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जयुपर में अतिवृष्टि से हुआ था बड़ा नुकसान..जिला प्रशासन ने 266 में से 74 पीड़ितों को ही दिया मुआवजा

14 अगस्त को जयपुर शहर में आई तेज बारिश ने दिल्ली रोड इलाके सहित कई जगहों पर कहर बरपाया. दिल्ली रोड पर पहाड़ पर एनीकट टूटने से आसपास की बस्तियों में काफी नुकसान हुआ था. तेज बारिश के कारण हुए नुकसान को लेकर जिला प्रशासन के पास 266 पीड़ितों ने आवेदन किया था. लेकिन जिला प्रशासन की ओर से मात्र 74 लोगों को ही मुआवजा दिया गया है.

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अतिवृष्टि से लोगों को हुआ बड़ा नुकसान
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Published : Nov 20, 2020, 8:54 PM IST

जयपुर. जिले में मानसून के दौरान अतिवृष्टि से कई जगहों पर भयावह हालात देखने को मिले थे. 14 अगस्त को जयपुर शहर में आई तेज बारिश ने दिल्ली रोड इलाके सहित कई जगहों पर कहर बरपाया था. दिल्ली रोड पर पहाड़ पर एनीकट टूटने से आसपास के इलाकों में काफी नुकसान हुआ था. लोगों के घरों में पानी के साथ साथ एनीकट की मिट्टी भी घुस गई थी. जिसके कारण उनके मकानों को काफी नुकसान हुआ था.

जयपुर में 14 अगस्त की बारिश ने बरपाया था कहर, राहत ऊंट के मुंह में जीरा

लेकिन राहत के नाम पर पीड़ितों को अभी तक इंतजार करना पड़ रहा है. जिला प्रशासन की ओर से महज 28 फीसदी लोगों को ही मुआवजा दिया गया है. जयपुर शहर में 14 अगस्त को आयी बारिश से सबसे अधिक तबाही दिल्ली रोड इलाके में देखने को मिली थी.

गलता की तलहटी में बसी लाल डूंगरी में पहाड़ का एनीकट टूटने से दो से ढाई फीट तक की मिट्टी बारिश के साथ बहकर आयी और लोगों के घरों में घुस गई थी. लोगों के घरों को काफी नुकसान हुआ. लोगों के रोजगार के साधन साइकिल रिक्शा, ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा, लोडिंग टेंपो आदि मिट्टी में दफन हो गए थे. यहां रहने वाले लोग अधिकतर मजदूर वर्ग के थे और इन्हीं साधनों के जरिए वे अपनी रोजी रोटी कमाकर परिवार का पेट पालते थे. इन लोगों के रोजगार के साधन ही मिट्टी में दफन हो गए.

जिला प्रशासन ने उनके घावों पर नमक छिड़कने का काम किया. प्रशासन की ओर से कई दिनों तक इनकी कोई सुध नहीं ली गई. ना ही मुआवजे का ऐलान किया गया. जब मुआवजा दिया गया वह ऊंट के मुंह मे जीरा ही साबित हुआ. काफी दिनों तक जिला प्रशासन ने मिट्टी को बाहर निकालने का कोई प्रयास नहीं किया. जयपुर जिला प्रशासन निगम और जेडीए मामले से पल्ला झाड़ते रहे.

अब तक 28 फीसदी को ही मिला मुआवजा

जिला प्रशासन के पास 266 लोगों ने आवेदन किया था. लेकिन जिला प्रशासन की ओर से मात्र 74 लोगों को ही मुआवजा दिया गया है. यानी अभी तक मत 28 फीसदी लोगों तक ही मुआवजा पहुंचा है. बाकी लोग आज भी मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं.

इस तरह 74 लोगों को दी गई सहायता

सरकार की ओर से 61 लोगों को राज्य आपदा मोचन निधि और आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से मुआवजा दिया गया है. राज्य आपदा मोचन निधि की ओर से एक पीड़ित को 2 हजार रुपये की सहायता दी गयी है, इस हिसाब से सभी पीड़ितों को 1 लाख 22 हजार रुपये का मुआवजा दिया गया है. इन्हीं 61 पीड़ितों को आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से 109800 रुपये की सहायता दी गई है. इस तरह आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से प्रत्येक पीड़ित को 1800 रुपये की सहायता दी गई है.

पढ़ेंः SPECIAL STORY: जयपुर में अतिवृष्टि जैसे हालातों से निपटने के लिए हम तैयार हैं - निगम आयुक्त

इसके अलावा तीन पीड़ितों को आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से 285300 की सहायता दी गई है. इन सभी के मकान पूर्ण क्षतिग्रस्त स्थिति में थे. इसलिए हर एक पीड़ित को 95100 रुपये की सहायता दी गयी है. इसके अलावा 5 लोगों को आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से 26 हजार रुपये की सहायता दी गई है. इनमें प्रत्येक पीड़ित का घर गंभीर क्षतिग्रस्त स्थिति में था, इसलिए हर पीड़ित को 5200 रुपये की सहायता दी गई है.

