन्य दल भी परेशान हैं. हालांकि, राजस्थान में आम आदमी पार्टी का फिलहाल कोई वजूद नहीं है. इसके विपरीत राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन विधायक, एक सांसद और नगर पालिकाओं में कुछ पार्षद और एक प्रधान भी हैं. मतलब राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का राजस्थान में वजूद है, जिसे अन्य इलाकों तक विस्तार करने का काम करने के लिए आरएलपी सुप्रीमो और उनके पदाधिकारियों को पसीना बहाना पड़ेगा.
पढ़ें : बेनीवाल की पायलट को सलाह, कहा- आप राजस्थान का मुख्यमंत्री मत बनिएगा, वरना ठीकरा फूटेगा सिर पर...
क्या टूट पाएगी दो दलीय व्यवस्था, क्या होगा आरएलपी का रोल : राजस्थान के सियासी इतिहास को यदि देखें तो लंबे समय से यहां दो दलीय व्यवस्था रही है, जिसमें कांग्रेस और भाजपा की बदल-बदल कर सरकारें यहां बनी हैं. लेकिन जिस तरह पिछले विधानसभा चुनाव में आरएलपी और भारतीय ट्राइबल पार्टी के कुछ विधायक जीत कर आए और निर्दलीय विधायकों की भी एक अच्छी संख्या देखने को मिली, उसके बाद छोटे राजनीतिक दलों में भी इस बात की उम्मीद जागी कि प्रदेश में दो दलीय व्यवस्था खत्म की जा सकती है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि अन्य छोटे दल अलग-अलग इलाकों में अपनी पुरजोर उपस्थिति दिखाते हुए जनता को अपने दलों से जोड़ सकें.