जयपुर. राजस्थान विधानसभा के शून्यकाल में मंगलवार को किसानों से जुड़े मुद्दे भी विधायकों ने उठाए. कांग्रेस विधायक हरीश मीणा ने जहां टोंक के किसानों को बीसलपुर से सिंचाई के लिए पानी दिलाने की मांग की, तो वहीं माकपा विधायक बलवान पूनिया ने प्रदेश में जल्द पटवारियों की हड़ताल समाप्त करवा कर गिरदावरी करवाने की मांग की.
शून्यकाल में हरीश मीणा ने विशेष उल्लेख प्रस्ताव के तहत यह मामला उठाया और कहा कि सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलने से किसानों की स्थिति दयनीय हो रही है. मीणा ने कहा कि बीसलपुर बांध का निर्माण 1988 में हुआ था और बांध के निर्माण का मकसद भी आसपास के क्षेत्रों को पानी उपलब्ध कराना था. करोड़ों की लागत से यहां करीब 750 किलोमीटर पक्की नहरों का निर्माण भी हुआ, लेकिन इस बार कम वर्षा के कारण स्थानीय छोटे-मोटे बांध भी नहीं भर पाए. इसके कारण अब किसानों को सिंचाई के लिए भी पानी नहीं मिल पा रहा है.
हरीश मीणा ने कहा कि बीसलपुर से 8 टीएमसी पानी यहां के किसानों को सिंचाई के लिए दिया जाना चाहिए. पूर्व में कलेक्टर ने प्रमुख शासन सचिव जल संसाधन को पत्र भी लिखा, जिसके माध्यम से यह जानकारी सामने आई कि पेयजल के लिए पानी देने के बाद भी बिसलपुर में 7 टीएमसी पानी बचेगा. इसलिए इसमें से यदि 4 टीएमसी पानी सिंचाई के लिए दे दिया जाए तो किसानों को मदद मिलेगी.
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विधायक ने कहा कि साल 2017-18 में बांध पूरा नहीं भरे होने के बावजूद भी 4 टीएमसी पानी किसानों को सिंचाई के लिए दिया गया था. ऐसे में मीणा ने मांग की कि बांध में 16 टीएमसी के अतिरिक्त पानी क्षेत्र के लोगों को दिया जाए.
बलवान पूनिया ने पटवारियों के हड़ताल का मामला उठाया
शून्यकाल में स्थगन के जरिए माकपा विधायक बलवान पूनिया ने पटवारियों की चल रही हड़ताल का मामला भी उठाया. पूनिया ने कहा कि वर्तमान में कई जगह फसल खराब हो चुकी है और क्रॉप कटिंग कराने का भी समय आ चुका है, लेकिन क्रॉप कटिंग तब तक नहीं होगी जब तक गिरदावरी का काम नहीं होगा. उन्होंने कहा कि गिरदावरी के काम के लिए जरूरी है कि पटवारियों की हड़ताल समाप्त कराई जाए.
शून्यकाल में सदन से मंत्री गायब, राठौड़ ने जताई आपत्ति
शून्यकाल में स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान कई मंत्री सदन से गायब रहे. इस पर प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ ने आपत्ति जताई. राठौड़ ने स्पीकर सीपी जोशी से कहा कि आप के निर्देशों के बावजूद सरकार के मंत्री अवहेलना कर रहे हैं. परिवहन मंत्री सदन में मौजूद नहीं है और उसके अलावा कई मंत्री ऐसे हैं जो प्रश्नकाल के बाद ही उठ कर चल दिए. ऐसे में आखिर शून्यकाल और स्थगन प्रस्ताव की अहमियत क्या रह जाएगी.