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मीणा बनाम मीना मामला एक बार फिर सुर्खियों में, किरोड़ी लाल मीणा के लगाए सवाल का ये मिला जवाब - राज्यसभा सदस्य डॉ किरोड़ी लाल मीणा

राजस्थान में मीना बनाम मीणा विवाद (Meena Vs Meena again ) एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. राज्यसभा सदस्य डॉ किरोड़ी लाल मीणा ने राज्यसभा में अतारांकित प्रश्न पूछा था. जिसके जवाब में जनजातीय कार्य मंत्रालय ने स्पष्ट करते हुए लिखित जवाब में मीणा समुदाय को ST में नहीं माना है.

Meena Vs Meena again In Rajasthan
मीणा बनाम मीना फिर सुर्खियों में
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Published : Mar 20, 2022, 12:54 PM IST

जयपुर. मीणा बनाम मीना (Meena Vs Meena again) मामले में मंत्रालय ने किरोड़ी लाल मीणा को जवाब दिया है. लिखा है कि राजस्थान में एसटी लिस्ट में 'मीना' जाति 9वें नंबर पर है मतलब राजस्थान में 'मीना' एसटी में है 'मीणा' समुदाय अनुसूचित जनजाति में नहीं है. सूची के हिंदी अनुवाद में अंग्रेजी का हिंदी अनुवाद 'मीना' ही लिखा है और 'मीणा' जाति राजस्थान की अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नहीं है.

जनजाति विकास मंत्रालय के अनुसार राजस्थान सरकार को सूचित कर दिया है कि अगर उन्हें राजस्थान की अनुसूचित जाति की सूची में संशोधन करना है तो इसके लिए मौजूदा नियमों के तहत मानव जाति विज्ञान अध्ययन के साथ विस्तृत प्रस्ताव भेजें. हालांकि इस संबंध में राज्य सरकार का प्रस्ताव अभी तक नहीं आया है.

ये भी पढ़ें- Vaibhav gehlot fraud case: सीएम पर बरसे कटारिया, कहा- राजस्थान के गांधी को जनता के समक्ष स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए..

ये सवाल पूछा था डॉ किरोडी ने: राजस्थान से भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ी लाला मीणा ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा था कि क्या राजस्थान में मीणा-मीना एक ही जाति है. इस संबंध में 2015 से राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार को भेजे गए पत्रों के ब्योरे सहित केंद्र सरकार की ओर से राज्य को भेजे स्पष्टीकरण क्या हैं ? किरोड़ी ने पूछा कि क्या राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार से इस बारे में स्पष्टीकरण जारी करने का अनुरोध किया है तो केंद्र सरकार कब तक आवश्यक संशोधन करने का विचार रखती है ?

पहले भी मीना-मीणा विवाद रहा सुर्खियों में: साल 2013 में एक आरटीआई के जवाब (RTI ON Meena Vs Meena) में केंद्रीय जनजाति मंत्रालय ने मीणा जाति को एसटी मानने से इनकार करते हुए मीना जाति को एसटी बताया था. 2014 में राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्य पीठ ने एक याचिका पर आदेश दिया. जिसमें मीणा जाति को एसटी का कोई लाभ न देने और मुख्य सचिव को आदेश की पालना को कहा गया.

सरकार ने हाईकोर्ट में पेश जवाब में बताया कि मीणा और मीना नाम एक ही जाति के हैं सिर्फ बोली के फर्क के कारण मीना को मीणा बोला और लिखा जाने लगा है. इस आदेश के बाद मीणा नाम से जाति प्रमाण-पत्रों को बड़ी संख्या में मीना नाम से बदलवाने का सिलसिला शुरू हो गया था. हाईकोर्ट ने रोक लगाते हुए सरकार से जवाब मांगा तो 2014 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने मीणा नाम से बने हुए जाति प्रमाण-पत्रों को मीना नाम से बदलने पर रोक लगा दी थी. मीणा समाज के आंदोलित होने पर सरकार ने उस आदेश को वापस ले लिया था. ये याचिका कोर्ट में आज भी लंबित है.

जयपुर. मीणा बनाम मीना (Meena Vs Meena again) मामले में मंत्रालय ने किरोड़ी लाल मीणा को जवाब दिया है. लिखा है कि राजस्थान में एसटी लिस्ट में 'मीना' जाति 9वें नंबर पर है मतलब राजस्थान में 'मीना' एसटी में है 'मीणा' समुदाय अनुसूचित जनजाति में नहीं है. सूची के हिंदी अनुवाद में अंग्रेजी का हिंदी अनुवाद 'मीना' ही लिखा है और 'मीणा' जाति राजस्थान की अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल नहीं है.

जनजाति विकास मंत्रालय के अनुसार राजस्थान सरकार को सूचित कर दिया है कि अगर उन्हें राजस्थान की अनुसूचित जाति की सूची में संशोधन करना है तो इसके लिए मौजूदा नियमों के तहत मानव जाति विज्ञान अध्ययन के साथ विस्तृत प्रस्ताव भेजें. हालांकि इस संबंध में राज्य सरकार का प्रस्ताव अभी तक नहीं आया है.

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ये सवाल पूछा था डॉ किरोडी ने: राजस्थान से भाजपा के राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ी लाला मीणा ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा था कि क्या राजस्थान में मीणा-मीना एक ही जाति है. इस संबंध में 2015 से राज्य सरकार की ओर से केंद्र सरकार को भेजे गए पत्रों के ब्योरे सहित केंद्र सरकार की ओर से राज्य को भेजे स्पष्टीकरण क्या हैं ? किरोड़ी ने पूछा कि क्या राजस्थान सरकार ने केंद्र सरकार से इस बारे में स्पष्टीकरण जारी करने का अनुरोध किया है तो केंद्र सरकार कब तक आवश्यक संशोधन करने का विचार रखती है ?

पहले भी मीना-मीणा विवाद रहा सुर्खियों में: साल 2013 में एक आरटीआई के जवाब (RTI ON Meena Vs Meena) में केंद्रीय जनजाति मंत्रालय ने मीणा जाति को एसटी मानने से इनकार करते हुए मीना जाति को एसटी बताया था. 2014 में राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर मुख्य पीठ ने एक याचिका पर आदेश दिया. जिसमें मीणा जाति को एसटी का कोई लाभ न देने और मुख्य सचिव को आदेश की पालना को कहा गया.

सरकार ने हाईकोर्ट में पेश जवाब में बताया कि मीणा और मीना नाम एक ही जाति के हैं सिर्फ बोली के फर्क के कारण मीना को मीणा बोला और लिखा जाने लगा है. इस आदेश के बाद मीणा नाम से जाति प्रमाण-पत्रों को बड़ी संख्या में मीना नाम से बदलवाने का सिलसिला शुरू हो गया था. हाईकोर्ट ने रोक लगाते हुए सरकार से जवाब मांगा तो 2014 में सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने मीणा नाम से बने हुए जाति प्रमाण-पत्रों को मीना नाम से बदलने पर रोक लगा दी थी. मीणा समाज के आंदोलित होने पर सरकार ने उस आदेश को वापस ले लिया था. ये याचिका कोर्ट में आज भी लंबित है.

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