जयपुर. भरतपुर के आदि बद्रीनाथ और कनकांचल पर्वत क्षेत्र में चल रहे वैध खनन के खिलाफ साधु-संतों के विरोध ने (Protest Against Mining in Rajasthan) सरकार के सामने मुसीबत खड़ी कर दी है. एक ओर जहां इस मामले में बाबा नारायण दास टावर पर चढ़े हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर आंदोलन स्थल पर एक संत ने आत्मदाह का प्रयास भी किया है. क्योंकि खनन पूरी तरीके से वैध हो रहा है, ऐसे में सरकार खनन कर रहे लीज धारकों को एकदम से हटा भी नहीं सकती.
इस बीच खनन मंत्री प्रमोद जैन भाया ने संकेत दिए हैं कि भले ही यह लीज धारक वैध रूप से खनन कर रहे हैं, लेकिन इन्हें दूसरी सरकारी जमीन पर लीज देकर कैसे इस मामले को किसी तरह से शांत करवाया जाए. मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि साधु-संत जिस जगह पर विरोध कर रहे हैं, वहां 50 से ज्यादा वैध लीज खनन विभाग की ओर से इन लीज धारकों को दी गई है. यह लीज बरसों से चल रही है, जिनके पास एनवायरमेंटल क्लीयरेंस भी है और वह सरकार को नियम अनुसार रॉयल्टी भी दे रहे हैं. ऐसे में इन्हें एकदम से तो नहीं हटाया जा सकता, लेकिन सरकार सद्भावना पूर्वक धार्मिक भावना को देखते हुए इस बात को एग्जामिन करवा रही है कि क्या इन लीजो को दूसरी सरकारी जमीन पर शिफ्ट किया जा सकता है.
खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने कहा कि प्रजातंत्र में विरोध करना सबका अधिकार है, लेकिन जो माइनिंग नियमों के साथ हो रही है उसे बंद नहीं किया जा सकता और लीज धारकों को दूसरी जगह कैसे शिफ्ट किया जा सकता है, इसके लिए सरकार ने अधिकारियों को निर्देश भी दे दिए हैं. प्रमोद जैन भाया ने कहा कि सरकार इन वैध लीज धारकों को शिफ्ट करने का प्रयास कर रही है और हम धार्मिक भावनाओं को लेकर चिंतित भी हैं. क्योंकि धार्मिक भावनाओं का सम्मान करना हमारा नैतिक दायित्व है.
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उन्होंने कहा कि साधु-संतों के साथ मुख्यमंत्री ने बैठक भी ली थी और अब प्रयास किया जा रहा है कि लीज होल्डर को दूसरी सरकारी जमीन पर (Minister Pramod Jain Bhaya on Illegal Mining) शिफ्ट किया जाए. हालांकि, इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दोपहर 2 बजे मुख्यमंत्री आवास पर खनन विभाग के अधिकारियों की बैठक बुलाई है, जिसमें इस मामले में सरकार क्या निर्णय लेगी उस पर अंतिम फैसला होगा.