जयपुर. आयुर्वेद (Ayurved) देश की प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, लेकिन राजस्थान में ये चिकित्सा पद्धति अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है. सरकार की अनदेखी के चलते कई महत्वपूर्ण स्वीकृत पद सालों से खाली हैं. इसका खुलासा हाल ही में विधानसभा में लगाए गए एक प्रश्न के जवाब में हुआ.
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नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया (Leader of Opposition Gulabchand Kataria) ने विधानसभा में प्रश्न संख्या 4057 में सवाल पूछा था. जिसके लिखित उत्तर में सरकार ने आयुर्वेद एवं भारतीय चिकित्सा विभाग (Department of Ayurveda and Indian Medicine) की ओर से आयुर्वेद विभाग में विभिन्न स्तरों पर स्वीकृत, कार्यरत और रिक्त पदों का विवरण दिया है.
- अतिरिक्त निदेशक आयुर्वेद, प्रधान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी एवं व्यवस्थापक रसायनशाला के 133 स्वीकृत पदों में से मात्र 1 पद पर अधिकारी कार्यरत हैं. मतलब 132 पद रिक्त चल रहे हैं.
- उपनिदेशक वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी ग्रेड प्रथम प्रभारी अधिकारी रसायनशाला के 500 पदों में से किसी भी पद पर कोई अधिकारी कार्यरत नहीं हैं. मतलब 500 स्वीकृत पद ही आयुर्वेद विभाग में रिक्त चल रहे हैं.
- सहायक निदेशक वरिष्ठ आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी ग्रेड सेकंड के 15 पदों में से 204 पद रिक्त हैं.
- आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के 2304 स्वीकृत पदों में से 451 पद रिक्त चल रहे हैं.
- आयुर्वेद विभाग के अराजपत्रित पद विभागीय नर्स/ कंपाउंडर संवर्ग के 4083 स्वीकृत पदों में से 1133 पद रिक्त हैं.
- इसके अतिरिक्त चतुर्थ श्रेणी संवर्ग के 3232 स्वीकृत पदों में से 1328 पद रिक्त चल रहे हैं.
- आयुर्वेद नर्सेज के 550 कनिष्ठ आयुर्वेद नर्सेज कंपाउंडर के नियमों में संशोधन सरकार का आधा समय व्यतीत होने के बाद भी अब तक नहीं हो सका.
- आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी के 450 पदों पर नियुक्ति लंबे समय से लंबित है.
आयुर्वेद मंत्री विभाग पर ध्यान देते नहीं जिसके चलते विभाग की हो रही दुर्गति : गुलाबचंद कटारिया
इस मामले में नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने आश्चर्य जताया. कटारिया ने कहा कि विभाग में अधिकारियों और अराजपत्रित कर्मचारियों के लंबे समय से इतने अधिक रिक्त पद होने पर यह विभाग आखिर चल किस तरह होगा, यह सोचने का विषय है. कटारिया ने कहा आयुर्वेद विभाग का प्रशासनिक ढांचा पूरी तरह चरमरा चुका है. जो आयुर्वेद विभाग हमें जीवन जीने की पद्धति सिखाती है और जिस आयुर्वेद औषधियों (Ayurvedic Medicines) की खोज दिव्य पुरुषों ने की है, उसका यह हाल कभी सोचा नहीं था.
कटारिया ने कहा ऐसा लगता है कि विभाग को देखने वाला और उसकी मॉनिटरिंग करने वाला कोई नहीं है. जिसके चलते इस सरकार के समय आयुर्वेद विभाग की दुर्गति हो रही है, क्योंकि पदों को भरने के लिए कोई ठोस प्रयास किए ही नहीं गए.