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SPECIAL : लॉकडाउन की आहट, पलायन 2.0 शुरू...मेहनताना छोड़ भूखे-प्यासे रवाना हो रहे प्रवासी मजदूर

कोरोना की दूसरी लहर के कारण प्रदेश में भी हालात बद से बदतर होते दिख रहे हैं. इस बीच राज्य सरकार भी नई कोविड गाइडलाइंस जारी कर सख्त पाबंदियां लगाने को मजबूर है. इन पाबंदियों का सबसे ज्यादा असर प्रवासी मजदूरों पर पड़ रहा है. एक बार फिर मजदूरों का पलायन शुरू हो गया है.

Migration of migrant laborers
जयपुर से शुरू हुआ पलायन
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Published : Apr 16, 2021, 6:11 PM IST

जयपुर. कोरोना की दूसरी लहर ने जैसे ही अपनी डरावनी चाल चली है, वैसे ही पुराने डरावने दिन वापस लौटने लगे हैं. राज्य में जैसे ही पाबंदियां बढ़ने लगी हैं. उसी के चलते लॉकडाउन की आहट से प्रवासी मजदूर घबराएं हुए हैं.

मेहनताना भी नहीं लिया, बस ठिकाने पहुंच जाएं...

जहां पिछले साल कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में सबसे खराब हालात प्रवासी मजदूरों के हुए थे और अब एक बार फिर उन्ही दिहाड़ी मजदूरों को लॉकडाउन का डर सताने लगा है. जिसके चलते वे पलायन करने लगे हैं. जयपुर के सिंधी कैम्प बस स्टेंड पर प्रवासी मजदूरों की फिर से भीड़ उमड़ने लगी है. जहां फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर अपना बोरिया-बिस्तर बांध कर गांव की ओर लौटने की जद्दोजहद में लगे हैं.

Migration of migrant laborers
घर तक पहुंचने के साधन के इंतजार में मजदूर

कोई बिहार जा रहा, कोई उत्तर प्रदेश

जयपुर से मजदूर वर्ग का पलायन शुरू हो चुका है. कोई बिहार जा रहा है तो कोई उत्तर प्रदेश, जिसे जो साधन मिल रहा है उसी से निकल रहे हैं. इन्हें लगता है कि लॉकडाउन किसी भी वक्त लग सकता है. यहां तक कि कई मजदूरों को उनके ठेकेदारों ने मेहनताना तक नहीं दिया है. फिर भी भूखे प्यासे घर से टिकट के रुपये मंगवाकर वापस अपने गृहनगर लौट रहे हैं.

Migration of migrant laborers
वीकेंड कर्फ्यू ने बढ़ाई चिंता, बाजार बंद

ठेकेदार ले आए, मेहनताना नहीं दिया

प्रवासी कामगार आशीष यादव ने बताया कि पहले लॉकडाउन हटने के बाद ठेकेदार उन्हें काम के लिए ले आए. अब मेहनताना भी नहीं दिया. इसलिए बिना मेहनताना लिये ही घर जा रहे हैं. ठेकेदार ने कोरोना संक्रमण का बहाना लेकर रुपये नहीं दिए और बोले कि काम धंधा बंद है.

Migration of migrant laborers
लॉकडाउन की आशंका, आंखों में मजबूरी

पढ़ें-कोरोना से बिगड़े हालात : नहीं मिली ऑक्सीजन, अस्पताल के बाहर ही महिला ने तोड़ा दम

याद आते हैं पिछले साल वाले हालात

लोहे की फैक्ट्री में काम करने वाले प्रवासी कामगार छोटेलाल ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि फिलहाल जयपुर में नाईट कर्फ्यू लगा है. लॉकडाउन भी लगाया जा सकता है. उस वक्त अफरा-तफरी की स्थिति से बचने के लिए हम अभी ही अपने घर के लिए निकल रहे हैं. ताकि उत्तरप्रदेश में ही अपने परिवार के साथ रह सकें. क्योंकि गए बरस जो हालात पैदा हुए थे वैसी स्थिति आ गई तो कहाँ जाएंगे.

Migration of migrant laborers
परिवार के साथ घर चले प्रवासी

यदि अचानक लॉकडाउन लग गया और फैक्ट्री बंद हो गई तो रहने-खाने का संकट पैदा हो सकता है. इसीलिए अपने परिवार के पास जा रहे है. उन्होंने कहा कि पिछले लॉकडाउन में 3 महीने यहां रुके थे. भुखमरी के कगार पर आ गए थे. हालात ऐसे थे कि घर से रुपये मंगवाकर गुजारा करना पड़ा था.

Migration of migrant laborers
सिंधी कैंप पर प्रवासी मजदूरों की भीड़

लॉकडाउन लगा तो मजदूरों को परेशान नहीं होने देंगे

इधर कोरोना के बढ़ते प्रकोप और लागू हो रही सख्तियों को लेकर फैक्ट्री मालिकों की भी परेशानी बढ़ने लगी है. स्टील फैक्ट्री चलाने वाले ऋषि शर्मा ने बताया कि पिछली बार जो प्रवासी मजदूरों का मंजर देखा था, जिसमें उन्हें खाने-पीने और घर जानें में भी दिक्कतें हुई थीं. इसलिए इस बार पहले से ही मजदूरों की मेहनताना राशि को एडवांस में सेविंग करके रखी है. इससे यदि अचानक लॉकडाउन लग गया तो उन्हें आगे दिक्कत नहीं आयेगी.

