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विशेष: लॉकडाउन से बालिका शिक्षा पर पड़ रहा असर, मंडरा रहा ड्रॉपआउट का खतरा

कोविड-19 के बीच राजस्थान में शैक्षणिक संस्थानों के बंद होने से लाखों विद्यार्थी गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं. लेकिन लड़कियों पर इसका सबसे अधिक असर पड़ता दिखाई दे रहा है. पड़ताल में सामने आया कि लॉकडाउन के पहले स्कूल जा रही लड़कियों को अब ड्रॉपआउट का खतरा सताने लगा है. करीब लाखों परिवारों की आर्थिक स्थिति बुरी तरह से चरमरा गई है. ऐसे में ये बच्चियां ना ही ऑनलाइन शिक्षा का लाभ ले पा रही हैं और ना ही भविष्य में इनके जाने की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं.

कोरोना का बच्चियों की शिक्षा पर प्रभाव,lockdown effect on girls education,  girls education effected by corona  ,corona virus effects  कोरोना का एजुकेशन पर इफेक्ट
लॉकडाउन से बालिका शिक्षा पर पड़ रहा असर
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Published : Sep 10, 2020, 5:49 PM IST

जयपुर. कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन का असर हर वर्ग पर पड़ा है. आम से लेकर खास तक इससे प्रभावित हुए. लोगों के काम धंधे चौपट हो गए और हजारों लोगों को नौकरियां चली गई. आर्थिक रूप से देश और प्रदेश की जनता को संकट का सामना करना पड़ा. इस संकट की घड़ी में अर्थव्यवस्था पूरी तरह से उलट-पुलट हो गई. जो अब तक पटरी पर नहीं आ पाई है. इसके अलावा महामारी और लॉकडाउन का असर जिस वर्ग पर पड़ा है वह स्कूली बच्चियां. कोरोना के कारण स्कूली बालिकाओं की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है. स्कूलों में पढ़ने वाली बालिकाओं के ड्रॉपआउट का खतरा मंडरा रहा है.

लॉकडाउन से बालिका शिक्षा पर पड़ रहा असर

ग्रामीण इलाकों में ड्रॉपआउट का ज्यादा खतरा

घर परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अधिकतर बालिकाओं का ड्रॉपआउट हो सकता है. प्रदेश में पहली से आठवीं तक की पढ़ाई सभी बच्चों के लिए निशुल्क है. 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं की जरूर फीस ली जा रही है. हालांकि सरकारी स्कूलों में 9वीं से 12वीं तक की फीस मामूली है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले अभिभावक लॉकडाउन के कारण यह फीस देने में भी सक्षम नहीं हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि इस साल बड़ी संख्या में बालिकाओं का स्कूलों से ड्रॉपआउट हो सकता है. इसका ज्यादा असर गांव और ढाणियों में देखने को मिलेगा.

आर्थिक स्थिति बन रही रोड़ा

राजधानी में लोडिंग ऑटो चलाने वाले रिजवान अली मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालते हैं. उनके घर में ही एक ही फोन है, वो भी की-पैड वाला. उनकी 2 बेटियां सरकारी स्कूल में पढ़ती हैं, जो क्लास ट्वेल्थ में हैं. लेकिन टच स्क्रीन फोन नहीं होने के कारण पढ़ाई ही नहीं हो पा रही है. उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है कि दूसरा फोन खरीद सके. ऐेसे में दोनों बेटियां घर पर ही बैठी हुई हैं, क्योंकि जब फोन ही नहीं, तो ऑनलाइन पढ़ाई कैसे होगी?

कोरोना का बच्चियों की शिक्षा पर प्रभाव,lockdown effect on girls education,  girls education effected by corona  ,corona virus effects  कोरोना का एजुकेशन पर इफेक्ट
लॉकडाउन में आर्थिक मंदी ड्रॉप आउट का बड़ा कारण

रिजवान बताते हैं कि सरकार की तरफ से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है. गरीबों को सुविधाएं देने का दावा तो सरकारें करती हैं, लेकिन धरातल स्तर पर उन तक सरकारी मदद पहुंचती ही नहीं है. सरकार जब बेटी पढ़ाने की बात करती है, तो बेटियों की मदद भी करनी चाहिए.

पढ़ें: Special: NEET परीक्षा में इन टिप्स पर दिया ध्यान तो बढ़ जाएंगे Selection के चांस

सरकारी स्कूल की 12वीं कक्षा में साइंस पढ़ने वाली बालिका पूनम वाल्मीकि कहती हैं कि उनके घर में मोबाइल फोन नहीं है. जिसके कारण वह ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं. पापा का लॉकडाउन काम छूट गया है. घर पर पैसे भी नहीं हैं.

ऑनलाइन एजुकेशन टेढ़ी खीर

पूनम ने कहा कि मैं पढ़ना चाहती हूं, लेकिन मोबाइल फोन नहीं होने के कारण पढ़ नहीं पा रही हूं. सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए या स्कूल में ही सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए पढ़ाई होनी चाहिए. पूनम बाल्मीकि ने बताया कि यदि वह ऑनलाइन क्लासेज अटेंड नहीं करेगी, तो बोर्ड परीक्षा में उसकी परसेंटेज भी कम आने की संभावना है.

