जयपुर. मंत्रालयिक कर्मचारियों ने राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के बैनर तले 11 सूत्री मांगों को लेकर 2 अक्टूबर से आमरण अनशन शुरू किया था. जिसमें पहले दिन छह मंत्रालयिक कर्मचारी आमरण अनशन पर बैठे थे और अलग-अलग समय में इन सभी छह कर्मचारियों की तबीयत भी खराब हो गई जिन्हें एसएमएस अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा. मांगे पूरी नहीं होने के चलते महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष मनोज सक्सेना भी आमरण अनशन पर बैठ गए जो की अब भी जारी है. मंत्रालयिक कर्मचारियों में इस बात को लेकर आक्रोश व्याप्त है कि 2 अक्टूबर से आमरण अनशन शुरू करने के बावजूद भी सरकार ने अब तक उन्हें वार्ता के लिए नहीं बुलाया है.
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सरकार की सद्बुद्धि के लिए शहीद स्मारक पर यज्ञ
जिसके बाद राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी महासंघ के बैनर तले मंत्रालयिक कर्मचारियों ने रविवार को सरकार की सद्बुद्धि के लिए शहीद स्मारक पर यज्ञ किया. सद्बुद्धि यज्ञ में मंत्रालयिक कर्मचारियों ने अपनी 11 सूत्रीय मांग पत्र को लेकर यज्ञ में आहुतियां दी और सरकार से मांग की कि उनकी मंगे जल्द से जल्द पूरी की जाए एवं वार्ता के लिए बुलाया जाए.
आमरण अनशन से प्रदेश अध्यक्ष मनोज सक्सेना की भी तबीयत में गिरावट देखी जा रही है. उन्हें भी किसी भी वक्त अस्पताल में भर्ती कराना पड़ सकता है. मनोज सक्सेना ने बताया कि अभी तक सकारात्मक रूप से सरकार की ओर से कोई पहल नहीं की जा रही है. मंत्रालयिक कर्मचारियों ने सरकार को 19 अक्टूबर तक का अल्टीमेटम दिया हुआ है. उसके बाद प्रदेश के हजारों मंत्रालयिक कर्मचारी महापड़ाव डालेंगे.
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मनोज सक्सेना ने बताया कि मंत्रालयिक कर्मचारी ग्रेड-पे 3600, सचिवालय के समान वेतन भत्ते, वेतन कटौती आदेश को वापस लेने सहित पदोन्नति के शेष 11500 पद जारी करने, मंत्रालयिक कर्मचारियों के लिए निदेशालय का गठन, जिला परिषद, पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों में कार्यरत मंत्रालयिक कर्मचारियों के उच्च पदों का आंवटन आदि मांगों को लेकर काफी सालों से आंदोलन कर रहे हैं.