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food health supplements test: बाजारों में बिक रहे फूड सप्लीमेंट्स कितने फायदेमंद... न सैंपल ले रहा, न जांच कर रहा चिकित्सा विभाग - Disadvantages of food supplements

जिम में वर्कआउट करने के साथ फूड सप्लीमेंट (food health supplements ) भी ले रहे हैं. ऐसे में किस तरह के फूड सप्लीमेंट्स बाजार में बेचे जा रहे हैं इससे चिकित्सा विभाग (Medical department oblivious) बेखबर है. विभाग की ओर से बीते कुछ सालों में इस पर कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई है.

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किस तरह के फूड सप्लीमेंट बिक रहे बाजार में चिकित्सा विभाग बेखबर
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Published : Dec 11, 2021, 6:38 PM IST

जयपुर. आज के युवा फिट रहने के लेकर कुछ ज्यादा ही गंभीर हैं. इसे लेकर युवा जिम में घंटों पसीना बहाते हैं. यही वजह है कि फूड सप्लीमेंट (food health supplements) की बिक्री भी बाजारों में तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में तमाम कंपनियों के फूड सप्लीमेंट्स बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन इससे चिकित्सा विभाग (Medical department oblivious) बेखबर है. बीते कुछ सालों में विभाग की ओर से कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई. न नमूने लिए जा रहे हैं और न ही फूड सप्लीमेंट्स की जांच की जा रही है. ऐसे में नकली फूड सप्लीमेंट्स खाने से लोगों के शरीर को काफी नुकसान हो सकता है.

फूड हेल्थ सप्लीमेंट्स प्रोटीन पाउडर या अन्य फॉर्मेट में बाजारों में बेचा जा रहा है. युवा वर्ग अच्छी बॉडी बनाने के चक्कर में प्रोटीन पाउडर्स या अन्य फूड हेल्थ सप्लीमेंट का बेधड़क इस्तेमाल भी कर रहा है. ऐसे फूड स्पलीमेंट्स को स्टोर या फिर मेडिकल की दुकानों पर बेचा जाता है, लेकिन बीते कुछ सालों से चिकित्सा विभाग बिल्कुल बेखबर है कि आखिर किस तरह के फूड सप्लीमेंट्स बाजार में बिक रहे हैं.

नकली फूड सप्लीमेंट खरीदने से बचें

मामले को लेकर फूड इंस्पेक्टर वीरेंद्र कुमार का कहना है कि किसी भी तरह के फूड सप्लीमेंट बेचने के लिए वेंडर के पास लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन जरूरी है. हालांकि चिकित्सा ने बीते कुछ समय से कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है, लेकिन विभाग का कहना है कि यदि आमजन चाहे तो फूड सप्लीमेंट की जांच सीएमएचओ ऑफिस में करवा सकता है.

पढ़ें.महामारी में लोगों को पड़ी ऑनलाइन रहने की आदत, बढ़े 'डिजिटल जिंदगी' के खतरे : रिपोर्ट

साथ ही वीरेंद्र कुमार ने कहा कि जब भी फूड सप्लीमेंट की खरीद की जाए तो उस पर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया का लोगो, बैच नंबर और एक्सपायरी डेट देखने के बाद ही इसकी खरीद करें. यदि फूड सप्लीमेंट बहुत जल्दी-जल्दी शरीर पर असर दिखा रहा है तो इसकी जांच जरूरी है यह नकली भी हो सकता है.

किडनी डैमेज का खतरा

वहीं डॉ. नरोत्तम शर्मा का कहना है कि एक निश्चित मात्रा में ही फूड सप्लीमेंट या प्रोटीन का सेवन करना चाहिए. यदि तय मात्रा से अधिक या फिर प्रोटीन डाइट पर ही कोई व्यक्ति रहता है तो किडनी डैमेज होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.