5 अन्य लोगों को आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से 16 हजार की आर्थिक सहायता दी गई है. यह सहायता आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से दी गई है. इनके कच्चे मकान गंभीर क्षतिग्रस्त अवस्था में थे. इस तरह अब तक पीड़ितों को जिला प्रशासन की ओर से केवल 5 लाख 59 हजार 100 रुपये ही मुआवजे के रूप में दिए गए हैं.

नियम अनुसार दिया है मुआवजा

अतिरिक्त जिला कलेक्टर दक्षिण शंकर लाल सैनी ने बताया कि अतिवृष्टि से जिन लोगों के मकानों को नुकसान हुआ है. उन्हें मुआवजा राशि जारी कर दी गई है. जब नुकसान हुआ तो पटवारी और तहसीलदार से सर्वे कराया गया था और नियमानुसार लोगों को मुआवजा दिया गया है. सैनी ने बताया कि कुछ पीड़ित वन भूमि या फिर सरकारी जमीन पर काबिज थे. जिनके घरों को भी नुकसान हुआ था और नियमानुसार उन्हें मुआवजा नहीं दिया जा सकता.

इसके अलावा कुछ पीड़ित ऐसे भी हैं, जिन्होंने स्वामित्व संबंधी दस्तावेज पेश नहीं किए हैं. उनकी फाइल को तहसीलदार को वापस लौटाया गया है और उन्हें दस्तावेजों की पूर्ति करने के लिए कहा गया है, जब भी दस्तावेज पूरे कर दिए जाएंगे. उन पीड़ितों को भी मुआवजा दे दिया जाएगा. मुआवजा कम मिलने के सवाल पर शंकर लाल सैनी ने कहा कि नियमानुसार पीड़ितों को जो मुआवजा बनाता है, वही मुआवजा उन्हें दिया गया है.

पढ़ेंः बांसवाड़ाः बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचे किसान, अतिवृष्टि से हुए नुकसान की गिरदावरी करवाने की उठाई मांग

पीड़ितों ने कहा मुआवजा नहीं आश्वासन ही मिला

जिन इलाकों में तेज बारिश ने कहर बरपाया था, वहां काफी नुकसान हुआ है. पीड़ितों का भी कहना है कि लोग आते हैं सुनते हैं और आश्वासन भी देते हैं. लेकिन अभी तक कोई मुआवजा हम लोगों को नहीं मिला है. 3 महीने बाद भी यहां के लोग मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं.

इन इलाकों में हुआ नुकसान

गलता की तलहटी पर बसी लाल डूंगरी के अलावा जवाहर नगर कच्ची बस्ती, दिल्ली रोड के इलाकों, जामडोली, विजयपुरा, जल महल, सुंदर नगर, कलीम बस्ती, बगराना आदि ऐसे स्थान है जहां अतिवृष्टि से काफी ज्यादा नुकसान हुआ है.

जयपुर. जिले में मानसून के दौरान अतिवृष्टि से कई जगहों पर भयावह हालात देखने को मिले थे. 14 अगस्त को जयपुर शहर में आई तेज बारिश ने दिल्ली रोड इलाके सहित कई जगहों पर कहर बरपाया था. दिल्ली रोड पर पहाड़ पर एनीकट टूटने से आसपास के इलाकों में काफी नुकसान हुआ था. लोगों के घरों में पानी के साथ साथ एनीकट की मिट्टी भी घुस गई थी. जिसके कारण उनके मकानों को काफी नुकसान हुआ था.

जयपुर में 14 अगस्त की बारिश ने बरपाया था कहर, राहत ऊंट के मुंह में जीरा

लेकिन राहत के नाम पर पीड़ितों को अभी तक इंतजार करना पड़ रहा है. जिला प्रशासन की ओर से महज 28 फीसदी लोगों को ही मुआवजा दिया गया है. जयपुर शहर में 14 अगस्त को आयी बारिश से सबसे अधिक तबाही दिल्ली रोड इलाके में देखने को मिली थी.

गलता की तलहटी में बसी लाल डूंगरी में पहाड़ का एनीकट टूटने से दो से ढाई फीट तक की मिट्टी बारिश के साथ बहकर आयी और लोगों के घरों में घुस गई थी. लोगों के घरों को काफी नुकसान हुआ. लोगों के रोजगार के साधन साइकिल रिक्शा, ऑटो रिक्शा, ई-रिक्शा, लोडिंग टेंपो आदि मिट्टी में दफन हो गए थे. यहां रहने वाले लोग अधिकतर मजदूर वर्ग के थे और इन्हीं साधनों के जरिए वे अपनी रोजी रोटी कमाकर परिवार का पेट पालते थे. इन लोगों के रोजगार के साधन ही मिट्टी में दफन हो गए.

