जयपुर. प्रदेश में तेजी से बढ़ रहे कोरोना के संक्रमण के बीच बिजली कर्मचारियों की जिंदगी दांव पर लगी है. बावजूद इसके न तो कर्मचारियों का अब तक कोरोना वैक्सीनेशन हुआ और न सरकार का पहले किया गया वादा पूरा हो पाया.
कोरोना की पहली लहर जितना आतंक नहीं मचाया उससे ज्यादा तबाही दूसरी लहर में मचा दी. विकराल रूप लेते कोरोना के संक्रमण के बीच भी प्रदेशवासियों को निर्बाध बिजली की आपूर्ति मिले इसके लिए सरकारी क्षेत्र की पांचों बिजली कंपनियों के कर्मचारी लगातार जुटे हैं. राजस्थान में संचालित विद्युत क्षेत्र की पांचों कंपनियों राजस्थान विद्युत प्रसारण निगम, उत्पादन निगम, जयपुर डिस्कॉम, अजमेर डिस्कॉम और जोधपुर डिस्कॉम में कुल 59157 स्थाई कर्मचारी है.
इनमें से अब तक 65 से ज्यादा कर्मचारी कोरोना संक्रमण के चलते मौत का शिकार हो चुके हैं. वहीं 2516 कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं. इसके अलावा 1294 कर्मचारी ऐसे हैं जो फिलहाल होम क्वॉरेंटाइन है. अब आपको बताते हैं कि इस बिजली कंपनी में कितने कर्मचारियों को कोरोना का दंश झेलना पड़ा है.
कोरोना का कहर, वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार
बिजली से जुड़े कर्मचारियों को कोरोना वॉरियर्स तो माना लेकिन प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीनेशन करवाने में लेटलतीफी की. अप्रैल के अंत मे डिस्कॉम और बिजली कंपनियों के तमाम आला अधिकारियों ने कई बार स्वास्थ्य महकमे से जुड़े अधिकारियों को इस बारे का निवेदन किया कि बिजली कर्मचारियों के लिए स्पेशल कोरोना वैक्सीनेशन कैंप लगाएं. लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया.
जब उच्च अधिकारियों ने दखल दिया तब कहीं जाकर 6 मई से विद्युत भवन सहित कुछ कार्यालय में यह कैंप लगाने की शुरुआत हुई. लेकिन अब भी आंकड़े बताते हैं कि इन पांचों बिजली कंपनियों के कर्मचारियों में से करीब 30.69% ही कर्मचारियों को कोरोना का टीका लग पाया हो पाया है. मतलब 59157 कर्मचारियों में से करीब 40 हजार कर्मचारियों को अब भी कोरोना का वैक्सीन लगना बाकी है. इससे विद्युत क्षेत्र के कर्मचारी संगठन और उनके पदाधिकारियों में नाराजगी भी है. जो कर्मचारी कोरोना संक्रमित हो गया उन्हें छुट्टी उनकी मेडिकल अवकाश होते से ही मिलेगी अलग से 14 दिनों का अवकाश नहीं है. मतलब किसी के खाते में मेडिकल लीव खत्म हो चुकी है तो फिर उसका वेतन कटेगा.
एवरेज बिल हो रहे जारी, ऑनलाइन सेवाओं पर जोर
हालांकि बिजली कंपनियों ने खासतौर पर डिस्कॉम ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए 31 मई तक बिजली का कनेक्शन नहीं काटने का ऐलान किया है. ऊर्जा मंत्री डॉ बी डी कल्ला के अनुसार मई माह का भी औसत बिल ही जारी किया जाएगा. बिल जमा करने से लेकर बिजली से जुड़ी शिकायतों को भी ऑनलाइन तरीके से ही दर्ज कराया जा सकता है. जिसका तुरंत समय पर समाधान करने की गारंटी डिस्कॉम ले रही है. कल्ला के अनुसार यह सब इसलिए किया जा रहा है. ताकि कर्मचारी और आम बिजली उपभोक्ताओं को कोरोना के संक्रमण से बचाया जा सके.
कोरोना वॉरियर्स माना, 50 लाख का सुरक्षा कवच अधूरा
ऊर्जा मंत्री ने कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए जो उपाय किए जा रहे हैं उसकी तो जानकारी दे दी. लेकिन पिछले साल अप्रैल में कोरोना की पहली लहर के दौरान सरकार ने जो वादा किया था वो अब तक अधूरा है. मतलब बिजली कर्मियों को एक्स ग्रेसिया योजना के तहत कोरोना मृत्यु पर पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपए की अनुग्रह राशि नहीं मिल पा रही है.
वो इसलिए क्योंकि बिजली कंपनियां अब तक यह तय नहीं कर पाई कि उनका कौन सा कर्मचारी कोरोना वॉरियर्स माना जाए. जबकि विद्युत मंडल मजदूर फेडरेशन राजस्थान से जुड़े पदाधिकारी और कर्मचारी नेताओं का कहना है कि बिजली कंपनियों में काम करने वाला प्रत्येक कर्मचारी कोरोना वॉरियर्स है और विभाग को यह मानते हुए एक्स ग्रेसिया योजना का लाभ देना चाहिए. यही नहीं, कर्मचारी संगठनों ने यह तक कह दिया कि यदि प्रशासन इस ओर सकारात्मक निर्णय नहीं लेता तो मजबूरन बिजली कर्मचारियों को इस महामारी के दौर में आंदोलन जैसा सख्त कदम भी उठाना पड़ सकता है.
बहरहाल सरकारी क्षेत्र की बिजली कंपनियों में तैनात कर्मचारी इस महामारी के दौर में भी आम उपभोक्ताओं को निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए काम में जुटा है. लेकिन कोरोना का करंट उन्हें ही डस रहा है. ऐसे में सरकार और ऊर्जा विभाग की कर्मचारियों के प्रति जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है कि उन्हें ना केवल स्वास्थ्य से जुड़ी सुरक्षा दी जाए बल्कि जो वादे बतौर कोरोना वॉरियर्स मानते हुए इनसे किए गए थे उसे भी पूरा करें. ताकि यह भी पूरे मनोयोग से अपने दायित्व का निर्वहन कर सकें.