जयपुर. राजधानी जयपुर में लॉकडाउन का दौर जारी है. इस दौर में कुछ लोग ऐसे हैं जो अपने प्रवासी श्रमिकों की मदद की जद्दोजहद में जुटे हैं. यह लोग झोटवाड़ा इंडस्ट्रियल एरिया में मौजूद हैं और अपने साथियों को इस मुश्किल घड़ी में खाना बनाकर खिला रहे हैं. लोगों का कहना है कि लॉकडाउन से पहले इस ढाबे पर रोजाना बड़ी तादाद में लोग खाने के लिए आते थे और अब हालात यह है कि जो लोग घर नहीं जा पाए या जिनके पास संसाधन नहीं है, वह सिस्टम से हार कर उन तक पहुंच रहे हैं.
जयपुर के झोटवाड़ा औद्योगिक क्षेत्र में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर आकर वहां की फैक्ट्रियों में मजदूरी के जरिए अपना घर चलाते हैं. जब से लॉकडाउन हुआ है, उसके बाद यहां बसे मजदूरों के लिए जिंदगी बसर करना मुश्किल हो चुका है. मजदूरों के मुताबिक सरकारी आदेश के बाद फैक्ट्रियां बंद हो चुकी है. उनका कहना है कि पहले से बकाया मेहनताना भी नहीं मिला है और रोजाना खाने का खर्चा उनके लिए अब मुश्किल भरे हालात पैदा कर रहा है.
पढ़ें-ईटीवी भारत की खबर का असर : गृह मंत्रालय को जारी करना पड़ा स्पष्टीकरण
जनरल स्टोर चलाने वाले दीपक ने बताया कि पहले बड़ी संख्या में मजदूर उनकी दुकान पर सामान लेने के लिए आया करते थे. लॉकडाउन के बाद इन मजदूरों की सहायता के लिए सरकारी खर्च पर कुछ दिन खाना देने वाली गाड़ी आई, परंतु अब ना ही कोई सरकारी मदद है और ना ही उनकी कोई सुनवाई करने वाला.
साथियों के लिए तैयार कर रहा खाना
एक मजदूर ने बताया कि लॉकडाउन के बाद 2 हफ्ते तक नजदीकी चौराहे पर एक सरकारी गाड़ी आकर उन लोगों के लिए खाना देकर जाया करती थी. लेकिन अब गाड़ी ने आना बंद कर दिया है. वहीं, ऐसे श्रमिकों के लिए ढाबा चलाने वाले अशोक के मुताबिक पहले वह 150 लोगों के लिए खाना तैयार करता था, फिर लॉकडाउन में उसने काम बंद कर दिया था. उन्होंने बताया कि अब वह अपने राज्य के साथियों को इस मुश्किल हालात में भूखे नहीं छोड़ सकता है, ऐसे में उनके लिए खाने की व्यवस्था खुद करने में जुटा है ताकि कोई भूखा ना सोए.
जयपुर के विभिन्न औद्योगिक इलाकों के हालात
बता दें कि कामगार रोजी रोटी के संकट से जूझ रहे हैं और सरकारी हेल्पलाइन से भी उन लोगों को मदद नहीं मिल पा रही है. यह वह लोग हैं जो ज्यादा पढ़े लिखे भी नहीं है, आसपास सामाजिक संगठनों की मदद से मिलने वाले खाने से अपना और अपने परिजनों का गुजारा करते हैं. लेकिन सरकारी मदद नहीं मिलने की निराशा भी इनके चेहरे पर साफ नजर आती है. लोगों की मांग है कि जल्द सरकार अगर उनके राज्यों तक जाने की सुविधा दें तो वह अब यहां नहीं रहना चाहते हैं.