जयपुर. कोरोना की दूसरी लहर ने जैसे ही अपनी डरावनी चाल चली है, वैसे ही पुराने डरावने दिन वापस लौटने लगे हैं. राज्य में जैसे ही पाबंदियां बढ़ने लगी हैं. उसी के चलते लॉकडाउन की आहट से प्रवासी मजदूर घबराएं हुए हैं.
जहां पिछले साल कोरोना काल में लगे लॉकडाउन में सबसे खराब हालात प्रवासी मजदूरों के हुए थे और अब एक बार फिर उन्ही दिहाड़ी मजदूरों को लॉकडाउन का डर सताने लगा है. जिसके चलते वे पलायन करने लगे हैं. जयपुर के सिंधी कैम्प बस स्टेंड पर प्रवासी मजदूरों की फिर से भीड़ उमड़ने लगी है. जहां फैक्ट्रियों में काम करने वाले मजदूर अपना बोरिया-बिस्तर बांध कर गांव की ओर लौटने की जद्दोजहद में लगे हैं.
कोई बिहार जा रहा, कोई उत्तर प्रदेश
जयपुर से मजदूर वर्ग का पलायन शुरू हो चुका है. कोई बिहार जा रहा है तो कोई उत्तर प्रदेश, जिसे जो साधन मिल रहा है उसी से निकल रहे हैं. इन्हें लगता है कि लॉकडाउन किसी भी वक्त लग सकता है. यहां तक कि कई मजदूरों को उनके ठेकेदारों ने मेहनताना तक नहीं दिया है. फिर भी भूखे प्यासे घर से टिकट के रुपये मंगवाकर वापस अपने गृहनगर लौट रहे हैं.
ठेकेदार ले आए, मेहनताना नहीं दिया
प्रवासी कामगार आशीष यादव ने बताया कि पहले लॉकडाउन हटने के बाद ठेकेदार उन्हें काम के लिए ले आए. अब मेहनताना भी नहीं दिया. इसलिए बिना मेहनताना लिये ही घर जा रहे हैं. ठेकेदार ने कोरोना संक्रमण का बहाना लेकर रुपये नहीं दिए और बोले कि काम धंधा बंद है.
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याद आते हैं पिछले साल वाले हालात
लोहे की फैक्ट्री में काम करने वाले प्रवासी कामगार छोटेलाल ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि फिलहाल जयपुर में नाईट कर्फ्यू लगा है. लॉकडाउन भी लगाया जा सकता है. उस वक्त अफरा-तफरी की स्थिति से बचने के लिए हम अभी ही अपने घर के लिए निकल रहे हैं. ताकि उत्तरप्रदेश में ही अपने परिवार के साथ रह सकें. क्योंकि गए बरस जो हालात पैदा हुए थे वैसी स्थिति आ गई तो कहाँ जाएंगे.
यदि अचानक लॉकडाउन लग गया और फैक्ट्री बंद हो गई तो रहने-खाने का संकट पैदा हो सकता है. इसीलिए अपने परिवार के पास जा रहे है. उन्होंने कहा कि पिछले लॉकडाउन में 3 महीने यहां रुके थे. भुखमरी के कगार पर आ गए थे. हालात ऐसे थे कि घर से रुपये मंगवाकर गुजारा करना पड़ा था.
लॉकडाउन लगा तो मजदूरों को परेशान नहीं होने देंगे
इधर कोरोना के बढ़ते प्रकोप और लागू हो रही सख्तियों को लेकर फैक्ट्री मालिकों की भी परेशानी बढ़ने लगी है. स्टील फैक्ट्री चलाने वाले ऋषि शर्मा ने बताया कि पिछली बार जो प्रवासी मजदूरों का मंजर देखा था, जिसमें उन्हें खाने-पीने और घर जानें में भी दिक्कतें हुई थीं. इसलिए इस बार पहले से ही मजदूरों की मेहनताना राशि को एडवांस में सेविंग करके रखी है. इससे यदि अचानक लॉकडाउन लग गया तो उन्हें आगे दिक्कत नहीं आयेगी.
मजदूरों की मेहनताना से जो राशि काटते थे वो उनके पास एडवांस में सेविंग के तौर पर जमा है. जो सही समय पर उनके काम में आयेगी. भविष्य में लॉकडाउन लग भी जाता है तो मजदूरों को 2 महीने तक कोई परेशानी नहीं होगी. यदि सरकार पहले बता देगी की लॉकडाउन लगने वाला है तो वो अपने प्रवासी मजदूरों को समय रहते भेज देंगे.