ETV Bharat / city

राजस्थान विधानसभा में गूंजा SC/ST और आदिवासियों का सरकारी नौकरियों में भागीदारी का मामला

राजस्थान विधानसभा में सोमवार को कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा ने प्रदेश के सभी विधायकों से आह्वान किया कि विधानसभा के सदस्य जब हर मामले में संकल्प पास करते हैं तो फिर राजस्थान विधानसभा के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार को सही से पैरवी करना चाहिए. साथ ही पब्लिक सेक्टर यूनिट को बेचने से रोकने के लिए भी संकल्प पारित करके दिल्ली भेजा जाना चाहिए.

राजस्थान विधानसभा न्यूज, Rajasthan News
राजस्थान विधानसभा में गूंजा समरसता का मामला
author img

By

Published : Feb 24, 2020, 11:59 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को बजट पर बहस के दौरान कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा ने कहा कि विधानसभा के कई सदस्य समरसता की बात करते हैं. लेकिन समरसता तब आएगी जब एससी-एसटी और आदिवासी राजनीतिक, प्रशासनिक और आर्थिक तौर पर संपन्न होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि यह संपन्नता तब आएगी जब एससी-एसटी और आदिवासी के पास नौकरियां होंगी जो केंद्र सरकार लगातार खाती जा रही है.

राजस्थान विधानसभा में गूंजा समरसता का मामला

मीणा ने कहा, कि आरक्षण को लेकर जो फैसला सुप्रीम कोर्ट का है वह केंद्र के सही पैरवी नहीं करने के कारण आया है. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा, कि या तो केंद्र सरकार पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को प्राइवेट सेक्टर में बेचना बंद करें या फिर प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण की व्यवस्था लागू करें.

पढ़ें- नागौर कांड: SP को क्लीन चिट और SHO दोषी, नाराज भाजपा और RLP विधायकों का सदन से वॉकआउट

विधायक मीणा ने प्रदेश के सभी विधायकों से आह्वान करते हुए कहा, कि विधानसभा के सदस्य जब हर मामले में संकल्प पास करते हैं तो फिर राजस्थान विधानसभा के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार के सही से पैरवी करना चाहिए. उन्हें पब्लिक सेक्टर यूनिट को बेचने से रोकने के लिए भी संकल्प पारित करके दिल्ली भेजना चाहिए.

मीणा ने विधानसभा में 2 अप्रैल को हुए आंदोलन में लगे केस वापस लेने के लिए भी गहलोत सरकार से अपील की. इस दौरान जब भाजपा के नेताओं ने उनसे कहा कि अब तो सरकार आपकी है तो मुरारी लाल मीणा ने कहा कि मैं आपकी तरह गुलाम नहीं हूं, तभी तो अपनी सरकार से यह केस वापस लेने की मांग कर रहा हूं.

पढ़ें- विधानसभा में फिर गूंजा नागौर दलित युवकों के उत्पीड़न का मामला, RLP विधायकों ने सदन में दिया धरना

विधायक ने केंद्र सरकार पर पीछे के दरवाजे से आरक्षण समाप्त करने का आरोप लगाते हुए कहा, कि केंद्र सरकार ने 11 जून सेक्रेटरी सीधे प्राइवेट सेक्टर से लगा दिए हैं. जो प्रिंसिपल सेक्रेटरी स्तर के होते हैं, उनमें से एक भी एससी-एसटी और आदिवासी का नहीं है यही आरक्षण को पीछे से समाप्त करने का तरीका है.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को बजट पर बहस के दौरान कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा ने कहा कि विधानसभा के कई सदस्य समरसता की बात करते हैं. लेकिन समरसता तब आएगी जब एससी-एसटी और आदिवासी राजनीतिक, प्रशासनिक और आर्थिक तौर पर संपन्न होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि यह संपन्नता तब आएगी जब एससी-एसटी और आदिवासी के पास नौकरियां होंगी जो केंद्र सरकार लगातार खाती जा रही है.

राजस्थान विधानसभा में गूंजा समरसता का मामला

मीणा ने कहा, कि आरक्षण को लेकर जो फैसला सुप्रीम कोर्ट का है वह केंद्र के सही पैरवी नहीं करने के कारण आया है. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा, कि या तो केंद्र सरकार पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को प्राइवेट सेक्टर में बेचना बंद करें या फिर प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण की व्यवस्था लागू करें.

पढ़ें- नागौर कांड: SP को क्लीन चिट और SHO दोषी, नाराज भाजपा और RLP विधायकों का सदन से वॉकआउट

विधायक मीणा ने प्रदेश के सभी विधायकों से आह्वान करते हुए कहा, कि विधानसभा के सदस्य जब हर मामले में संकल्प पास करते हैं तो फिर राजस्थान विधानसभा के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार के सही से पैरवी करना चाहिए. उन्हें पब्लिक सेक्टर यूनिट को बेचने से रोकने के लिए भी संकल्प पारित करके दिल्ली भेजना चाहिए.

मीणा ने विधानसभा में 2 अप्रैल को हुए आंदोलन में लगे केस वापस लेने के लिए भी गहलोत सरकार से अपील की. इस दौरान जब भाजपा के नेताओं ने उनसे कहा कि अब तो सरकार आपकी है तो मुरारी लाल मीणा ने कहा कि मैं आपकी तरह गुलाम नहीं हूं, तभी तो अपनी सरकार से यह केस वापस लेने की मांग कर रहा हूं.

पढ़ें- विधानसभा में फिर गूंजा नागौर दलित युवकों के उत्पीड़न का मामला, RLP विधायकों ने सदन में दिया धरना

विधायक ने केंद्र सरकार पर पीछे के दरवाजे से आरक्षण समाप्त करने का आरोप लगाते हुए कहा, कि केंद्र सरकार ने 11 जून सेक्रेटरी सीधे प्राइवेट सेक्टर से लगा दिए हैं. जो प्रिंसिपल सेक्रेटरी स्तर के होते हैं, उनमें से एक भी एससी-एसटी और आदिवासी का नहीं है यही आरक्षण को पीछे से समाप्त करने का तरीका है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.