जयपुर. राजस्थान में जब सियासी महासंग्राम चल रहा था तो बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायक राजेंद्र गुढ़ा मुख्यमंत्री गहलोत के समर्थन में हमेशा आगे रहे. जैसलमेर में तो उन्होंने यहां तक कह दिया था कि भाजपा के 72 विधायक अगर वोट देने पहुंच जाएं, तो उनका नाम बदल दिया जाए.
हालात यही बने और भाजपा के ही 4 विधायक विधानसभा में वोटिंग के समय नदारद हो गए और कांग्रेस ने ध्वनिमत से ही अविश्वास प्रस्ताव पास करवा लिया. अब इस मामले पर बोलते हुए उदयपुरवाटी विधायक राजेंद्र गुढ़ा ने कहा कि भाजपा को अपना घर देखना चाहिए था. अगर कोई अपना घर देखे बिना दूसरे के घर में ताका झांकी करेगा, तो उसके साथ यही होगा.
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वहीं, उन्होंने नदबई विधायक जोगिंदर अवाना का उनकी विधानसभा में विरोध होने, मुख्यमंत्री के विरोध में और सचिन पायलट जिंदाबाद के नारे लगने पर उन्होंने कहा कि एक दो जगह ऐसी कोई बात हो सकती है. लेकिन राजस्थान में गहलोत जिंदाबाद थे, जिंदाबाद हैं और जिंदाबाद रहेंगे.
इसके साथ ही अवाना ने यह भी कहा कि अशोक गहलोत के पास बग्गी (तांगे) में चलने वाले घोड़े नहीं रेस में दौड़ने वाले घोड़े हैं. उन्होंने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नहीं आने पर कहा कि अब कांग्रेस में कोई दिक्कत नहीं है. सीएम गहलोत और पायलट दोनों के दिल मिल चुके हैं.
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रोचक है तांगे के घोड़े और रेस के घोड़े की कहानी
दरअसल, तांगे के घोड़े और रेस के घोड़े की कहानी राजस्थान विधानसभा में इन दिनों जमकर चल रही है. हुआ यह कि विधानसभा सत्र कि जब शुरुआत हुई और कांग्रेस ने अपना विश्वास प्रस्ताव विधानसभा में रखा उस समय विधायक राजेंद्र गुढ़ा 'हां' पक्ष लॉबी में पहुंचे, तो उन्हें सचिन पायलट भी वहीं बैठे हुए दिखाई दे गए.
इस पर उन्होंने मजाकिया लहजे में सचिन पायलट से बातचीत करते हुए कहा कि पायलट साहब आप ने रेस के घोड़े को तो तांगे में जोड़ दिया और तांगे के घोड़े को रेस का घोड़ा समझ लिया था. जबकि अशोक गहलोत के घोड़े रेस के घोड़े थे. इस दौरान 'हां' पक्ष लॉबी में मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी सचिन पायलट के साथ बैठे थे.