जयपुर. राजस्थान में होने वाले निकाय चुनावों को लेकर कांग्रेस में मंथन और बैठक का दौर जारी है. बता दें कि प्रदेश कार्यालय में रविवार को हुई बैठक में निकाय चुनावों की रणनीति पर चर्चा की गई. साथ ही बैठक में 5 नवंबर से लेकर 15 नवंबर तक कांग्रेस की ओर से चलाए जाने वाले देशव्यापी आंदोलन को लेकर चर्चा की गई. वहीं, इस दौरान बैठक में फिर से नेताओं के बीच की तल्खी और बीते दिनों आ रही बातों का साया दिखाई दिया.
बता दें कि बैठक के दौरान कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे जब विस्तार से कांग्रेस के नेताओं को केन्द्र सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदेश व्यापी आंदोलन की जानकारी दे रहे थे तो अचानक बीच में मंत्री अशोक चांदना खड़े हुए और कहा कि अच्छा रहा पांडे साहब आपने सबको बता दिया कि हमें केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करना है. वरना कांग्रेस के कुछ नेताओं को लग रहा था कि उन्हें अपनी ही सरकार का विरोध करना है. वहीं, माना जा रहा है कि उनका इशारा सीधे तौर पर उन मंत्रियों पर था जिन्होंने सरकार की नीतियों का बीते दिनों विरोध किया है.
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उधर, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने संबोधन में कहा कि सरकार ने टोल लगाने का निर्णय सोच समझकर किया है. उन्होंने कहा कि यह किसी एक का निर्णय नहीं है बल्कि पूरी कैबिनेट का निर्णय है. ऐसे में जो कांग्रेस के नेता इसका विरोध कर रहें है वो पार्टी को कमजोर करने का काम कर रहे हैं. गहलोत ने कांग्रेस नेताओं को नसीहत देते हुए राजनीतिक नियुक्तियों के लिए नाम नहीं देने पर फटकार लगाई.
वहीं, मुख्यमंत्री ने विधायक, मंत्री सहित कई नेताओं को राजनीतिक नियुक्ति के लिए 15 अक्टूबर तक का समय होने के बाद भी अब तक नाम नहीं देने को लेकर फटकार लगाई है. इस पर मंत्री भंवरलाल मेघवाल ने मुख्यमंत्री से इस समय सीमा को 30 नवंबर तक करने की मांग रखी. इसपर मुख्यमंत्री ने कहा कि 30 नवंबर आखिरी तारीख है, वहीं इसके बाद भी अगर सूची नहीं आई तो निष्क्रिय मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. इस दौरान जब कई विधायक मुस्कुराने लगे तो मुख्यमंत्री ने कहा कि देखिए कितने लोग आगे की पंक्ति में आने को तैयार दिख रहे हैं.