जिला प्रशासन ने उनके घावों पर नमक छिड़कने का काम किया. प्रशासन की ओर से कई दिनों तक इनकी कोई सुध नहीं ली गई. ना ही मुआवजे का ऐलान किया गया. जब मुआवजा दिया गया वह ऊंट के मुंह मे जीरा ही साबित हुआ. काफी दिनों तक जिला प्रशासन ने मिट्टी को बाहर निकालने का कोई प्रयास नहीं किया. जयपुर जिला प्रशासन निगम और जेडीए मामले से पल्ला झाड़ते रहे.

अब तक 28 फीसदी को ही मिला मुआवजा

जिला प्रशासन के पास 266 लोगों ने आवेदन किया था. लेकिन जिला प्रशासन की ओर से मात्र 74 लोगों को ही मुआवजा दिया गया है. यानी अभी तक मत 28 फीसदी लोगों तक ही मुआवजा पहुंचा है. बाकी लोग आज भी मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं.

इस तरह 74 लोगों को दी गई सहायता

सरकार की ओर से 61 लोगों को राज्य आपदा मोचन निधि और आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से मुआवजा दिया गया है. राज्य आपदा मोचन निधि की ओर से एक पीड़ित को 2 हजार रुपये की सहायता दी गयी है, इस हिसाब से सभी पीड़ितों को 1 लाख 22 हजार रुपये का मुआवजा दिया गया है. इन्हीं 61 पीड़ितों को आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से 109800 रुपये की सहायता दी गई है. इस तरह आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से प्रत्येक पीड़ित को 1800 रुपये की सहायता दी गई है.

पढ़ेंः SPECIAL STORY: जयपुर में अतिवृष्टि जैसे हालातों से निपटने के लिए हम तैयार हैं - निगम आयुक्त

इसके अलावा तीन पीड़ितों को आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से 285300 की सहायता दी गई है. इन सभी के मकान पूर्ण क्षतिग्रस्त स्थिति में थे. इसलिए हर एक पीड़ित को 95100 रुपये की सहायता दी गयी है. इसके अलावा 5 लोगों को आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से 26 हजार रुपये की सहायता दी गई है. इनमें प्रत्येक पीड़ित का घर गंभीर क्षतिग्रस्त स्थिति में था, इसलिए हर पीड़ित को 5200 रुपये की सहायता दी गई है.

5 अन्य लोगों को आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से 16 हजार की आर्थिक सहायता दी गई है. यह सहायता आपदा प्रबंधन और सहायता विभाग की ओर से दी गई है. इनके कच्चे मकान गंभीर क्षतिग्रस्त अवस्था में थे. इस तरह अब तक पीड़ितों को जिला प्रशासन की ओर से केवल 5 लाख 59 हजार 100 रुपये ही मुआवजे के रूप में दिए गए हैं.

नियम अनुसार दिया है मुआवजा

अतिरिक्त जिला कलेक्टर दक्षिण शंकर लाल सैनी ने बताया कि अतिवृष्टि से जिन लोगों के मकानों को नुकसान हुआ है. उन्हें मुआवजा राशि जारी कर दी गई है. जब नुकसान हुआ तो पटवारी और तहसीलदार से सर्वे कराया गया था और नियमानुसार लोगों को मुआवजा दिया गया है. सैनी ने बताया कि कुछ पीड़ित वन भूमि या फिर सरकारी जमीन पर काबिज थे. जिनके घरों को भी नुकसान हुआ था और नियमानुसार उन्हें मुआवजा नहीं दिया जा सकता.

इसके अलावा कुछ पीड़ित ऐसे भी हैं, जिन्होंने स्वामित्व संबंधी दस्तावेज पेश नहीं किए हैं. उनकी फाइल को तहसीलदार को वापस लौटाया गया है और उन्हें दस्तावेजों की पूर्ति करने के लिए कहा गया है, जब भी दस्तावेज पूरे कर दिए जाएंगे. उन पीड़ितों को भी मुआवजा दे दिया जाएगा. मुआवजा कम मिलने के सवाल पर शंकर लाल सैनी ने कहा कि नियमानुसार पीड़ितों को जो मुआवजा बनाता है, वही मुआवजा उन्हें दिया गया है.

पढ़ेंः बांसवाड़ाः बड़ी संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचे किसान, अतिवृष्टि से हुए नुकसान की गिरदावरी करवाने की उठाई मांग

पीड़ितों ने कहा मुआवजा नहीं आश्वासन ही मिला

जिन इलाकों में तेज बारिश ने कहर बरपाया था, वहां काफी नुकसान हुआ है. पीड़ितों का भी कहना है कि लोग आते हैं सुनते हैं और आश्वासन भी देते हैं. लेकिन अभी तक कोई मुआवजा हम लोगों को नहीं मिला है. 3 महीने बाद भी यहां के लोग मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं.

इन इलाकों में हुआ नुकसान

गलता की तलहटी पर बसी लाल डूंगरी के अलावा जवाहर नगर कच्ची बस्ती, दिल्ली रोड के इलाकों, जामडोली, विजयपुरा, जल महल, सुंदर नगर, कलीम बस्ती, बगराना आदि ऐसे स्थान है जहां अतिवृष्टि से काफी ज्यादा नुकसान हुआ है.

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