जयपुर. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए पूरे देश में 21 दिन का लॉकडाउन किया गया है. ऐसे में देश के लाखों मजदूरों का रोजगार छिन गया है, तो हजारों परिवार ऐसे हैं जहां खाने के भी लाले पड़ रहे हैं.
देश में बड़ी संख्या उन लोगों की है, जो या तो पूरी तरह है बेसहारा और निराश्रित हैं, या फिर रोज कमाकर खाने के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम कर पाते हैं.
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हालांकि राजनीतिक मंचों से अमूमन देश में गरीबी खत्म होने का ढोल पीटा जाता है. लेकिन लॉक डाउन में सामने आई इन तस्वीरों ने इस ढोल को फोड़ दिया है. अकेले राजधानी जयपुर की बात की जाए तो जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार यहां 1 लाख 80 हजार भोजन के पैकेट हर रोज जरूरतमंदों को वितरित किए जा रहे हैं.
वहीं कुछ बस्तियों की डिमांड के अनुसार यह संख्या बढ़ भी जाती है और जहां तक बात सूखे राशन की है, तो इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में करीब 20 हजार परिवारों को चिन्हित किया गया है. जबकि शहरी क्षेत्र में ऐसे 18 हजार परिवार हैं. इनमें से 10 हज़ार परिवारों को अब तक सूखा राशन पहुंचाया जा चुका है.
यह आंकड़े अकेले जयपुर जिले के हैं. इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि पूरे देश में क्या हालात होंगे. हालाकिं केंद्र सरकार का यह निर्देश है कि देश में कोई भूखा ना सोए. इसी के मद्देनजर तमाम राज्य सरकार, सामाजिक संस्थाएं और समाजसेवी मानवता के सेवा कार्य में जुटे हुए हैं.
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जिससे असहाय और निराश्रित लोगों को भोजन उपलब्ध कराया जा सके. लेकिन इस लॉक डाउन और कोरोना संक्रमण के खत्म होने के बाद हर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सामने गरीबी की इस तस्वीर को सुधारने की भी बड़ी चुनौती होगी.