जयपुर. राजस्थान कांग्रेस मुख्यालय में 7 अक्टूबर से मंत्री दरबार यानी जनसुनवाई कार्यक्रम शुरू हुआ. जिसमें पहली बार जनसुनवाई मंत्री बीडी कल्ला ने की थी और 7 अक्टूबर से अब तक 3 महीने से ज्यादा का समय हो चुका है. इस दौरान करीब 6500 फरियादी प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मंत्रियों के सामने अपनी फरियाद लेकर पहुंचे.
खास बात यह है कि मंत्री हो या संगठन साफ तौर पर यह कहते हुए नजर आ रहे हैं कि प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में आने वाले लोगों को जनसुनवाई से सीधा फायदा हो रहा है. संगठन की माने तो जनसुनवाई में आई 40 फीसदी समस्याएं तो उसी समय फोन करके दूर कर दी जाती है. वहीं, 15 फीसदी मामले तबादलों से जुड़े हैं, जो तबादले खुलने के बाद ही पूरे हो सकते हैं.
उधर, 10 फीसदी जनसमस्याएं कांग्रेस के उन नेताओं की ही थी. जिन्होंने अपने लिए बोर्ड निगम या आयोग में राजनीतिक नियुक्तियों की मांग की है. इसी तरह से बाकी बची 35 फीसदी समस्याओं के लिए संबंधित विभागों को लिखा गया है. जिनकी स्टेटस रिपोर्ट बकायदा सीएमओ प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय के साथ ही प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे के जरिए दिल्ली भी पहुंचाई जाती है.
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राजस्थान कांग्रेस मुख्यालय में जब से जन सुनवाई शुरू हुई है तब से लेकर अब तक सबसे ज्यादा फरियादी अगर किसी मंत्री की जनसुनवाई में पहुंचे हैं, तो वह मंत्री रमेश मीणा है. अकेले रमेश मीणा ने तीन बार की अपनी जनसुनवाई में 1200 के करीब लोगों की जनसुनवाई की है. इसके बाद दूसरे नंबर पर आते हैं मंत्री शांति धारीवाल जो अपनी दो बार की जनसुनवाई में 500 लोगों की जनसुनवाई कर चुके हैं.
वहीं, मंत्री प्रताप सिंह भी अपनी तीन जनसुनवाई में 400 और मंत्री लालचंद कटारिया चार जनसुनवाई में करीब 400 लोगों की जन सुनवाई कर चुके हैं. अगर बात करें सबसे ज्यादा बाद जनसुनवाई करने की तो प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में पहुंचने वाले मंत्रियों में सबसे ज्यादा बार जनसुनवाई करने पहुंचने वाले मंत्री भजन लाल जाटव है. जिन्होंने अब तक पांच बार जनसुनवाई की है. उसके बाद मंत्री बीडी कल्ला और लालचंद कटारिया चार-चार बार जनसुनवाई कर चुके हैं.
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जनसुनवाई में कुछ मंत्री पीछे भी रह गए...
ऐसा नहीं है कि प्रदेश में अब तक प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में हुई जनसुनवाई में सभी मंत्री पहुंचे हो. प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में होने वाली जनसुनवाई से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को अलग रखा गया है. मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अपने निवास पर जनसुनवाई करते हैं. इन दोनों के अलावा एक मात्र पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह ऐसे मंत्री है जो एक बार भी जनसुनवाई करने नहीं पहुंचे हैं. वहीं, शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा और राजस्व मंत्री हरीश चौधरी भी केवल एक बार ही जन सुनवाई करने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे.
वहीं, जनसुनवाई से जुड़ी एक रोचक बात ये है कि मंत्री सुभाष गर्ग कांग्रेस के नहीं हैं लेकिन मंत्री होने के नाते वो कांग्रेस मुख्यालय पर जनसुनवाई के लिए पहुंचे. वह आरएलडी से चुनाव जीते हैं लेकिन फिर भी वह गठबंधन के तहत प्रदेश में मंत्री बने. जिसके तहत उन्होंने कांग्रेस मुख्यालय पर जनसुनवाई की.