जयपुर. भाजपा के 5 विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ विशेष अधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया हैं. इस पर महेश जोशी ने कहा कि बीजेपी को विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव देना था तो वह मेरे खिलाफ देते. वहीं उन्होंने कहा कि BJP ने ऐसा बौखलाहट में किया है.
राजस्थान भाजपा के पांच विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के राज्यसभा चुनाव के दौरान लगाए गए खरीद-फरोख्त के आरोपों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया है. इसपर मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि बीजेपी को विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव देना था तो वह मेरे खिलाफ देते. मुख्यमंत्री के खिलाफ यह प्रस्ताव क्यों दिया गया. जोशी ने कहा कि संयम लोढ़ा ने जो विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव दिया है, उससे बौखला कर भाजपा ने यह कदम उठाया है.
जोशी ने कहा कि वह आज भी यह बात कह रहे हैं कि भाजपा हॉर्स ट्रेडिंग करती है. इसके साथ ही इस सवाल के जवाब में कि सत्ताधारी दल होने के बावजूद उनकी शिकायत के बावजूद SOG और ACB की ओर से उन्हें बयान देने के लिए क्यों नहीं बुलाया गया.
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इस मामले पर बोलते हुए महेश जोशी ने कहा कि इसे लेकर में SOG और ACB को आज ही पत्र लिखने जा रहा हूं कि वह पूरे मामले में जो मेरी शिकायत थी, उसमें मेरे बयान दर्ज करें और आगे की कार्रवाई करें.
क्या है विशेषाधिकार हनन?
बता दें कि देश में विधानसभा, विधानपरिषद और संसद के सदस्यों के पास कुछ विशेष अधिकार होते हैं, ताकि वे प्रभावी ढंग से अपने कर्तव्यों को पूरा कर सके. जब सदन में इन विशेषाधिकारों का हनन होता है या इन अधिकारों के खिलाफ कोई कार्य किया जाता है, तो उसे विशेषाधिकार हनन कहते हैं. इसकी स्पीकर को की गई लिखित शिकायत को विशेषाधिकार हनन नोटिस कहते हैं.
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जानिए कैसे लाया जा सकता है विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव?
इस नोटिस के आधार पर स्पीकर की मंजूरी से सदन में विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाया जा सकता है. विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव सदन के किसी सदस्य द्वारा पेश किया जाता है, जब उसे लगता है कि सदन में झूठे तथ्य पेश करके सदन के विशेषाधिकार का उल्लंघन किया गया है या किया जा रहा है.