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नवरात्रि खास: महाअष्टमी को करें मां महागौरी की आराधना, पूजन से जीवन में आती है खुशहाली

इन दिनों शारदीय नवरात्र में श्रद्धालु माता की आराधना में जुटे हुए है. देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ रही है. नवरात्रि के आठवें दिन यानी महाअष्टमी को मां महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है. इस लेख में जानें कैसे करें महागौरी का पूजन और क्यों खास है महाअष्टमी.

नवरात्री विशेष, News of Navratri special, महाअष्टमी की पूजा विधि, Mahashtami worship method
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Published : Oct 6, 2019, 8:36 AM IST

जयपुर. नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है. देवी का रंग गौर होने के कारण इनका नाम महागौरी पड़ा. महागौरी की पूजा-अर्चना से पाप नष्ट होते हैं. इसके साथ ही इस जन्म के दुख, दरिद्रता और कष्ट भी मिट जाते हैं. महागौरी को लेकर कई पौराणिक मान्‍यताएं प्रचलित हैं. जिनमे से एक यह भी है कि भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी. जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान उन्हें स्वीकार करते हैं और उनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं. ऐसा करने से देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. तभी से उनका नाम गौरी पड़ गया.

नवरात्री विशेष, News of Navratri special,  महाअष्टमी की पूजा विधि, Mahashtami worship method
मां महागौरी

मां की अराधना करने से मन और शरीर हर तरह से शुद्ध हो जाता है. देवी महागौरी भक्तों को सदमार्ग की ओर ले जाती है. इनकी पूजा से अपवित्र और अनैतिक विचार भी नष्ट हो जाते हैं. देवी दुर्गा के इस सौम्य रूप की पूजा करने से मन की पवित्रता बढ़ती है. जिससे सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ने लगती है. देवी महागौरी की पूजा करने से मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है. इनकी उपासना से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

पढ़ेंः नवरात्र का 7वां दिनः शिला माता के दर्शन करने दूरदराज से आए श्रद्धालु...

महागौरी की चार भुजाएं हैं. इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है. मां ने ऊपर वाले बांए हाथ में डमरू धारण किया हुआ है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा है. मां का वाहन वृषभ है इसीलिए उन्‍हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है. मां सिंह की सवारी भी करती हैं.

महागौरी की पूजन विधि:

  • सबसे पहले अष्‍टमी के दिन स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र पहनें.
  • अब लकड़ी की चौकी या घर के मंदिर में महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्‍थापित करें. इसके बाद हाथ में पुष्प लेकर मां का ध्‍यान करें.
  • अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक जलाएं.
  • मां को फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें.
  • माता रानी की आरती उतारें.
  • अष्‍टमी के दिन कन्‍या पूजन श्रेष्‍ठ माना जाता है.
  • नौ कन्‍याओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित करें. उन्‍हें भोजन कराएं.
  • कन्‍याओं और बालक को यथाशक्ति भेंट और उपहार दें.
  • अब उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और उन्‍हें विदा करें.

कन्याभोज का है विशेष महत्व:

नवरात्र में वेसै तो कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने का विधान है परंतु अष्टमी के दिन का विशेष महत्व है. इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं. देवी गौरी की पूजा का विधान भी पूर्ववत है अर्थात जिस प्रकार सप्तमी तिथि तक आपने मां की पूजा की है. उसी प्रकार अष्टमी के दिन भी देवी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए.

पढ़ेंः जयपुर में रिकवरी एजेंट की हत्या का मामला: मिला CCTV फुटेज और जांच में सामने आई ये बात

महागौरी की आराधना इस मंत्र से करने से शुभ फल की होती है प्राप्ति

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥

श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचि।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

जयपुर. नवरात्रि के आठवें दिन देवी महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है. देवी का रंग गौर होने के कारण इनका नाम महागौरी पड़ा. महागौरी की पूजा-अर्चना से पाप नष्ट होते हैं. इसके साथ ही इस जन्म के दुख, दरिद्रता और कष्ट भी मिट जाते हैं. महागौरी को लेकर कई पौराणिक मान्‍यताएं प्रचलित हैं. जिनमे से एक यह भी है कि भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी. जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान उन्हें स्वीकार करते हैं और उनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं. ऐसा करने से देवी अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं. तभी से उनका नाम गौरी पड़ गया.

नवरात्री विशेष, News of Navratri special,  महाअष्टमी की पूजा विधि, Mahashtami worship method
मां महागौरी

मां की अराधना करने से मन और शरीर हर तरह से शुद्ध हो जाता है. देवी महागौरी भक्तों को सदमार्ग की ओर ले जाती है. इनकी पूजा से अपवित्र और अनैतिक विचार भी नष्ट हो जाते हैं. देवी दुर्गा के इस सौम्य रूप की पूजा करने से मन की पवित्रता बढ़ती है. जिससे सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ने लगती है. देवी महागौरी की पूजा करने से मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है. इनकी उपासना से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं.

पढ़ेंः नवरात्र का 7वां दिनः शिला माता के दर्शन करने दूरदराज से आए श्रद्धालु...

महागौरी की चार भुजाएं हैं. इनके ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में है और नीचे वाले हाथ में त्रिशूल है. मां ने ऊपर वाले बांए हाथ में डमरू धारण किया हुआ है और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा है. मां का वाहन वृषभ है इसीलिए उन्‍हें वृषारूढ़ा भी कहा जाता है. मां सिंह की सवारी भी करती हैं.

महागौरी की पूजन विधि:

  • सबसे पहले अष्‍टमी के दिन स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र पहनें.
  • अब लकड़ी की चौकी या घर के मंदिर में महागौरी की प्रतिमा या चित्र स्‍थापित करें. इसके बाद हाथ में पुष्प लेकर मां का ध्‍यान करें.
  • अब मां की प्रतिमा के आगे दीपक जलाएं.
  • मां को फल, फूल और नैवेद्य अर्पित करें.
  • माता रानी की आरती उतारें.
  • अष्‍टमी के दिन कन्‍या पूजन श्रेष्‍ठ माना जाता है.
  • नौ कन्‍याओं और एक बालक को घर पर आमंत्रित करें. उन्‍हें भोजन कराएं.
  • कन्‍याओं और बालक को यथाशक्ति भेंट और उपहार दें.
  • अब उनके पैर छूकर उनका आशीर्वाद लें और उन्‍हें विदा करें.

कन्याभोज का है विशेष महत्व:

नवरात्र में वेसै तो कुंवारी कन्याओं को भोजन कराने का विधान है परंतु अष्टमी के दिन का विशेष महत्व है. इस दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं. देवी गौरी की पूजा का विधान भी पूर्ववत है अर्थात जिस प्रकार सप्तमी तिथि तक आपने मां की पूजा की है. उसी प्रकार अष्टमी के दिन भी देवी की विधिपूर्वक पूजा करनी चाहिए.

पढ़ेंः जयपुर में रिकवरी एजेंट की हत्या का मामला: मिला CCTV फुटेज और जांच में सामने आई ये बात

महागौरी की आराधना इस मंत्र से करने से शुभ फल की होती है प्राप्ति

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥

श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचि।

महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥

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maa durga


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