जयपुर. छबड़ा सुपर क्रिटिकल थर्मल प्लांट, कोटा थर्मल प्लांट और छबड़ा थर्मल प्लांट पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से फ्लाई ऐश का शत-प्रतिशत उपयोग नहीं होने पर पेनल्टी लगाई गई है. जिसकी छबड़ा से भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने सराहना की है. विधायक ने इस पूरे मामले की एसीबी से जांच करवाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और ऊर्जा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला को पत्र लिखकर मांग की है.
सिंघवी ने एक बयान जारी कर कहा कि केंद्र सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की ओर से 25 जनवरी 2016 को जारी गजट नोटिफिकेशन के अनुसार कोयला आधारित बिजली उत्पादक थर्मल प्लांट 80 फीसदी फ्लाई ऐश का बेचान कर सकते हैं, बाकी 20 फीसदी की स्थानीय लघु उद्योग और राष्ट्रीय राजमार्ग के निर्माण के लिए निशुल्क आपूर्ति अनिवार्य है. लेकिन पावर प्लांट्स का स्थानीय प्रबंधन मिलीभगत से इसके हिस्से की फ्लाई ऐश को सीमेंट कंपनियों और बड़े उद्योगपतियों को भेज देते हैं.
भाजपा विधायक ने कहा कि फ्लाई ऐश नहीं मिलने की वजह से स्थानीय लघु और कुटीर उद्योग बर्बादी के कगार पर पहुंच गए हैं. उनके लिए परिवार का भरण-पोषण करना बहुत मुश्किल हो रहा है. विधायक के अनुसार एक तरफ राज्य सरकार कहती है कि राजस्थान में कोई भूखा नहीं सोएगा. दूसरी तरफ पावर प्लांट का स्थानीय प्रबंधन की मनमानी की वजह से लघु और कुटीर उद्योग चौपट हो रहा है. विधायक ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर इस पूरे मामले की एंटी करप्शन ब्यूरो से जांच करवाने की मांग की है.
गौरतलब है कि NGT ने छबड़ा सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट पर 370 लाख, कोटा थर्मल पावर प्लांट पर 84 लाख और छबड़ा थर्मल पावर प्लांट पर 80 लाख रुपए की पेनल्टी लगाई है.