जयपुर. राजस्थान के सीनियर आईपीएस ऑफिसर एमएल लाठर को राजस्थान पुलिस का नया मुखिया नियुक्त किया गया है. देर रात कार्मिक विभाग ने आदेश जारी करते हुए एमएल लाठर को डीजीपी नियुक्त करने के आदेश जारी किए हैं. लाठर 1987 बैच के आईपीएस ऑफिसर हैं. लाठर मूल रूप से हरियाणा के रहने वाले हैं जिन्होंने केमिस्ट्री, जूलॉजी और बॉटनी में बीएससी तो वहीं ऑर्गेनिक केमिस्ट्री में एमएससी की शिक्षा प्राप्त की है. अपने सेवाकाल के दौरान बेहतरीन कार्य करने पर लाठर को पुलिस पदक, गैलंट्री राष्ट्रपति पुलिस पदक और राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया जा चुका है.
14 अक्टूबर को भूपेंद्र सिंह यादव डीजीपी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे और एमएल लाठर को कार्यवाहक डीजीपी का पदभार सौंपा गया था. राजस्थान में नया डीजीपी नियुक्त करने के लिए राजस्थान सरकार की तरफ से यूपीएससी को राजस्थान के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का एक पैनल भेजा गया था और यूपीएससी द्वारा स्वीकृति मिलने पर एमएल लाठर को राजस्थान का नया डीजीपी नियुक्त किया गया है.
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एमएल लाठर ने जयपुर में अपना प्रोबेशन पूरा किया. उसके बाद भरतपुर में सर्किल ऑफीसर, बयाना में सहायक पुलिस अधीक्षक, गंगानगर में सहायक पुलिस अधीक्षक, कोटा में आरएसी की सातवीं बटालियन में कमांडेंट, सिरोही में एसपी, सीआईडी सीबी में एसपी, दौसा में एसपी, धौलपुर में एसपी, कोटा में एसपी, उदयपुर में एसपी, सीआईडी सीबी में एसपी, बीएसएफ में डीआईजी, जयपुर से आरएसी की तीसरी बटालियन में डीआईजी, सीआईडी इंटेलिजेंस में डीआईजी, राजस्थान पुलिस अकैडमी में डीआईजी, राजस्थान पुलिस एकेडमी में डायरेक्टर, पुलिस प्लानिंग एंड वेलफेयर में आईजी, जयपुर रेंज में आईजी, और जयपुर आरएसी में आईजी, पुलिस आर्म्ड बटालियन में एडीजी, पुलिस हाउसिंग में एडीजी, सीआईडी सिविल राइट्स में एडीजी, लॉ एंड ऑर्डर में एडीजी, लॉ एंड आर्डर में डीजी और क्राइम ब्रांच में डीजी के पद की जिम्मेदारियों को संभाला है। एमएल लाठर बुधवार सुबह डीजीपी का पदभार ग्रहण करेंगे.
मई 2021 में होंगे रिटायर
1987 बैच के आईपीएस अधिकारी एमएल लाठर एक न्यूट्रल अफसर हैं. वैसे इनकी नियुक्ति के कयास तभी से लगाए जा रहे थे जब जून, 2019 में कपिल गर्ग रिटायर हुए थे. लाठर को अब डीजीपी बना सरकार पॉलिटिकल मैसेज दिया है. एमएल लाठर मई 2021 में रिटायर होंगे. 1987 बैच के एम.एल लाठर राज्य के एक बड़े जाट नेता के नजदीकी रिश्तेदार हैं. बताया जाता है कि लाठर के जरिए कांग्रेस से छिटक चुके एक बड़े वर्ग को फिर से रिझाने की कवायद के तौर पर इसे देखा जा रहा है.