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मेयर-आयुक्त विवाद में पक्षकार बनना चाहते हैं मोहनलाल...कहा- शहर की छवि धूमिल हुई हमें भी सुने कोर्ट - Rajasthan Civil Services Appellate Tribunal

नगर निगम ग्रेटर की निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर और आयुक्त के बीच हुआ विवाद कोर्ट पहुंचा. शहर के नागरिक मोहनलाल ने कोर्ट में पक्षकार बनाने का प्रार्थना पत्र लगाया है. वे कहते हैं कि इस विवाद से शहर की छवि धूमिल हुई है.

Mohanlal Nama Party Case
पक्षकार बनना चाहते हैं मोहनलाल
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Published : Jun 12, 2021, 9:33 PM IST

जयपुर. तिलक नगर निवासी मोहनलाल नामा को इससे पूर्व सचिन पायलट को विधानसभा अध्यक्ष की ओर से दिए नोटिस के मामले में भी हाईकोर्ट ने पक्षकार बनाया था.

नामा की ओर से अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता योगेश टेलर ने बताया कि निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर और निगम आयुक्त का विवाद शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है. नौकरशाही और राजनेताओं के बीच रिश्वत के विवाद से देश में शहर की छवि धूमिल हुई है. जिसके कारण स्थानीय लोग भी प्रभावित हुए हैं. इसलिए प्रकरण में उन्हें पक्षकार बनाकर सुना जाए.

गौरतलब है कि सौम्या गुर्जर ने अपने निलंबन के खिलाफ हाईकोर्ट की खंडपीठ में याचिका पेश की है. जिस पर शुक्रवार को करीब पांच घंटा सुनवाई होने के बाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 14 जून को रखी है.

कांस्टेबल को पदोन्नत करने के आदेश

राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने पुलिस प्रशासन को अपीलार्थी कांस्टेबल को हैड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नत करने के निर्देश दिए हैं. अधिकरण ने यह आदेश कुन्नाराम व 21 अन्य की अपील को मंजूर करते हुए दिए. अधिकरण ने कहा कि पुलिस प्रशासन पदोन्नति के मामलों में खाली पदों की गणना करने व गलती सुधारने के लिए एक माह में पदोन्नति बोर्ड बनाकर छह माह में पदोन्नति प्रक्रिया पूरी करे.
अपील में अधिवक्ता कुणाल रावत ने बताया कि अपील में वर्ष 2013-14 की पदोन्नति सूची को चुनौती दी गई थी. अपील में कहा गया कि जिस पद का सृजन जिस साल में हुआ है, उसका उपयोग उसी साल में किया जाना चाहिए. इन पदों को पिछले या आगामी सालों में शामिल नहीं किया जा सकता. प्रकरण में पुलिस प्रशासन ने वर्ष 2012-13 की पदोन्नति परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का चयन वर्ष 2013-14 की चयन सूची में कर लिया था. ऐसे में इसे अवैध घोषित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने अपीलार्थियों को 2013-14 की पदोन्नति चयन सूची में शामिल कर पदोन्नत करने को कहा है.

झालावाड़ : पूर्व विधायक पुत्र मारपीट मामले में दोषमुक्त करार

जिले के मनोहरथाना थाना कस्बे में 1998 में पूर्व विधायक के पुत्र अरुण कुमार ने थाने में मारपीट की मामला दर्ज कराया था. जिसमें पूर्व मंत्री भरत सिंह, पूर्व जिला अध्यक्ष झालावाड़ रघुराज सिंह हाडा, जिला मीडिया प्रभारी कांग्रेस लियाकत अली, गुड्डू, निरंजन, राजमल लड्ढा, जगन्नाथ और गंगाराम सहित 11 व्यक्तियों पर आरोप लगाए थे. मनोहर थाना न्यायालय में वरिष्ठ सिविल जज एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश रितेश कुमार गर्ग की बेंच ने सभी 11 व्यक्तियों को दोष मुक्त करार दिया है.

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण

राजस्थान हाईकोर्ट ने लापता युवती की बरामदगी से जुडे़ मामले में याचिकाकर्ता को संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रार्थना पत्र दायर करने को कहा है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश सीके सोनगरा की अवकाशकालीन खंडपीठ ने यह आदेश सेडूराम की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया कि प्रार्थी की बेटी एक जून को लापता हो गई थी. पीड़िता को अज्ञात लोगों ने बंधक बनाकर रखा है. ऐसे में उसका पता लगाकर सुपुर्द करवाया जाए. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 97 के तहत प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट को यह अधिकार है कि वह लापता व्यक्ति की तलाश के लिए सर्च वारंट जारी कर सकता है. ऐसे में याचिकाकर्ता को निचली अदालत में प्रार्थना पत्र पेश करने के निर्देश दिए जाए. सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रार्थना पत्र दायर करने के लिए कहा है.

