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Monkeypox Alert in Rajasthan : WHO ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी किया घोषित, राजस्थान में अलर्ट जारी...SMS अस्पताल में विशेष इंतजाम

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Published : Jul 25, 2022, 9:03 PM IST

डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है. हाल ही में देश की राजधानी दिल्ली में इसका पहला मामला सामने आया है. राजस्थान में भी इसे लेकर अलर्ट जारी किया गया (Monkeypox alert in Rajasthan) है. प्रदेश के सभी स्वास्थ्य केंद्रों, अस्पतालों को इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं.

Monkeypox alert in Rajasthan as WHO declare it global health emergency
मंकीपॉक्स ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी किया घोषित, राजस्थान में अलर्ट जारी, SMS अस्पताल में विशेष इंतजाम

जयपुर. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स बीमारी को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है. दिल्ली में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है, जिसके बाद राजस्थान में भी इसे लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया (Monkeypox alert in Rajasthan) है और चिकित्सा विभाग की ओर सीएचसी-पीएचसी से लेकर जिला अस्पताल और सभी मेडिकल कॉलेजों को निर्देश जारी किए गए हैं.

डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स बीमारी को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है. डब्ल्यूएचओ ने दावा किया है कि मंकीपॉक्स एक संक्रामक वायरल बीमारी है, जो मनुष्य को भी अपनी चपेट में ले रही है. अब यह वायरस भारत सहित विश्व के 70 से अधिक देशों में फैल चुका है और बीते दिनों राजस्थान से सटे हुए दिल्ली में भी एक मामला मंकीपॉक्स से जुड़ा सामने आया है. अब तक देश में 4 मामले मंकीपॉक्स से जुड़े सामने आए हैं. मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ नरोत्तम शर्मा का कहना है कि चिकित्सा विभाग की ओर से मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट जारी किया गया है.

राजस्थान में मंकीपॉक्स को लेकर क्या है तैयारी, जानिए एक्सपर्ट से...

सभी सीएचसी-पीएचसी और जिला अस्पतालों को निर्देश जारी किए गए हैं कि यदि मंकीपॉक्स के लक्षण किसी मरीज में देखने को मिले तो तो उसे एसएमएस अस्पताल में रैफर किया (Monkeypox treatment in SMS Hospital) जाए. वहीं सवाई मानसिंह अस्पताल के अधीक्षक डॉ विनय मल्होत्रा का कहना है कि मंकीपॉक्स के अलर्ट के बाद अस्पताल में विशेष व्यवस्था की गई है और इस तरह के मरीजों को इंफेक्शन डिजीज हॉस्पिटल में भर्ती किया जाएगा. ताकि ऐसे मरीजों को अन्य मरीजों से अलग रखा जा सके और आमतौर पर संक्रमण से जूझ रहे मरीजों को इसी अस्पताल में भर्ती किया जाता है. चिकित्सकों का कहना है कि विश्व के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. बताया जा रहा है कि यह एक संक्रामण बीमारी है जो ह्यूमन टू ह्यूमन आसानी से फैल सकती है.

विदेश से आने वाले मरीजों पर विशेष नजर: नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने इसे लेकर एक विस्तृत गाइडलाइन भी जारी की है और कहा है कि ऐसे देशों से आने वाले यात्रियों पर विशेष नजर रखें, जहां मंकीपॉक्स के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. आमतौर पर यह बीमारी जानवरों से मनुष्य में पहुंचती है लेकिन यदि एक बार मनुष्य से संक्रमित हो जाए तो अन्य मनुष्य भी आसानी से चपेट में आ सकता है. इस बीमारी की चपेट में आने के बाद मरीज के शरीर पर रैशेज होने लगते हैं और इसके तुरंत बाद वह इंफेक्शन में तब्दील हो जाते हैं और शरीर पर फफोले पड़ जाते हैं. ऐसे में यदि किसी भी व्यक्ति में अचानक रैशेज यानी शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने लगे तो तुरंत चिकित्सक की सलाह लेना जरूरी है. इसके अलावा ऐसा व्यक्ति जो हाल ही में विदेश यात्रा से लौटा है और खासकर उस देश से जहां मंकीपॉक्स के मामले देखने को मिले हैं तो ऐसे व्यक्ति को 21 दिन तक आइसोलेट करना जरूरी है.

पढ़ें : Monkeypox Cases In India: हिमाचल घूमने आया था मंकीपॉक्स पॉजिटिव व्यक्ति, प्रदेश में Contact Tracing शुरू

क्या है मंकीपॉक्स: मंकीपॉक्स एक संक्रामक यानी वायरस जनित बीमारी है और आमतौर पर यह बंदरों में पाई जाती है. लेकिन इसके कुछ मामले विश्व के कुछ देशों में इंसानों में भी सामने आए हैं. जब इंसान इस बीमारी की चपेट में आता है तो उसके शरीर पर चेचक जैसे दाग दिखना शुरू हो जाते हैं. हालांकि चिकित्सक इसे एक दुर्लभ जूनोटिक बीमारी मानते हैं और आमतौर पर यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सबसे अधिक देखने को मिलती है. इसके अलावा पश्चिमी अफ्रीका के कुछ देशों में इस बीमारी के लक्षण पहले भी देखे गए हैं लेकिन फिलहाल विश्व के कुछ देशों में तेजी से इस बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं.

क्या है लक्षण: मंकीपॉक्स के लक्षणों की बात करें तो जब व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में आता है तो उसे तेज बुखार, शरीर पर चकत्ते और फफोले, गले में संक्रमण जैसे लक्षण दिखाई देते (Symptoms of Monkeypox) हैं. यह बीमारी आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक चलती है और इसके बाद धीरे-धीरे मरीज ठीक होने लगता है. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की ओर से जारी किए गए अलर्ट के अनुसार मंकीपॉक्स का वायरस आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. इसके अलावा काटने या खरोंचने से भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है.