Migration of migrant laborers
जयपुर से शुरू हुआ पलायन

मजदूरों की मेहनताना से जो राशि काटते थे वो उनके पास एडवांस में सेविंग के तौर पर जमा है. जो सही समय पर उनके काम में आयेगी. भविष्य में लॉकडाउन लग भी जाता है तो मजदूरों को 2 महीने तक कोई परेशानी नहीं होगी. यदि सरकार पहले बता देगी की लॉकडाउन लगने वाला है तो वो अपने प्रवासी मजदूरों को समय रहते भेज देंगे.

जयपुर. कोरोना की दूसरी लहर ने जैसे ही अपनी डरावनी चाल चली है, वैसे ही पुराने डरावने दिन वापस लौटने लगे हैं. राज्य में जैसे ही पाबंदियां बढ़ने लगी हैं. उसी के चलते लॉकडाउन की आहट से प्रवासी मजदूर घबराएं हुए हैं.

मेहनताना भी नहीं लिया, बस ठिकाने पहुंच जाएं...

जहां पिछले साल कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में सबसे खराब हालात प्रवासी मजदूरों के हुए थे और अब एक बार फिर उन्ही दिहाड़ी मजदूरों को लॉकडाउन का डर सताने लगा है. जिसके चलते वे पलायन करने लगे हैं. जयपुर के सिंधी कैम्प बस स्टेंड पर प्रवासी मजदूरों की फिर से भीड़ उमड़ने लगी है. जहां फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर अपना बोरिया-बिस्तर बांध कर गांव की ओर लौटने की जद्दोजहद में लगे हैं.

Migration of migrant laborers
घर तक पहुंचने के साधन के इंतजार में मजदूर

कोई बिहार जा रहा, कोई उत्तर प्रदेश

जयपुर से मजदूर वर्ग का पलायन शुरू हो चुका है. कोई बिहार जा रहा है तो कोई उत्तर प्रदेश, जिसे जो साधन मिल रहा है उसी से निकल रहे हैं. इन्हें लगता है कि लॉकडाउन किसी भी वक्त लग सकता है. यहां तक कि कई मजदूरों को उनके ठेकेदारों ने मेहनताना तक नहीं दिया है. फिर भी भूखे प्यासे घर से टिकट के रुपये मंगवाकर वापस अपने गृहनगर लौट रहे हैं.

Migration of migrant laborers
वीकेंड कर्फ्यू ने बढ़ाई चिंता, बाजार बंद

ठेकेदार ले आए, मेहनताना नहीं दिया

प्रवासी कामगार आशीष यादव ने बताया कि पहले लॉकडाउन हटने के बाद ठेकेदार उन्हें काम के लिए ले आए. अब मेहनताना भी नहीं दिया. इसलिए बिना मेहनताना लिये ही घर जा रहे हैं. ठेकेदार ने कोरोना संक्रमण का बहाना लेकर रुपये नहीं दिए और बोले कि काम धंधा बंद है.

Migration of migrant laborers
लॉकडाउन की आशंका, आंखों में मजबूरी

पढ़ें-कोरोना से बिगड़े हालात : नहीं मिली ऑक्सीजन, अस्पताल के बाहर ही महिला ने तोड़ा दम

याद आते हैं पिछले साल वाले हालात

लोहे की फैक्ट्री में काम करने वाले प्रवासी कामगार छोटेलाल ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि फिलहाल जयपुर में नाईट कर्फ्यू लगा है. लॉकडाउन भी लगाया जा सकता है. उस वक्त अफरा-तफरी की स्थिति से बचने के लिए हम अभी ही अपने घर के लिए निकल रहे हैं. ताकि उत्तरप्रदेश में ही अपने परिवार के साथ रह सकें. क्योंकि गए बरस जो हालात पैदा हुए थे वैसी स्थिति आ गई तो कहाँ जाएंगे.

Migration of migrant laborers
परिवार के साथ घर चले प्रवासी

यदि अचानक लॉकडाउन लग गया और फैक्ट्री बंद हो गई तो रहने-खाने का संकट पैदा हो सकता है. इसीलिए अपने परिवार के पास जा रहे है. उन्होंने कहा कि पिछले लॉकडाउन में 3 महीने यहां रुके थे. भुखमरी के कगार पर आ गए थे. हालात ऐसे थे कि घर से रुपये मंगवाकर गुजारा करना पड़ा था.

Migration of migrant laborers
सिंधी कैंप पर प्रवासी मजदूरों की भीड़

लॉकडाउन लगा तो मजदूरों को परेशान नहीं होने देंगे

इधर कोरोना के बढ़ते प्रकोप और लागू हो रही सख्तियों को लेकर फैक्ट्री मालिकों की भी परेशानी बढ़ने लगी है. स्टील फैक्ट्री चलाने वाले ऋषि शर्मा ने बताया कि पिछली बार जो प्रवासी मजदूरों का मंजर देखा था, जिसमें उन्हें खाने-पीने और घर जानें में भी दिक्कतें हुई थीं. इसलिए इस बार पहले से ही मजदूरों की मेहनताना राशि को एडवांस में सेविंग करके रखी है. इससे यदि अचानक लॉकडाउन लग गया तो उन्हें आगे दिक्कत नहीं आयेगी.

Migration of migrant laborers
जयपुर से शुरू हुआ पलायन

मजदूरों की मेहनताना से जो राशि काटते थे वो उनके पास एडवांस में सेविंग के तौर पर जमा है. जो सही समय पर उनके काम में आयेगी. भविष्य में लॉकडाउन लग भी जाता है तो मजदूरों को 2 महीने तक कोई परेशानी नहीं होगी. यदि सरकार पहले बता देगी की लॉकडाउन लगने वाला है तो वो अपने प्रवासी मजदूरों को समय रहते भेज देंगे.

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