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मिनी सचिवालय का काम अधूरा: 2014 में प्रदेश के सभी जिलों में मिनी सचिवालय बनाने की हुई थी घोषणा...अब तक दो ही जिलों में शुरू हुआ काम

प्रदेश के सभी जिलों में सरकारी दफ्तरों को एक छत के नीचे लाने के लिए वर्ष 2014 में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने मिनी सचिवालय की घोषणा की थी, यह काम अब तक अधूरा (Mini Secretariat work still incomplete) है. इसके लिए पहले चरण में 12 जिलों का चयन भी हो गया, लेकिन काम केवल दो जिलों में पूरा हो सका है.

Mini Secretariat work still incomplete
मिनी सचिवालय का काम अधूरा
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Published : Feb 12, 2022, 5:45 PM IST

जयपुर. प्रदेश के सभी जिलों में एक छत के नीचे सभी विभागों के काम हों और दूरदराज गांव से आने वाले व्यक्तियों को अलग-अलग जगह धक्के नहीं खाने पड़ें. इस उद्देश्य से 2014 में तात्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बजट के दौरान सभी जिलों में मिनी सचिवालय खोलने की घोषणा (former CM Vasundhara Raje announced for mini Secretariat in 2014) की थी, लेकिन 8 साल बाद भी यह घोषणा कागजों से बाहर नहीं निकली है. गंगानगर और अलवर जिले को (Mini Secretariat construction start in only two villages) छोड़ दें तो बाकी जिलों में काम शुरू होना तो दूर जमीन तक चिह्नित नहीं हुई है.

प्रदेश के सभी जिलों में मिनी सचिवालय बनाने की योजना के तहत सरकार ने पहले चरण में 12 जिलों को चुनने काम चार साल पहले पूरा कर लिया था. इसमें जयपुर, गंगानगर, अलवर, सीकर, प्रतापगढ़, जैसलमेर, सिरोही, जोधपुर, बांसवाड़ा, चूरू, टोंक और धौलपुर शामिल हैं. लेकिन हालात ये हैं कि 8 साल पहले की घोषणा के बाद भी सिर्फ दो जिलों में मिनी सचिवालय की बिल्डिंग तैयार हुई है. जबकि एक जिले में जगह चिह्नित हुई है. बाकी जयपुर समेत 9 जिलों में तो अभी तक स्थानीय प्रशासन यह भी तय नहीं कर पाया की मिनी सचिवालय कहां बनाया जाए? सूत्रों के अनुसार मिनी सचिवालय के लिए करीब 15 हेक्टेयर भूमि की जरूरत होगी. करीब 150 करोड़ की लागत से भवन का निर्माण होगा.

पढ़ें. Alwar Mini Secretariat : NCR में रहने वाले राजस्थानियों के लिए बड़ा तोहफा...एक जगह होंगे कई सरकारी काम

जिला स्तर के कार्यालय शिफ्ट होंगे. मिनी सचिवालय बनाकर उसमें जिला लेवल के सभी दफ्तर शिफ्ट कर दिए जाएंगे. मिनी सचिवालय बनने पर कलेक्टर, एडीएम, समाज कल्याण, एसपी ऑफिस, स्टाम्प एंड रजिस्ट्रार, कॉपरेटिव, सीएमएचओ, कृषि, पशुपालन, वन, पीएचईडी, पीडब्लूडी समेत करीब 38 दफ्तर एक ही परिसर में स्थानांतरित हो जाएंगे. इससे आमजन को जिला स्तर पर होने वाले कार्यों के लिए अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. अलवर और गंगानगर में तो मिनी सचिवालय के लिए नई बिल्डिंग का काम लगभग पूरा हो गया है. सिरोही में जगह चिह्नित हो गई है और वर्क ऑर्डर जारी किया जा रहा है. अलवर में मिनी सचिवालय बनाया गया है, जबकि गंगानगर में पुरानी शुगर मिल की जमीन पर इसे तैयार किया गया है .

पढ़ें. 8 साल से लटके अलवर मिनी सचिवालय का काम अब होगा पूरा, राज्य सरकार से मिले 40 करोड़ रुपये

छोटे-छोटे कामों के लिए काटने होते हैं चक्कर
प्रदेश के सभी जिलों में सरकारी दफ्तरों को एक छत के नीचे लाने के लिए वर्ष 2014 में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने मिनी सचिवालय की घोषणा की थी. इसके लिए पहले चरण में 12 जिलों का चयन भी हो गया, लेकिन काम केवल दो जिलों में पूरा हो सका है. जयपुर समेत अधिकांश जिलों में कलेक्ट्रेट सहित अन्य सरकारी दफ्तर अलग-अलग जगह बने हुए हैं. इससे लोगों को छोटे-छोटे कामों के लिए भी यहां-वहां चक्कर काटने पड़ते हैं.

