जयपुर. भर्ती की प्रक्रिया में रही एक खामी के चलते साल 2011 में हुई स्टेनोग्राफर भर्ती में करीब 90 फीसदी पद खाली रह गए थे. दरअसल, उस समय लिखित परीक्षा में 40 फीसदी अंक हासिल करने वालों को स्टेनो की परीक्षा में बैठने की अनुमति दी गई थी, लेकिन इस बार कर्मचारी चयन बोर्ड ने करीब 70 फीसदी कट ऑफ जारी की है. ऐसे में एक बार फिर अधिकतर पद खाली रहने का खतरा मंडरा रहा है. ऐसे में स्टेनोग्राफर भर्ती-2018 के अभ्यर्थियों का कहना है कि न्यूनतम अंक हासिल करने वालों को भी स्टेनो की परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाए.
स्टेनोग्राफर भर्ती-2018 के अभ्यर्थी दीपक मीना का कहना है कि साल 2011 में करीब 600 पदों के लिए भर्ती निकाली गई थी. लेकिन नियुक्ति महज 35 अभ्यर्थियों को ही मिली. इसी तरह स्टेनोग्राफर भर्ती- 2018 में 1211 पद हैं, लेकिन बोर्ड ने 12 गुना अभ्यर्थियों को दूसरे पेपर (स्टेनो परीक्षा) के लिए बुलाया है. इससे कट ऑफ करीब 70 फीसदी रही है.
उनका तर्क है कि स्टेनोग्राफर भर्ती में अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले अभ्यर्थी भी शामिल होते हैं. इससे लिखित परीक्षा की कट ऑफ बढ़ जाती है. लेकिन जब स्टेनो की परीक्षा होती है तो ऐसे अभ्यर्थी पास नहीं हो पाते हैं, जिन्होंने बिना स्टेनो की तैयारी के परीक्षा दी है. इससे ज्यादातर पद खाली रह जाते हैं. साथ ही जिन अभ्यर्थियों ने तीन साल तक स्टेनो की तैयारी की है उनका भी चयन नहीं हो पाता है.
ऐसे में स्टेनोग्राफर भर्ती-2018 के अभ्यर्थियों की मांग है कि लिखित परीक्षा में न्यूनतम अंक हासिल करने वाले अभ्यर्थियों को दूसरे पेपर (स्टेनो परीक्षा) में बैठने की अनुमति दी जाए. इससे जिन अभ्यर्थियों ने स्टेनो की तैयारी की है, उनके साथ न्याय होगा.