जयपुर. राजस्थान में चल रही राजनीतिक उठापटक के बीच बुधवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दिए गए खरीद-फरोख्त के बयान से पायलट कैंप में बैठे विधायक और नाराज हो गए हैं. खरीद-फरोख्त के आरोपों को लेकर विधायक रमेश मीणा और दौसा से विधायक मुरारी लाल मीणा ने मुख्यमंत्री से सवाल पूछा कि जो मुख्यमंत्री आज हम पर पैसे के लेनदेन और भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं, वह मुख्यमंत्री यह बताएं कि जब वह बसपा के टिकट पर चुनाव जीत कर आए थे, उस समय उन्होंने बसपा से कांग्रेस में शामिल करवाने के लिए हमें कितना पैसा दिया था.
मुरारी लाल मीणा ने कहा कि अशोक गहलोत वास्तव में जादूगर हैं, जो झूठ को सच दिखा देते हैं. उन्होंने कहा कि जब हम बसपा में थे और कांग्रेस में आए, उस समय ईमानदार थे तो आज कैसे भ्रष्ट हो गए. मुरारी लाल मीणा ने कहा कि हमारी नाराजगी का एक ही कारण है और वह है हमारा स्वाभिमान.
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मीणा ने कहा कि आज जो नोटिस जारी किए गए हैं, वह गलत है और हम आज तक पार्टी के खिलाफ नहीं बोले हैं. अगर फिर भी वह यह चाहते हैं कि हमें विधायक पद से हटाए तो हमें विधायकी की परवाह नहीं है. अगर जनता चाहेगी तो हम फिर चुनाव जीतकर विधायक बन जाएंगे. मीणा ने कहा कि हम आदिवासी समाज से आते हैं जो अब पहले की तरह अनपढ़ नहीं हैं. अब हम पढ़े-लिखे हैं और सब चालों को समझते हैं.
हम मुख्यमंत्री की कार्यशैली से असंतुष्ट हैंः रमेश मीणा
रमेश मीणा ने कहा कि हम मुख्यमंत्री की कार्यशैली से असंतुष्ट हैं और पूरे राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी हावी थी. जनप्रतिनिधियों के काम हो नहीं पा रहे थे, हमने जो बातें कही हैं वह कैबिनेट में भी रखी लेकिन उन मांगों पर मुख्यमंत्री ने ध्यान नहीं दिया और तानाशाही तरीका अपनाया. रमेश मीणा ने कहा कि हम बसपा से कांग्रेस में आए तब भी हमें यही कहा गया था कि उनके क्षेत्र के काम होंगे और उसके बाद हमने विपक्ष में रहते हुए भी 5 साल तक ईमानदारी से काम किया.