राज्य में अधिकांश भवन रियासत काल के हैं, जिनमें ये सरकारी दफ्तर चल रहे हैं. इसके मद्देनजर सरकार सभी विभागों को एक ही छत के नीचे लाना चाहती है. जयपुर में बनीपार्क स्थित कलेक्ट्रेट और कोटा नयापुरा कलेक्ट्रेट पर यातायात का भारी दबाव है. यही हाल प्रदेश के अन्य सभी जिलों में भी है. लोगों को अपने काम के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

जयपुर. प्रदेश के सभी जिलों में एक छत के नीचे सभी विभागों के काम हों और दूरदराज गांव से आने वाले व्यक्तियों को अलग-अलग जगह धक्के नहीं खाने पड़ें. इस उद्देश्य से 2014 में तात्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने बजट के दौरान सभी जिलों में मिनी सचिवालय खोलने की घोषणा (former CM Vasundhara Raje announced for mini Secretariat in 2014) की थी, लेकिन 8 साल बाद भी यह घोषणा कागजों से बाहर नहीं निकली है. गंगानगर और अलवर जिले को (Mini Secretariat construction start in only two villages) छोड़ दें तो बाकी जिलों में काम शुरू होना तो दूर जमीन तक चिह्नित नहीं हुई है.

प्रदेश के सभी जिलों में मिनी सचिवालय बनाने की योजना के तहत सरकार ने पहले चरण में 12 जिलों को चुनने काम चार साल पहले पूरा कर लिया था. इसमें जयपुर, गंगानगर, अलवर, सीकर, प्रतापगढ़, जैसलमेर, सिरोही, जोधपुर, बांसवाड़ा, चूरू, टोंक और धौलपुर शामिल हैं. लेकिन हालात ये हैं कि 8 साल पहले की घोषणा के बाद भी सिर्फ दो जिलों में मिनी सचिवालय की बिल्डिंग तैयार हुई है. जबकि एक जिले में जगह चिह्नित हुई है. बाकी जयपुर समेत 9 जिलों में तो अभी तक स्थानीय प्रशासन यह भी तय नहीं कर पाया की मिनी सचिवालय कहां बनाया जाए? सूत्रों के अनुसार मिनी सचिवालय के लिए करीब 15 हेक्टेयर भूमि की जरूरत होगी. करीब 150 करोड़ की लागत से भवन का निर्माण होगा.

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जिला स्तर के कार्यालय शिफ्ट होंगे. मिनी सचिवालय बनाकर उसमें जिला लेवल के सभी दफ्तर शिफ्ट कर दिए जाएंगे. मिनी सचिवालय बनने पर कलेक्टर, एडीएम, समाज कल्याण, एसपी ऑफिस, स्टाम्प एंड रजिस्ट्रार, कॉपरेटिव, सीएमएचओ, कृषि, पशुपालन, वन, पीएचईडी, पीडब्लूडी समेत करीब 38 दफ्तर एक ही परिसर में स्थानांतरित हो जाएंगे. इससे आमजन को जिला स्तर पर होने वाले कार्यों के लिए अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे. अलवर और गंगानगर में तो मिनी सचिवालय के लिए नई बिल्डिंग का काम लगभग पूरा हो गया है. सिरोही में जगह चिह्नित हो गई है और वर्क ऑर्डर जारी किया जा रहा है. अलवर में मिनी सचिवालय बनाया गया है, जबकि गंगानगर में पुरानी शुगर मिल की जमीन पर इसे तैयार किया गया है .

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छोटे-छोटे कामों के लिए काटने होते हैं चक्कर
प्रदेश के सभी जिलों में सरकारी दफ्तरों को एक छत के नीचे लाने के लिए वर्ष 2014 में पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने मिनी सचिवालय की घोषणा की थी. इसके लिए पहले चरण में 12 जिलों का चयन भी हो गया, लेकिन काम केवल दो जिलों में पूरा हो सका है. जयपुर समेत अधिकांश जिलों में कलेक्ट्रेट सहित अन्य सरकारी दफ्तर अलग-अलग जगह बने हुए हैं. इससे लोगों को छोटे-छोटे कामों के लिए भी यहां-वहां चक्कर काटने पड़ते हैं.

राज्य में अधिकांश भवन रियासत काल के हैं, जिनमें ये सरकारी दफ्तर चल रहे हैं. इसके मद्देनजर सरकार सभी विभागों को एक ही छत के नीचे लाना चाहती है. जयपुर में बनीपार्क स्थित कलेक्ट्रेट और कोटा नयापुरा कलेक्ट्रेट पर यातायात का भारी दबाव है. यही हाल प्रदेश के अन्य सभी जिलों में भी है. लोगों को अपने काम के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.

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