जयपुर. राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर जल्द ही आयुर्वेदिक दवा द्वारा क्लिनिकल ट्रायल शुरू करने जा रहा है. भारत सरकार से इसे लेकर राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान को आदेश भी जारी किए हैं. लेकिन राजस्थान में फिलहाल इसकी अनुमति नहीं मिली है. हालांकि इसे लेकर एक प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया है और मंजूरी मिलते ही क्लिनिकल ट्रायल के लिए नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा संभावनाएं तलाश करेगा.
जयपुर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा के डायरेक्टर डॉक्टर संजीव शर्मा ने बताया कि भारत सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके तहत कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों पर आयुर्वेदिक दवाओं द्वारा क्लिनिकल ट्रायल शुरू किया जाए. इसे लेकर डॉक्टर शर्मा ने बताया कि इंस्टीट्यूट की ओर से एक फाइनल प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया है और प्रोजेक्ट को एथिकल क्लीयरेंस के लिए सबमिट किया जा चुका है.
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साथ ही जैसे ही प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिलती है, कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों पर दवाइयों द्वारा क्लिनिकल ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा. एनआईए के निदेशक डॉक्टर संजीव शर्मा ने यह भी बताया कि इस क्लीनिकल ट्रायल में आयुष 64 नाम की दवाई का उपयोग किया जाएगा. इसके अलावा तीन अन्य और दवाइयां भी इसमें शामिल की गई है.
इम्यूनिटी बूस्टर ट्रायल शुरू
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेदा ने जयपुर के अलग-अलग क्षेत्रों में इम्यूनिटी बूस्टर ट्रायल शुरू किया है. इसका नाम दिया गया है पॉपुलेशन बेस्ड स्टडी जिसके तहत जिन क्षेत्रों में कोरोना के अधिक पॉजिटिव मरीज सामने आए हैं. वहां पर करीब 12000 लोगों पर गुडूची घनवटी नाम की दवाई इम्यूनिटी बूस्ट के लिए लोगों को दी जा रही है और इसका डाटा तैयार किया जा रहा है. ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह दवा कितनी कारगर साबित हो रही है. डॉ. संजीव शर्मा ने बताया कि शुरुआती रिसर्च के बाद यह सामने आ रहा है कि इम्यूनिटी बूस्ट के लिए जो दवाई दी जा रही है वह कारगर साबित हो रही है.