जयपुर. राजस्थान कांग्रेस के राजधानी स्थित मुख्यालय में जिस जोर शोर के साथ जनसुनवाई कार्यक्रम शुरू किया गया था. वो जोश अब ठंडा पड़ता दिखाई दे रहा है. केवल सोमवार को हुई सुनवाई के बाद मंत्री जनसुनवाई से गायब ही मिले.
बुधवार को मीडियाकर्मी जैसे ही पीसीसी मुख्यालय में दाखिल हुए वहां केवल फरियादी ही नजर आए. पीसीसी के चैंबर में ना कोई मंत्री मौजूद था ही कोई पार्टी का पदाधिकारी. ऐसे में दूर-दराज इलाकों से पैसा खर्च कर पीसीसी पहुंचे फरियादियों को निराशा ही हाथ लगी और उन्हें मजबूरन वापस लौटना पड़ा.
सोमवार से शुरू हुए जनसुनवाई कार्यक्रम को देखकर तो लग रहा था कि आने वाले चुनावों के मद्देनजर मंत्री और पार्टी पदाधिकारी फरियादियों की समस्याओं का समाधान करेंगे. जनसुनवाई के पहले ही दिन फरियादियों को भारी परेसानियों का सामना करना पड़ा था. लेकिन विजयादशमी की छुट्टी के बाद दूसरे दिन तो एक भी मंत्री पीसीसी मुख्यालय में दिखाई नहीं दिया.
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चौंकाने वाली बात तो ये है कि ना तो जनसुनवाई का अभी तक रोस्टर जारी किया गया है कि किस-किस दिन कौन-कौनसा मंत्री सुनवाई करेगा. और ना ही पार्टी में कोई आधिकारिक सूचना जारी की गई है. इससे प्रतीत होता है कि कांग्रेस की ये जनसुनवाई बिना किसी तैयारी के शुरू की गई है.
बुधवार के दिन कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे फरियादियों ने बताया कि वे अपनी जेब से भाड़ा खर्च कर यहां पहुंचे थे. लेकिन एक भी मंत्री नहीं होने की वजह से उन्हें निराश होना पड़ा. फरियादियों ने बताया कि कार्यालय में मौजूद वर्कर्स ने उन्हें मंत्रियों के बंगले पर जाकर फरियाद लगाने को कहा है. इतना ही नहीं वहां पहुंच रहे लोगों यह तक नहीं बताया जा रहा कि अगली जनसुनवाई कब होगी और मंत्री उपलब्ध हो सकेंगे.
दरअसल राजस्थान कांग्रेस की ओर से मंत्रियों की जनसुनवाई का कार्यक्रम बना था. जिसमें सप्ताह में 5 दिन अलग-अलग मंत्रियों को प्रदेश कांग्रेस में जनता दरबार लगाया था. लेकिन अभी तक ऐसा केवल एक दिन ही हुआ. सोमवार के बाद से अभी तक जनसुनवाई का कार्यक्रम नहीं हो सका है.