वहीं सरकारी स्कूल की व्याख्याता ने बताया कि ऑनलाइन क्लासेज के लिए मोबाइल फोन नहीं होने के कारण बालिकाएं पढ़ नहीं पा रही और कई बालिकाओं ने तो साइंस से अपना विषय बदल कर दूसरा ले लिया है.

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ऑनलाइन क्लासेस से बालिका शिक्षा पर पड़ रहा असर

गरीब परिवारों के पास नहीं है कोई सुविधा

हालांकि शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन क्लास जारी रखी हुई है, लेकिन इसके कारण भी बालिकाओं की शिक्षा पर खास प्रभाव नहीं पड़ रहा है. ऑनलाइन कक्षाओं के लिए एंड्राइड मोबाइल या लैपटॉप और कंप्यूटर की जरूरत होती है. जो गरीब परिवारों की बच्चियों के पास होना संभव ही नहीं है.

ग्रामीण क्षेत्र में तो ये चीजें उपलब्ध होना बड़ी मुश्किल है और इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों को आर्थिक रूप से सक्षम होना भी जरूरी है. जब इस संबंध में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बालिका शिक्षा हमारे लिए एक महत्वपूर्ण विषय है. उन्होंने साफ किया कि लॉकडाउन के कारण बालिकाओं का ड्रॉपआउट नहीं होने देंगे.

पढ़ें: SPECIAL: धौलपुर का ऐतिहासिक शिव मंदिर प्रशासन और सरकार की अनदेखी का हो रहा शिकार

डोटासरा ने कहा कि लॉकडाउन के कारण जो प्रवासी मजदूर आए हैं, उनकी बालिकाओं को भी निशुल्क पढ़ाया जाएगा. कोरोना के खत्म होने के बाद जब भी स्कूल खोले जाएंगे, तब बालिकाओं पर विशेष फोकस किया जाएगा. उनको स्कूलों से जोड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा. चाहे बालक या बालिका किसी का भी ड्रॉपआउट नहीं होने दिया जाएगा.

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लड़कियों के ड्रॉप आउट का खतरा

नहीं होने देंगे ड्रॉप आउट- डोटासरा

डोटासरा ने कहा कि वर्तमान में अध्यापक तो स्कूल आ रहे हैं, लेकिन बच्चों के लिए स्कूल बंद हैं और इस समय अध्यापक पूरी तरह से इसी विषय पर काम कर रहे हैं कि कोरोना के कारण बच्चों का ड्रॉप-आउट नहीं हो. सभी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी इस संबंध में निर्देश दिए जा चुके हैं. जब भी स्कूल खुलेंगे, तब ड्रॉपआउट को लेकर विशेष प्रयास किए जाएंगे.

जयपुर. कोरोना महामारी के कारण हुए लॉकडाउन का असर हर वर्ग पर पड़ा है. आम से लेकर खास तक इससे प्रभावित हुए. लोगों के काम धंधे चौपट हो गए और हजारों लोगों को नौकरियां चली गई. आर्थिक रूप से देश और प्रदेश की जनता को संकट का सामना करना पड़ा. इस संकट की घड़ी में अर्थव्यवस्था पूरी तरह से उलट-पुलट हो गई. जो अब तक पटरी पर नहीं आ पाई है. इसके अलावा महामारी और लॉकडाउन का असर जिस वर्ग पर पड़ा है वह स्कूली बच्चियां. कोरोना के कारण स्कूली बालिकाओं की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है. स्कूलों में पढ़ने वाली बालिकाओं के ड्रॉपआउट का खतरा मंडरा रहा है.

लॉकडाउन से बालिका शिक्षा पर पड़ रहा असर

ग्रामीण इलाकों में ड्रॉपआउट का ज्यादा खतरा

घर परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए अधिकतर बालिकाओं का ड्रॉपआउट हो सकता है. प्रदेश में पहली से आठवीं तक की पढ़ाई सभी बच्चों के लिए निशुल्क है. 9वीं से 12वीं तक की कक्षाओं की जरूर फीस ली जा रही है. हालांकि सरकारी स्कूलों में 9वीं से 12वीं तक की फीस मामूली है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले अभिभावक लॉकडाउन के कारण यह फीस देने में भी सक्षम नहीं हैं. ऐसे में यह माना जा रहा है कि इस साल बड़ी संख्या में बालिकाओं का स्कूलों से ड्रॉपआउट हो सकता है. इसका ज्यादा असर गांव और ढाणियों में देखने को मिलेगा.

आर्थिक स्थिति बन रही रोड़ा

राजधानी में लोडिंग ऑटो चलाने वाले रिजवान अली मजदूरी कर अपने परिवार का पेट पालते हैं. उनके घर में ही एक ही फोन है, वो भी की-पैड वाला. उनकी 2 बेटियां सरकारी स्कूल में पढ़ती हैं, जो क्लास ट्वेल्थ में हैं. लेकिन टच स्क्रीन फोन नहीं होने के कारण पढ़ाई ही नहीं हो पा रही है. उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है कि दूसरा फोन खरीद सके. ऐेसे में दोनों बेटियां घर पर ही बैठी हुई हैं, क्योंकि जब फोन ही नहीं, तो ऑनलाइन पढ़ाई कैसे होगी?

