जयपुर. सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति में व्याख्याताओं का अनुपात बढ़ाने की मांग कर रहे व्याख्याता और शिक्षक संघ रेसला अब तक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिक्षा मंत्री गोविंद डोटासरा का अभिनन्दन और स्वागत की तैयारियों में जुटा हुआ था. लेकिन अब मांग पूरी नहीं होता देखकर रेसला ने विरोध प्रदर्शन करने की रणनीति बनानी शुरू कर दी है.
शिक्षक संघ रेसला की मांग थी कि प्रधानाचार्य के पद पर पदोन्नति में स्कूल व्याख्याताओं के अनुपात को बढाया जाए. उनकी इस मांग पर उच्च स्तर पर पत्र भी चले. अब तक संगठन को सकारात्मक आश्वासन भी मिल रहा था. लेकिन अब कैबिनेट बैठक से मुद्दे को डेफर करने के चलते अब संगठन ने नाराजगी जताई है.
दरअसल, प्रधानाचार्य पद पदोन्नति में प्रधानाध्यापक और स्कूल व्याख्याताओं का फिलहाल अनुपात 33-67 का है. लेकिन व्याख्याताओं का कहना है कि हेडमास्टर महज तीन हजार हैं. जबकि स्कूल व्याख्याताओं की संख्या 52 हजार से अधिक है. ऐसे में इसके अनुपात को बदला जाए. इस दौरान पत्र व्यवहार भी हुआ. जिसमें 20:80 के अनुपात को लेकर लगभग सहमति भी बनी.
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इस पर कैबिनेट में मुहर लगनी थी. लेकिन बैठक से पहले इस मुद्दे को डेफर कर दिया गया. जिसके बाद रेसला के प्रदेशाध्यक्ष मोहन सिहाग ने सरकार को सात दिन का अल्टीमेटम दिया है. साथ ही कहा कि यदि सात दिन में मांगें पूरी नहीं हुई तो प्रदेश के 52 हजार स्कूल व्याख्याता आमरण अनशन करेंगे.