जयपुर. प्रदेश की गहलोत सरकार भले ही ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करके कर्मचारियों को साधने की कोशिश कर रही हो, लेकिन इस घोषणा के बाद भी (Policy for Workers in Rajasthan) कर्मचारी सरकार से खुश नहीं हैं. सरकार की मजदूरों और कर्मचारी विरोधी नीतियों के खिलाफ अखिल भारतीय मजदूर संघ ने शुक्रवार को राजधानी जयपुर में आक्रोश रैली निकाली. साथ ही सरकार को 22 सूत्री मांगों का ज्ञापन भी सौंपा.
भामस ने शहीद स्मारक से सिविल लाइन फाटक तक मजदूर आक्रोश रैली (Bhartiya Mazdoor Sangh Rally in Jaipur) निकालकर विरोध प्रदर्शन किया गया. भामस की इस रैली को संघ के अखिल भारतीय महामंत्री विनय कुमार सिन्हा और क्षेत्रीय संगठन मंत्री राजबिहारी शर्मा ने हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया. रैली शहीद स्मारक से सिविल लाइन फाटक पर सभा के रूप में परिवर्ति हो गई.
सभी केंद्रीय एवं राज्य के विभागों में तत्काल लागू हो पुरानी पेंशनः संगठन के अखिल भारतीय महामंत्री विनय कुमार सिन्हा ने कहा कि श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना एक बहुत बड़ा विषय है. आईएलओ में मजदूर समस्याओं और उन्हें कैसे सामाजिक सुरक्षा प्रदान किया जाए इन विषयों पर चर्चा होती है. उन्होंने कहा कि आज की यह रैली केवल राजस्थान में ही नहीं, बल्कि पूरे भारत में हो रही है. इससे पहले यह रैली भाजपा शासित प्रदेशों गुजरात जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं मध्य प्रदेश में हो चुकी है.
उन्होंने कहा कि हम यह रैली सभी सरकारों चाहे वह केंद्र हो या राज्य सरकार सभी को जगाने के लिए कर रहे हैं. सरकारें अपने ही आदेश अभी तक लागू नहीं कर पा रही हैं. राजस्थान सरकार ने पुरानी पेंशन की घोषण की है. हम उसका स्वागत करते हैं, लेकिन यह भी मांग करते हैं कि इसमें निगम और उपक्रम के कर्मचारियों को भी शामिल किया जाए. उन्होंने कहा कि हमारी रैली को सरकार ने अनुमति देने में बहुत आना-कानी की है, हमारे इस भगवे झण्डे का राजनीतिकरण करने की कोशिश की है, लेकिन हम सरकार को यह बताना चाहते हैं कि भगवा झंडा प्रेम एवं सद्भावना का प्रतीक है. इस झंडे को सरकार को सरोकार कर मजदूर और कर्मचारियों की समस्यओं को दूर करने की जरूरत है.
यदि सरकारें नींद से नहीं जागेंगी तो भारतीय मजदूर संघ उन्हें जगाने का माद्दा रखता है, उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र एवं राज्य सरकारों को सरकारी कर्मचारी घोषित करने सहित सारे प्रावधान लागू करने के लिए आदेश पारित किया था. ग्रेच्यूटी के साथ-साथ स्थापना एवं सामाजिक सुरक्षा के सारे प्रावधान लागू हो, लेकिन अभी तक आग नहीं हुआ है. हम यह मांग करते हैं कि तत्काल लागू हो और उन्हें न्याय मिले. उन्होंने कहा कि आज भी श्रमिकों के लिए सरकार मिनिमम वेज का आदेश लागू नहीं कर पाई है.
सौतेला व्यवहार किया जा रहा हैः संगठन के क्षेत्रीय संगठन मंत्री राजविहारी शर्मा ने बताया कि आज भारतीय मजदूर संघ विश्व, भारत सहित (Anti Worker and Employee Policies of Gehlot Government) राजस्थान का भी सबसे बड़ा संगठन है. आरोप लगाया कि राजस्थान सरकार ने श्रम विभाग की कमेटियों में स्थान न देकर सौतेला व्यवहार किया है. हम सरकार का सीधे विरोध करते हैं और तत्काल मांग करते हैं कि भामस को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए अन्यथा हम सरकार का आने वाले दिनों में लगातार विरोध करेंगे.
उन्होंने ठेका प्रथा को तत्काल रोकते हुए सरकार से श्रमिकों का शोषण बंद करने और सभी मजदूरों के लिए विनिगम वेज व्यवस्था को लागू करने के लिए सरकार को चेताया. उन्होंने कहा कि आज केंद्र का मिनिमम वेज अलग है, राज्य का अलग. निजी क्षेत्र का बिल्कुल अलग है. यह मजदूरों के साथ खिलवाड़ है. उन्होंने कहा कि भारतीय मजदूर संघ इसका कड़ा विरोध करता है और यदि सरकार नहीं मानी तो हम आने वाले दिनों में इससे भी बड़े प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे और सरकार को उखाड़ फेंकने का काम करेंगे. उन्होंने कहा कि आज भी सरकार की आंगनबाड़ी साथिन और आशा सहयोगिनियों को वालंटियर बताकर उनका शोषण कर रही है.