ऐसे में फूड सप्लीमेंट का उपभोग करने वाले लोगों को समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की जांच करवाना जरूरी होता है. डॉ. शर्मा ने कहा कि हम हमारे सामान्य खाने से भी प्रोटीन ले सकते हैं. जो कि बाजार में बिकने वाले प्रोटीन से कई ज्यादा बेहतर है और जिससे शरीर को किसी तरह का नुकसान भी नहीं है.

जयपुर. आज के युवा फिट रहने के लेकर कुछ ज्यादा ही गंभीर हैं. इसे लेकर युवा जिम में घंटों पसीना बहाते हैं. यही वजह है कि फूड सप्लीमेंट (food health supplements) की बिक्री भी बाजारों में तेजी से बढ़ रही है. ऐसे में तमाम कंपनियों के फूड सप्लीमेंट्स बाजार में उपलब्ध हैं लेकिन इससे चिकित्सा विभाग (Medical department oblivious) बेखबर है. बीते कुछ सालों में विभाग की ओर से कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई. न नमूने लिए जा रहे हैं और न ही फूड सप्लीमेंट्स की जांच की जा रही है. ऐसे में नकली फूड सप्लीमेंट्स खाने से लोगों के शरीर को काफी नुकसान हो सकता है.

फूड हेल्थ सप्लीमेंट्स प्रोटीन पाउडर या अन्य फॉर्मेट में बाजारों में बेचा जा रहा है. युवा वर्ग अच्छी बॉडी बनाने के चक्कर में प्रोटीन पाउडर्स या अन्य फूड हेल्थ सप्लीमेंट का बेधड़क इस्तेमाल भी कर रहा है. ऐसे फूड स्पलीमेंट्स को स्टोर या फिर मेडिकल की दुकानों पर बेचा जाता है, लेकिन बीते कुछ सालों से चिकित्सा विभाग बिल्कुल बेखबर है कि आखिर किस तरह के फूड सप्लीमेंट्स बाजार में बिक रहे हैं.

नकली फूड सप्लीमेंट खरीदने से बचें

मामले को लेकर फूड इंस्पेक्टर वीरेंद्र कुमार का कहना है कि किसी भी तरह के फूड सप्लीमेंट बेचने के लिए वेंडर के पास लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन जरूरी है. हालांकि चिकित्सा ने बीते कुछ समय से कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की है, लेकिन विभाग का कहना है कि यदि आमजन चाहे तो फूड सप्लीमेंट की जांच सीएमएचओ ऑफिस में करवा सकता है.

पढ़ें.महामारी में लोगों को पड़ी ऑनलाइन रहने की आदत, बढ़े 'डिजिटल जिंदगी' के खतरे : रिपोर्ट

साथ ही वीरेंद्र कुमार ने कहा कि जब भी फूड सप्लीमेंट की खरीद की जाए तो उस पर फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया का लोगो, बैच नंबर और एक्सपायरी डेट देखने के बाद ही इसकी खरीद करें. यदि फूड सप्लीमेंट बहुत जल्दी-जल्दी शरीर पर असर दिखा रहा है तो इसकी जांच जरूरी है यह नकली भी हो सकता है.

किडनी डैमेज का खतरा

वहीं डॉ. नरोत्तम शर्मा का कहना है कि एक निश्चित मात्रा में ही फूड सप्लीमेंट या प्रोटीन का सेवन करना चाहिए. यदि तय मात्रा से अधिक या फिर प्रोटीन डाइट पर ही कोई व्यक्ति रहता है तो किडनी डैमेज होने का खतरा काफी बढ़ जाता है.

ऐसे में फूड सप्लीमेंट का उपभोग करने वाले लोगों को समय-समय पर अपने स्वास्थ्य की जांच करवाना जरूरी होता है. डॉ. शर्मा ने कहा कि हम हमारे सामान्य खाने से भी प्रोटीन ले सकते हैं. जो कि बाजार में बिकने वाले प्रोटीन से कई ज्यादा बेहतर है और जिससे शरीर को किसी तरह का नुकसान भी नहीं है.

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