जयपुर. तिलक नगर निवासी मोहनलाल नामा को इससे पूर्व सचिन पायलट को विधानसभा अध्यक्ष की ओर से दिए नोटिस के मामले में भी हाईकोर्ट ने पक्षकार बनाया था.

नामा की ओर से अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता योगेश टेलर ने बताया कि निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर और निगम आयुक्त का विवाद शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है. नौकरशाही और राजनेताओं के बीच रिश्वत के विवाद से देश में शहर की छवि धूमिल हुई है. जिसके कारण स्थानीय लोग भी प्रभावित हुए हैं. इसलिए प्रकरण में उन्हें पक्षकार बनाकर सुना जाए.

गौरतलब है कि सौम्या गुर्जर ने अपने निलंबन के खिलाफ हाईकोर्ट की खंडपीठ में याचिका पेश की है. जिस पर शुक्रवार को करीब पांच घंटा सुनवाई होने के बाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 14 जून को रखी है.

कांस्टेबल को पदोन्नत करने के आदेश

राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने पुलिस प्रशासन को अपीलार्थी कांस्टेबल को हैड कांस्टेबल के पद पर पदोन्नत करने के निर्देश दिए हैं. अधिकरण ने यह आदेश कुन्नाराम व 21 अन्य की अपील को मंजूर करते हुए दिए. अधिकरण ने कहा कि पुलिस प्रशासन पदोन्नति के मामलों में खाली पदों की गणना करने व गलती सुधारने के लिए एक माह में पदोन्नति बोर्ड बनाकर छह माह में पदोन्नति प्रक्रिया पूरी करे.
अपील में अधिवक्ता कुणाल रावत ने बताया कि अपील में वर्ष 2013-14 की पदोन्नति सूची को चुनौती दी गई थी. अपील में कहा गया कि जिस पद का सृजन जिस साल में हुआ है, उसका उपयोग उसी साल में किया जाना चाहिए. इन पदों को पिछले या आगामी सालों में शामिल नहीं किया जा सकता. प्रकरण में पुलिस प्रशासन ने वर्ष 2012-13 की पदोन्नति परीक्षा में सफल अभ्यर्थियों का चयन वर्ष 2013-14 की चयन सूची में कर लिया था. ऐसे में इसे अवैध घोषित किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने अपीलार्थियों को 2013-14 की पदोन्नति चयन सूची में शामिल कर पदोन्नत करने को कहा है.

झालावाड़ : पूर्व विधायक पुत्र मारपीट मामले में दोषमुक्त करार

जिले के मनोहरथाना थाना कस्बे में 1998 में पूर्व विधायक के पुत्र अरुण कुमार ने थाने में मारपीट की मामला दर्ज कराया था. जिसमें पूर्व मंत्री भरत सिंह, पूर्व जिला अध्यक्ष झालावाड़ रघुराज सिंह हाडा, जिला मीडिया प्रभारी कांग्रेस लियाकत अली, गुड्डू, निरंजन, राजमल लड्ढा, जगन्नाथ और गंगाराम सहित 11 व्यक्तियों पर आरोप लगाए थे. मनोहर थाना न्यायालय में वरिष्ठ सिविल जज एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायाधीश रितेश कुमार गर्ग की बेंच ने सभी 11 व्यक्तियों को दोष मुक्त करार दिया है.

बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निस्तारण

राजस्थान हाईकोर्ट ने लापता युवती की बरामदगी से जुडे़ मामले में याचिकाकर्ता को संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रार्थना पत्र दायर करने को कहा है. न्यायाधीश पंकज भंडारी और न्यायाधीश सीके सोनगरा की अवकाशकालीन खंडपीठ ने यह आदेश सेडूराम की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को निस्तारित करते हुए दिए.

याचिका में कहा गया कि प्रार्थी की बेटी एक जून को लापता हो गई थी. पीड़िता को अज्ञात लोगों ने बंधक बनाकर रखा है. ऐसे में उसका पता लगाकर सुपुर्द करवाया जाए. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 97 के तहत प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट को यह अधिकार है कि वह लापता व्यक्ति की तलाश के लिए सर्च वारंट जारी कर सकता है. ऐसे में याचिकाकर्ता को निचली अदालत में प्रार्थना पत्र पेश करने के निर्देश दिए जाए. सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को संबंधित मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रार्थना पत्र दायर करने के लिए कहा है.

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