जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को बजट पर बहस के दौरान कांग्रेस विधायक मुरारी लाल मीणा ने कहा कि विधानसभा के कई सदस्य समरसता की बात करते हैं. लेकिन समरसता तब आएगी जब एससी-एसटी और आदिवासी राजनीतिक, प्रशासनिक और आर्थिक तौर पर संपन्न होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि यह संपन्नता तब आएगी जब एससी-एसटी और आदिवासी के पास नौकरियां होंगी जो केंद्र सरकार लगातार खाती जा रही है.
मीणा ने कहा, कि आरक्षण को लेकर जो फैसला सुप्रीम कोर्ट का है वह केंद्र के सही पैरवी नहीं करने के कारण आया है. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा, कि या तो केंद्र सरकार पब्लिक सेक्टर की कंपनियों को प्राइवेट सेक्टर में बेचना बंद करें या फिर प्राइवेट सेक्टर में भी आरक्षण की व्यवस्था लागू करें.
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विधायक मीणा ने प्रदेश के सभी विधायकों से आह्वान करते हुए कहा, कि विधानसभा के सदस्य जब हर मामले में संकल्प पास करते हैं तो फिर राजस्थान विधानसभा के सदस्यों को सुप्रीम कोर्ट में आरक्षण को लेकर केंद्र सरकार के सही से पैरवी करना चाहिए. उन्हें पब्लिक सेक्टर यूनिट को बेचने से रोकने के लिए भी संकल्प पारित करके दिल्ली भेजना चाहिए.
मीणा ने विधानसभा में 2 अप्रैल को हुए आंदोलन में लगे केस वापस लेने के लिए भी गहलोत सरकार से अपील की. इस दौरान जब भाजपा के नेताओं ने उनसे कहा कि अब तो सरकार आपकी है तो मुरारी लाल मीणा ने कहा कि मैं आपकी तरह गुलाम नहीं हूं, तभी तो अपनी सरकार से यह केस वापस लेने की मांग कर रहा हूं.
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विधायक ने केंद्र सरकार पर पीछे के दरवाजे से आरक्षण समाप्त करने का आरोप लगाते हुए कहा, कि केंद्र सरकार ने 11 जून सेक्रेटरी सीधे प्राइवेट सेक्टर से लगा दिए हैं. जो प्रिंसिपल सेक्रेटरी स्तर के होते हैं, उनमें से एक भी एससी-एसटी और आदिवासी का नहीं है यही आरक्षण को पीछे से समाप्त करने का तरीका है.