कोरोना का बच्चियों की शिक्षा पर प्रभाव,lockdown effect on girls education,  girls education effected by corona  ,corona virus effects  कोरोना का एजुकेशन पर इफेक्ट
लॉकडाउन में आर्थिक मंदी ड्रॉप आउट का बड़ा कारण

रिजवान बताते हैं कि सरकार की तरफ से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिल रही है. गरीबों को सुविधाएं देने का दावा तो सरकारें करती हैं, लेकिन धरातल स्तर पर उन तक सरकारी मदद पहुंचती ही नहीं है. सरकार जब बेटी पढ़ाने की बात करती है, तो बेटियों की मदद भी करनी चाहिए.

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सरकारी स्कूल की 12वीं कक्षा में साइंस पढ़ने वाली बालिका पूनम वाल्मीकि कहती हैं कि उनके घर में मोबाइल फोन नहीं है. जिसके कारण वह ऑनलाइन क्लासेज के जरिए पढ़ाई नहीं कर पा रही हैं. पापा का लॉकडाउन काम छूट गया है. घर पर पैसे भी नहीं हैं.

ऑनलाइन एजुकेशन टेढ़ी खीर

पूनम ने कहा कि मैं पढ़ना चाहती हूं, लेकिन मोबाइल फोन नहीं होने के कारण पढ़ नहीं पा रही हूं. सरकार को हमारी मदद करनी चाहिए या स्कूल में ही सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए पढ़ाई होनी चाहिए. पूनम बाल्मीकि ने बताया कि यदि वह ऑनलाइन क्लासेज अटेंड नहीं करेगी, तो बोर्ड परीक्षा में उसकी परसेंटेज भी कम आने की संभावना है.

वहीं सरकारी स्कूल की व्याख्याता ने बताया कि ऑनलाइन क्लासेज के लिए मोबाइल फोन नहीं होने के कारण बालिकाएं पढ़ नहीं पा रही और कई बालिकाओं ने तो साइंस से अपना विषय बदल कर दूसरा ले लिया है.

कोरोना का बच्चियों की शिक्षा पर प्रभाव,lockdown effect on girls education,  girls education effected by corona  ,corona virus effects  कोरोना का एजुकेशन पर इफेक्ट
ऑनलाइन क्लासेस से बालिका शिक्षा पर पड़ रहा असर

गरीब परिवारों के पास नहीं है कोई सुविधा

हालांकि शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन क्लास जारी रखी हुई है, लेकिन इसके कारण भी बालिकाओं की शिक्षा पर खास प्रभाव नहीं पड़ रहा है. ऑनलाइन कक्षाओं के लिए एंड्राइड मोबाइल या लैपटॉप और कंप्यूटर की जरूरत होती है. जो गरीब परिवारों की बच्चियों के पास होना संभव ही नहीं है.

ग्रामीण क्षेत्र में तो ये चीजें उपलब्ध होना बड़ी मुश्किल है और इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों को आर्थिक रूप से सक्षम होना भी जरूरी है. जब इस संबंध में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से बात की गई तो उन्होंने कहा कि बालिका शिक्षा हमारे लिए एक महत्वपूर्ण विषय है. उन्होंने साफ किया कि लॉकडाउन के कारण बालिकाओं का ड्रॉपआउट नहीं होने देंगे.

पढ़ें: SPECIAL: धौलपुर का ऐतिहासिक शिव मंदिर प्रशासन और सरकार की अनदेखी का हो रहा शिकार

डोटासरा ने कहा कि लॉकडाउन के कारण जो प्रवासी मजदूर आए हैं, उनकी बालिकाओं को भी निशुल्क पढ़ाया जाएगा. कोरोना के खत्म होने के बाद जब भी स्कूल खोले जाएंगे, तब बालिकाओं पर विशेष फोकस किया जाएगा. उनको स्कूलों से जोड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा. चाहे बालक या बालिका किसी का भी ड्रॉपआउट नहीं होने दिया जाएगा.

कोरोना का बच्चियों की शिक्षा पर प्रभाव,lockdown effect on girls education,  girls education effected by corona  ,corona virus effects  कोरोना का एजुकेशन पर इफेक्ट
लड़कियों के ड्रॉप आउट का खतरा

नहीं होने देंगे ड्रॉप आउट- डोटासरा

डोटासरा ने कहा कि वर्तमान में अध्यापक तो स्कूल आ रहे हैं, लेकिन बच्चों के लिए स्कूल बंद हैं और इस समय अध्यापक पूरी तरह से इसी विषय पर काम कर रहे हैं कि कोरोना के कारण बच्चों का ड्रॉप-आउट नहीं हो. सभी शिक्षा विभाग के अधिकारियों को भी इस संबंध में निर्देश दिए जा चुके हैं. जब भी स्कूल खुलेंगे, तब ड्रॉपआउट को लेकर विशेष प्रयास किए जाएंगे.

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