जयपुर. ज्येष्ठ मास की अमावस्या के दिन गुरुवार को वट अमावस्या पर्व मनाया गया. सुहागिन महिलाओं ने अपने पति की दीर्घायु के लिए वट सावित्री व्रत रखा. महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा करके कलावा बांधते हुए वृक्ष की परिक्रमा लगाई. सावित्री को भारतीय संस्कृति में पतिव्रता का प्रतीक माना जाता है.
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जयपुर में नवविवाहित जोड़ों के अलावा हर सुहागिन महिलाओं ने उपवास किया. महिलाओं ने घर के आसपास वट व्रक्ष की विधिवत पूजा की. वट व्रक्ष की पूजा के बाद शुक्रवार को व्रत का पारण होगा. धार्मिक मान्यता के अनुसार जो भी व्यक्ति ज्येष्ठ अमावस्या तिथि के दिन सच्ची भावना से स्नान-ध्यान, दान, व्रत और पूजा-पाठ करता है, उसे समस्त देवी-देवता का आशीर्वाद निश्चित ही प्राप्त होता है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राणों को यमराज से छुड़ाकर ले आई थीं. ऐसे में इस व्रत का महिलाओं के बीच विशेष महत्व बताया जाता है. इस दिन वट (बरगद) के पेड़ का पूजन किया जाता है.
आज के दिन सुहागिन महिलाएं वट वृक्ष का पूजन कर इसकी परिक्रमा लगाती हैं. महिलाएं सूत के धागे से वट वृक्ष को बांधकर इसके सात चक्कर लगाती हैं. इस व्रत को महिलाएं अखंड सौभाग्यवती रहने की मंगल कामना से करती हैं.