जयपुर. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन यानी डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स बीमारी को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर दिया है. दिल्ली में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है, जिसके बाद राजस्थान में भी इसे लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया (Monkeypox alert in Rajasthan) है और चिकित्सा विभाग की ओर सीएचसी-पीएचसी से लेकर जिला अस्पताल और सभी मेडिकल कॉलेजों को निर्देश जारी किए गए हैं.

डब्ल्यूएचओ ने मंकीपॉक्स बीमारी को ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया है. डब्ल्यूएचओ ने दावा किया है कि मंकीपॉक्स एक संक्रामक वायरल बीमारी है, जो मनुष्य को भी अपनी चपेट में ले रही है. अब यह वायरस भारत सहित विश्व के 70 से अधिक देशों में फैल चुका है और बीते दिनों राजस्थान से सटे हुए दिल्ली में भी एक मामला मंकीपॉक्स से जुड़ा सामने आया है. अब तक देश में 4 मामले मंकीपॉक्स से जुड़े सामने आए हैं. मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ नरोत्तम शर्मा का कहना है कि चिकित्सा विभाग की ओर से मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट जारी किया गया है.

राजस्थान में मंकीपॉक्स को लेकर क्या है तैयारी, जानिए एक्सपर्ट से...

सभी सीएचसी-पीएचसी और जिला अस्पतालों को निर्देश जारी किए गए हैं कि यदि मंकीपॉक्स के लक्षण किसी मरीज में देखने को मिले तो तो उसे एसएमएस अस्पताल में रैफर किया (Monkeypox treatment in SMS Hospital) जाए. वहीं सवाई मानसिंह अस्पताल के अधीक्षक डॉ विनय मल्होत्रा का कहना है कि मंकीपॉक्स के अलर्ट के बाद अस्पताल में विशेष व्यवस्था की गई है और इस तरह के मरीजों को इंफेक्शन डिजीज हॉस्पिटल में भर्ती किया जाएगा. ताकि ऐसे मरीजों को अन्य मरीजों से अलग रखा जा सके और आमतौर पर संक्रमण से जूझ रहे मरीजों को इसी अस्पताल में भर्ती किया जाता है. चिकित्सकों का कहना है कि विश्व के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. बताया जा रहा है कि यह एक संक्रामण बीमारी है जो ह्यूमन टू ह्यूमन आसानी से फैल सकती है.

विदेश से आने वाले मरीजों पर विशेष नजर: नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ने इसे लेकर एक विस्तृत गाइडलाइन भी जारी की है और कहा है कि ऐसे देशों से आने वाले यात्रियों पर विशेष नजर रखें, जहां मंकीपॉक्स के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. आमतौर पर यह बीमारी जानवरों से मनुष्य में पहुंचती है लेकिन यदि एक बार मनुष्य से संक्रमित हो जाए तो अन्य मनुष्य भी आसानी से चपेट में आ सकता है. इस बीमारी की चपेट में आने के बाद मरीज के शरीर पर रैशेज होने लगते हैं और इसके तुरंत बाद वह इंफेक्शन में तब्दील हो जाते हैं और शरीर पर फफोले पड़ जाते हैं. ऐसे में यदि किसी भी व्यक्ति में अचानक रैशेज यानी शरीर पर लाल चकत्ते पड़ने लगे तो तुरंत चिकित्सक की सलाह लेना जरूरी है. इसके अलावा ऐसा व्यक्ति जो हाल ही में विदेश यात्रा से लौटा है और खासकर उस देश से जहां मंकीपॉक्स के मामले देखने को मिले हैं तो ऐसे व्यक्ति को 21 दिन तक आइसोलेट करना जरूरी है.

पढ़ें : Monkeypox Cases In India: हिमाचल घूमने आया था मंकीपॉक्स पॉजिटिव व्यक्ति, प्रदेश में Contact Tracing शुरू

क्या है मंकीपॉक्स: मंकीपॉक्स एक संक्रामक यानी वायरस जनित बीमारी है और आमतौर पर यह बंदरों में पाई जाती है. लेकिन इसके कुछ मामले विश्व के कुछ देशों में इंसानों में भी सामने आए हैं. जब इंसान इस बीमारी की चपेट में आता है तो उसके शरीर पर चेचक जैसे दाग दिखना शुरू हो जाते हैं. हालांकि चिकित्सक इसे एक दुर्लभ जूनोटिक बीमारी मानते हैं और आमतौर पर यह उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सबसे अधिक देखने को मिलती है. इसके अलावा पश्चिमी अफ्रीका के कुछ देशों में इस बीमारी के लक्षण पहले भी देखे गए हैं लेकिन फिलहाल विश्व के कुछ देशों में तेजी से इस बीमारी के मामले बढ़ रहे हैं.

क्या है लक्षण: मंकीपॉक्स के लक्षणों की बात करें तो जब व्यक्ति इस बीमारी की चपेट में आता है तो उसे तेज बुखार, शरीर पर चकत्ते और फफोले, गले में संक्रमण जैसे लक्षण दिखाई देते (Symptoms of Monkeypox) हैं. यह बीमारी आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक चलती है और इसके बाद धीरे-धीरे मरीज ठीक होने लगता है. नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल की ओर से जारी किए गए अलर्ट के अनुसार मंकीपॉक्स का वायरस आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है. इसके अलावा काटने या खरोंचने से भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है.

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