जयपुर. लॉकडाउन के कारण राज्य सरकार के आदेशनुसार 15 मार्च से शादी-विवाह और सामुहिक आयोजनों पर रोक लगी है. जिसके चलते मैरिज गार्डन संचालन व्यापार लगभग पूरी तरह से खत्म हो गया है. ऐसे में इस व्यापार को संजीवनी देने के लिए मैरिज गार्डन एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने राज्य सरकार से सहायता की मांग की है.
मैरिज गार्डन एसोसिएशन राजस्थान के प्रदेश अध्यक्ष मोहनलाल अग्रवाल के अनुसार 15 मार्च से जुलाई तक की सभी बुकिंग कैंसिल हो गई हैं. जुलाई से 25 नवंबर (देव उठनी) तक कोई सावा भी नहीं है, जिसके कारण कोई भी शादी समारोह आयोजित नहीं हो पाएगा. यही वजह है कि विवाह स्थलों की आय मार्च से नवंबर तक शून्य रहेगी. जबकि विवाह स्थलों के रख रखाव, लेबर मेंटेनेंस, बिजली-पानी के खर्चे यथावत हैं. इससे इस व्यापार के सामने कई विकट समस्याएं उतपन्न हो गई हैं. अब तो विवाह स्थल संचालकों को अपना घर खर्च चलाना भी बेहद मुश्किल हो गया है. ऐसे में एसोसिएशन ने राज्य सरकार से कहा कि विवाह स्थल संचालक सरकार को हमेशा टैक्स देते हैं. वर्तमान में इस विपदा में सरकार को विवाह स्थल संचालको का साथ देना चाहिए. जिससे इस व्यापार को संजीवनी मिल सके. इससे विवाह स्थल संचालको का मनोबल बना रहेगा और सरकार के सहयोग से ये व्यवसाय फिर से पटरी पर आ सकेगा.
ये हैं राजस्थान सरकार से मैरिज गार्डन एसोसिएशन की मांगें...
• 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक स्थानीय निकाय का टैक्स, लाइसेंस शुल्क, अनुमति शुल्क, सफाई शुल्क और फायर एनओसी को माफ किया जाए.
• 1 वर्ष का यूडी टैक्स माफ किया जाए.
• पिछले बकाया टैक्स पर ब्याज और पेनल्टी माफी की अवधि 31 मार्च 2021 तक के लिए बढ़ाई जाए.
• मैरिज गार्डन के बिजली बिलों पर स्थायी सेवा शुल्क दिसंबर तक नहीं लिया जाए.
• विवाह स्थल व्यापार को बचाने के लिए जमीन मालिकों को सरकार संचालको से 1 अप्रैल 2020 से दिसंबर 2020 तक का किराया नहीं लेने का आदेश प्रदान करें.
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एसोसिएशन ने प्रदेश के सभी विवाह स्थल मालिकों से भी कोरोना महामारी को देखते हुए निवेदन किया है कि उनकी जमीनों पर विवाह स्थल संचालकों ने लाखों रुपए लगाकर विवाह स्थल संचालित कर रहे हैं. अब कोविड-19 महामारी के कारण एन वक्त पर मार्च से आगे की सभी बुकिंग कैंसल हो गई हैं. इस महामारी से स्थान मालिक और मैरिज गार्डन संचालक मिलकर ही विजय प्राप्त कर व्यापार सुचारू संचालित रख सकते हैं. ऐसे में विवाह स्थल के फिक्स किराए के बजाए 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक प्रति समारोह के हिसाब से राशि तय करें.