जयपुर. पंचायत चुनावों के खत्म होते ही विधानसभा का सत्र 9 सितंबर से आहूत किया जा रहा है. संसदीय कार्य एवं विधि विभाग ने फाइल भेजी थी, जिसे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अनुमोदन कर दिया है.
दरअसल, बजट सत्र के सत्रावसान नहीं होने की स्थिति में छह महीने की संवैधानिक बाध्यता के कारण सरकार को 18 सितंबर से पहले सत्र बुलाना था. ऐसे में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 9 सितंबर से विधानसभा का सत्र शुरू करने की फाइल का अनुमोदन कर दिया है.
माना यह जा रहा है कि कोरोना संक्रमण के बीच शुरू हो रहे इस मानसून सत्र को संक्षिप्त रखा जाएगा. सूत्रों की मानें तो मानसून सत्र पांच से छह दिन चल सकता है. इस सत्र में सरकार 11-12 विधेयक लाने की तैयारी कर रही है. बुधवार को कैबिनेट की बैठक बुलाकर विधानसभा का सत्र बुलाए जाने का प्रस्ताव को मंजूरी दी जाएगी. हालांकि, पूर्व सत्र का सत्रावसान नहीं होने की स्थिति में राजभवन से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है.
15वीं विधानसभा का छठवां सत्र
15वीं विधानसभा का छठवां सत्र जो बजट सत्र के रूप में बुलाया गया था. उसका सत्रावसान नहीं होने की स्थिति में इस सत्र को 15वीं विधानसभा का छठवां सत्र कहा जाएगा. हालांकि, मानसून के दौरान आने वाले इस विधानसभा क्षेत्र को मानसून सत्र के नाम से बोला जा सकता है. सत्रावसान नहीं होने की स्थिति में सरकार को विधानसभा सत्र बुलाने के लिए राज्यपाल से भी मंजूरी की आवश्यकता नहीं है.
संवैधानिक रूप से सरकार को 6 महीने के भीतर सत्र बुलाना होता है. अगर 6 महीने के भीतर सत्र नहीं बुलाया जाता है तो राज्यपाल के जरिए सत्र का सत्रावसान कर दिया जाता है, लेकिन सरकार 18 सितंबर को 6 महीने पूरे होने से पूर्व में यह सत्र बुला रही है तो उसे छठवां सत्र पुनः आहूत किया जाना कहा जाएगा.
मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल पर गहराया संकट
प्रदेश में चल रही मौजूदा सियासी उठापटक के बीच यह माना जा रहा था कि पंचायत समिति चुनाव खत्म होने के बाद गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में फेरबदल या विस्तार किया जा सकता है. लेकिन 9 सितंबर से बजट सत्र आहूत होने पर एक बार फिर मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल पर संकट गहरा गया है. माना जा रहा है कि विधानसभा सत्र आहूत होने के बाद मंत्रिमंडल विस्तार या फेबदल नहीं किया जा सकेगा.