जयपुर. राजस्थान में पहले फेस के चुनाव में नामांकन भरने वालों में युवाओं की संख्या कम है. या फिर कहे कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही प्रमुख दलों ने इस बार युवाओं से ज्यादा बुजुर्ग और अनुभवी नेताओं को ज्यादा तवज्जों दी है. मतलब विश्व के सबसे युवा आबादी वाले देश के राजस्थान प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान युवा प्रत्याशियों की भागीदारी सिर्फ 20 फीसदी ही रही है.
प्रदेश की 13 सीटों पर लोकसभा चुनाव के लिए कुल 172 प्रत्याशियों ने पर्चा भरा उनमें से 40 वर्ष की आयु से कम प्रत्याशी केवल 51 है. जिनमें से भी 26 युवाओं ने अपने नाम वापस ले लिए हैं. लोकसभा चुनाव के पहले फेज में नामांकन भरने वाले दोनों दलों के 26 प्रत्याशियों में सबसे युवा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पुत्र और जोधपुर से कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत है. बाकी सभी की आयु 40 वर्ष से अधिक है.
वहीं झालावाड़-बारां सीट पर भाजपा के दुष्यंत सिंह और कांग्रेस के प्रमुख शर्मा दोनों की आयु 48 48 वर्ष हैं. वहीं प्रदेश की राजसमंद सीट ऐसी है जहां दोनों ही प्रत्याशियों की आयु में बड़ा अंतर सामने आया है. यहां कांग्रेस प्रत्याशी देवकीनंदन काका की उम्र 76 वर्ष है तो भाजपा की दिया कुमारी की आयु 48 वर्ष है.
25 वर्ष की आयु के सिर्फ 3 प्रत्याशी और तीनों ही निर्दलीय
लोकसभा चुनाव में नामांकन के लिए न्यूनतम आयु सीमा 25 वर्ष है. 25 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद कोई भी व्यक्ति चुनाव लड़कर सांसद बन सकता है. लेकिन राजस्थान में पहले चरण की 13 सीटों में से 2 सीटों पर ही 25 साल के तीन उम्मीदवार भाग्य आजमा रहे हैं. इनमें जालोर-सिरोही से निर्दलीय देवाराम मेघवाल ने पर्चा भरा है. जिसकी उम्र 25 वर्ष 9 माह है. इसी सीट पर निर्दलीय मोहनलाल मेघवाल भी खड़े हुए हैं. जिनकी उम्र भी 25 वर्ष है. वहीं झालावाड़ सीट से प्रिंस मीणा ने निर्दलीय के रूप में पर्चा भरा है. जिसकी उम्र भी महज 25 वर्ष ही है.