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राजस्थान विधानसभा में आखिर एक मासूम को लेकर क्यों पहुंचे भाजपा विधायक....जानिए पूरी खबर

विधानसभा में शुक्रवार को पुष्कर से भाजपा विधायक एक 9 माह की बच्ची को लेकर पहुंचे. जिसे देखकर हर कोई हक्का-बक्का रह गया. विधायक ने सदन में अपनी बात रखते हुए कहा, कि फाइनेंस कपंनी वाले एक मकान में ताला लगाकर चले गए और यह बच्ची मकान के अंदर ही रह गई.

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विधानसभा में 9 माह की बच्ची लेकर पहुंचे विधायक
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Published : Feb 14, 2020, 5:11 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को हर कोई उस समय चौंक गया, जब विधायक सुरेश रावत एक 9 महीने की बच्ची को लेकर विधानसभा पहुंचे. बच्ची को गोद में लेकर विधानसभा आने वाले पुष्कर से विधायक सुरेश रावत ने मानवीय संवेदना को झकझोरने वाला मुद्दा उठाया.

विधानसभा में 9 माह की बच्ची लेकर पहुंचे विधायक

उन्होंने आरोप लगाया, कि फाइनेंस कंपनी ने एक मकान सीज किया और सीज करते समय यह भी नहीं देखा, कि अंदर 9 महीने की मासूम सो रही थी. बच्ची के परिजनों को विधानसभा में लेकर आए विधायक सुरेश रावत ने विधानसभा के गेट पर पहले यह पीड़ा मीडिया के सामने बताई. उसके बाद शून्यकाल के दौरान विधानसभा के अंदर भी यह मुद्दा उठाया.

यह भी पढे़ं- जयपुर के बगरू का राजकीय पशु चिकित्सालय भवन हुआ जर्जर

रावत ने कहा, कि फाइनेंस कंपनी के लोगों ने मकान सीज कर दिया और मासूम मकान के अंदर घंटों भूख-प्यास से तड़पती रही. इसके बाद परिजनों ने लगातार फाइनेंस कंपनी के लोगों के पास गुहार लगाई, लेकिन वह नहीं पसीजा. थक-हार कर बच्ची के परिजनों ने एसडीएम और लोकल पुलिस की शरण ली. वहां भी उनकी सुनवाई नहीं हुई.

विधायक के मुताबिक पुलिस को सुनवाई नहीं करते देख आखिर बच्ची के परिजनों ने कलेक्टर तक अपनी गुहार पहुंचाई. कलेक्टर के बीच-बचाव करने के बाद आखिरकार कई घंटों बाद बच्ची को बाहर निकाला गया. इस मामले को सुनकर विधानसभा में स्पीकर सीपी जोशी ने भी कहा, कि सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और कार्रवाई करनी चाहिए.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को हर कोई उस समय चौंक गया, जब विधायक सुरेश रावत एक 9 महीने की बच्ची को लेकर विधानसभा पहुंचे. बच्ची को गोद में लेकर विधानसभा आने वाले पुष्कर से विधायक सुरेश रावत ने मानवीय संवेदना को झकझोरने वाला मुद्दा उठाया.

विधानसभा में 9 माह की बच्ची लेकर पहुंचे विधायक

उन्होंने आरोप लगाया, कि फाइनेंस कंपनी ने एक मकान सीज किया और सीज करते समय यह भी नहीं देखा, कि अंदर 9 महीने की मासूम सो रही थी. बच्ची के परिजनों को विधानसभा में लेकर आए विधायक सुरेश रावत ने विधानसभा के गेट पर पहले यह पीड़ा मीडिया के सामने बताई. उसके बाद शून्यकाल के दौरान विधानसभा के अंदर भी यह मुद्दा उठाया.

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रावत ने कहा, कि फाइनेंस कंपनी के लोगों ने मकान सीज कर दिया और मासूम मकान के अंदर घंटों भूख-प्यास से तड़पती रही. इसके बाद परिजनों ने लगातार फाइनेंस कंपनी के लोगों के पास गुहार लगाई, लेकिन वह नहीं पसीजा. थक-हार कर बच्ची के परिजनों ने एसडीएम और लोकल पुलिस की शरण ली. वहां भी उनकी सुनवाई नहीं हुई.

विधायक के मुताबिक पुलिस को सुनवाई नहीं करते देख आखिर बच्ची के परिजनों ने कलेक्टर तक अपनी गुहार पहुंचाई. कलेक्टर के बीच-बचाव करने के बाद आखिरकार कई घंटों बाद बच्ची को बाहर निकाला गया. इस मामले को सुनकर विधानसभा में स्पीकर सीपी जोशी ने भी कहा, कि सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए और कार्रवाई करनी चाहिए.

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