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कौन-कौन से संगठन हुए शामिलः भारतीय मजदूर संघ से संबद्ध राजस्थान के सभी संगठन सहित करीब में शामिल हुई. जिसमें प्रमुख रूप से राज आंगनबाड़ी कर्मचारी महासंघ, राज विद्युत श्रमिक महासंघ, राजस्थान परिवहन निगम संयुक्त कर्मचारी फेडरेशन, भारतीय डाक कर्मचारी महासंघ, राज. राज्य कर्मचारी महासंघ, जलदाय कर्मचारी महासंघ जनता जल कर्मचारी महासंघ शामिल हुए. इसी प्रकार राजस्थान सीमेंट कर्मचारी महासंघ, राजस्थान भवन निर्माण श्रमिक महासंघ, राजस्थान पल्लेदार श्रमिक महाराध, असंगठित क्षेत्र के थडी ठेला, ई-रिक्शा, प्राइवेट टांसपोर्ट, 108 एवं 104 एंबुलेंस कर्मचारी संघ, बिजली ठेका कर्मचारी महासंघ शामिल हुए. इसी प्रकार राज. गो-सेवा कर्मचारी संघ, राज. सहकारी कर्मचारी संघ, राज, रोडवेज सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ, राज विद्युत सेवानिवृत्त कर्मचारी संघ, ग्रामीण बैंक पेंशनर समिति, ग्रामीण बैंक एम्प्ल्वॉइज यूनियन, ग्रामीण बैंक आफिसर्स ऑर्गेनाइजेशन, भारतीय ग्रामीण डाक सेवक संघ, उत्तर-पश्चिम रेलवे कर्मचारी संघ सहित कई संगठन हैं.
यह है मांगें :
- आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिका, आशा सहयोगिनी, मिड-डे-मील वर्कर व ग्राम साथिन को वर्कर का दर्जा दिया जाए. तात्कालिक तौर पर न्यूनतम वेतन 18000 रुपए प्रतिमाह किया जाए.
- सभी केंद्रीय एवं राज्य के विभागों सहित निगम बोड़ों के कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम पुनः लागू की जाए.
- स्थायी कार्यों में ठेका प्रथा बंद की जाए.
- श्रम विभाग की समितियों एवं बोर्डों में भामस को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाए.
- संगठित क्षेत्र की भांति असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को भी वेतनमान, वार्षिक वेतन वृद्धि, ग्रेच्युटी, पेंशन और मेडिकल सुविधा प्रदान की जाए.
- सरकारी उपक्रमों जैसे- विद्युत, रोडवेज, डाक. रेलवे, बीएसएनल एवं जलदाय आदि के निगमीकरण/विनिवेशीकरण/निजीकरण पर रोक लगाई जाए.
- ग्रामीण डाक सेवकों को रूल-3ए हटाते हुए सिविल सर्वेंट घोषित किया जाए.
- राज्य के विभिन्न विभागों व उपक्रमों में स्थायी प्रकृति का कार्य करने वाले ठेका कर्मियों सविदा कर्मचारियों 108/104 एंबुलेंस कर्मियों को समान कार्य का समान वेतन दिया जाए.
- सभी असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों एवं कामगारों के लिए 60 वर्ष पूर्ण होने पर न्यूनतम 3000 रुपए सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना लागू की जाए.
- केंद्र और राज्य सरकार की सभी विभागों और उपक्रमों में प्रशासनिक सेवा की भांति 28 वर्ष सेवा पूर्ण होने पर चार गारंटी प्रमोशनल पोस्ट के खिलाफ दिए जाएं.
- रोडवेज में राज्य सरकार के अनुसार जनवरी 2016 से सातवां वेतनमान लागू किया जाए, साथ ही रोडवेज को परिवहन विभाग में भर्ज किया जाए.
- विद्युत की 5 कंपनियों का एकीकरण कर पुनः विद्युत मण्डल बनाया जाए एवं विद्युत भत्ते के रूप में विद्युत के कर्मचारियों को 150 यूनिट बिजली प्रतिमाह फ्री दी जाए.
- भवन निर्माण श्रमिकों के लिए बंद पड़ी शुभशक्ति योजना सहित सभी योजनाओं को पुनः बहाल कर योजना राशि एक लाख रुपए की जाए. मजदूरों के पंजीकरण की सुविधा पुनः शुरू की जाए.
- प्रदेश की समस्त ग्राम सेवा सहकारी समितियों में 10 अगस्त 2017 तक नियुक्त कार्मिकों की स्क्रीनिंग 2010 के परिपत्र के अनुसार करके राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए.
- लोक जुम्बिश कर्मचारियों को अनुदानित शिक्षाकर्मियों की भांति राजस्थान ग्रामीण स्वेच्छा शिक्षा अधिनियम, 2010 के तहत शिक्षा विभाग में मर्ज करके नियमित कर्मचारी घोषित किया जाए.
- कृषि उपज मंडियों में कार्यरत हम्माल/पल्लेदार, मुनीम गुमाश्ता इत्यादि श्रमिकों के लिए लागू कृषक साथी योजना में मृत्यु की दशा में अनुदान राशि 10 लाख रुपए की जाए.
- जनता जल योजना को जलदाय विभाग में मर्ज कर कार्यरत पम्प चालकों को स्थायी किया जाए.
- रेलवे, बीएसएनल एवं डाक में रिक्त पदों पर तत्काल भर्ती की जाए.
- थड़ी ठेला मजदूर श्रमिकों को स्थायी रूप से स्थान उपलब्ध कराया जाए.
- वन विभाग में कार्यरत जॉब बेसिस कर्मचारियों को नियमित किया जाए.
- एनआरएचएम कमियों को नियमित किया जाए.