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पहली बार जयपुर में नजर आई साइबेरिया की दुर्लभ चिड़िया लेसर वाइट फ्रंटिड गूज

राजधानी जयपुर में प्रवासी पक्षियों के साथ ही कई दुर्लभ विदेशी पक्षी भी पहुंचने लगे हैं. राजधानी जयपुर में पहली बार साइबेरिया की दुर्लभ चिड़िया लेसर वाइट फ्रंटिड गूज को देखा गया है. यह खूबसूरत चिड़िया 'एग्रीमेंट ऑन द कंजर्वेशन ऑव अफ्रीकन यूरेशियन माइग्रेटरी वाटर बर्ड्स के तहत क्रिटिकली एंजेजर्ड' श्रेणी में है.

laser white fronted goose,  siberia bird
पहली बार जयपुर में नजर आई साइबेरिया की दुर्लभ चिड़िया लेसर वाइट फ्रंटिड गूज
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Published : Mar 7, 2021, 2:57 AM IST

जयपुर. राजधानी जयपुर में प्रवासी पक्षियों के साथ ही कई दुर्लभ विदेशी पक्षी भी पहुंचने लगे हैं. राजधानी जयपुर में पहली बार साइबेरिया की दुर्लभ चिड़िया लेसर वाइट फ्रंटिड गूज को देखा गया है. यह खूबसूरत चिड़िया 'एग्रीमेंट ऑन द कंजर्वेशन ऑव अफ्रीकन यूरेशियन माइग्रेटरी वाटर बर्ड्स के तहत क्रिटिकली एंजेजर्ड' श्रेणी में है.

पढ़ें: इन राज्यों से राजस्थान आने वाले यात्रियों को देनी होगी RT-PCR नेगेटिव रिपोर्ट

जयपुर के बाहरी इलाके चंदलाई बरखेड़ा में साइबेरिया के जंगलों की दुर्लभ चिड़िया को देखा गया है. 'लेसर वाइट फ्रंटिड गूज' टुंड्रा वनों की मूल निवासी एक खूबसूरत चिड़िया है. जिसको जयपुर में पहली बार देखा गया है. यह चिड़िया डार्क रंग चॉकलेट ब्राउन है. पक्षी विशेषज्ञों के मुताबिक करीब 10 साल पहले चिड़िया चर्चा में आई थी. जब इसे सरिस्का बाघ परियोजना से लगती आबादी टहला के आसपास देखा गया था.

पक्षी प्रेमियों के मुताबिक यह चिड़िया काफी दुर्लभ है. हालांकि प्रदेश के अन्य जगह पर इसे पहले देखा जा चुका है. यह चिड़िया यूरोप के जंगलों में ही अधिकतर रहती है. इसके अलावा भारत और पाकिस्तान के बाहरी इलाकों में इसे कभी कभार देखा जाता है. इंडिया में बहुत ही कम पहुंचती है. यह चिड़िया सोवियत रूस के बेहद ठंडक वाले ऊपरी इलाकों में अंडे देती है और प्रजनन भी करती है. दुर्लभ पक्षियों को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे देशों में इस पक्षी के लिए विशेष प्रजनन परियोजनाएं चलाई जा रही हैं.

नार्वे, ग्रीस, बुलगारिया, स्वीडन और तुर्की में इस दुर्लभ पक्षी के लिए विशेष प्रजनन परियोजनाएं चलाई जा रही है. हंगरी में यह पक्षी पतझड़ के 2 महीने और बसंत के दौरान 1 महीने रहता है. इन तीन महीनों में हंगरी वासी इसके लिए पलक पावडे बिछाए रहते हैं. बताया जाता है कि एक बार पहले यह चिड़िया गुजरात में भी नजर आई थी.

जयपुर. राजधानी जयपुर में प्रवासी पक्षियों के साथ ही कई दुर्लभ विदेशी पक्षी भी पहुंचने लगे हैं. राजधानी जयपुर में पहली बार साइबेरिया की दुर्लभ चिड़िया लेसर वाइट फ्रंटिड गूज को देखा गया है. यह खूबसूरत चिड़िया 'एग्रीमेंट ऑन द कंजर्वेशन ऑव अफ्रीकन यूरेशियन माइग्रेटरी वाटर बर्ड्स के तहत क्रिटिकली एंजेजर्ड' श्रेणी में है.

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जयपुर के बाहरी इलाके चंदलाई बरखेड़ा में साइबेरिया के जंगलों की दुर्लभ चिड़िया को देखा गया है. 'लेसर वाइट फ्रंटिड गूज' टुंड्रा वनों की मूल निवासी एक खूबसूरत चिड़िया है. जिसको जयपुर में पहली बार देखा गया है. यह चिड़िया डार्क रंग चॉकलेट ब्राउन है. पक्षी विशेषज्ञों के मुताबिक करीब 10 साल पहले चिड़िया चर्चा में आई थी. जब इसे सरिस्का बाघ परियोजना से लगती आबादी टहला के आसपास देखा गया था.

पक्षी प्रेमियों के मुताबिक यह चिड़िया काफी दुर्लभ है. हालांकि प्रदेश के अन्य जगह पर इसे पहले देखा जा चुका है. यह चिड़िया यूरोप के जंगलों में ही अधिकतर रहती है. इसके अलावा भारत और पाकिस्तान के बाहरी इलाकों में इसे कभी कभार देखा जाता है. इंडिया में बहुत ही कम पहुंचती है. यह चिड़िया सोवियत रूस के बेहद ठंडक वाले ऊपरी इलाकों में अंडे देती है और प्रजनन भी करती है. दुर्लभ पक्षियों को लेकर जागरूकता अभियान चला रहे देशों में इस पक्षी के लिए विशेष प्रजनन परियोजनाएं चलाई जा रही हैं.

नार्वे, ग्रीस, बुलगारिया, स्वीडन और तुर्की में इस दुर्लभ पक्षी के लिए विशेष प्रजनन परियोजनाएं चलाई जा रही है. हंगरी में यह पक्षी पतझड़ के 2 महीने और बसंत के दौरान 1 महीने रहता है. इन तीन महीनों में हंगरी वासी इसके लिए पलक पावडे बिछाए रहते हैं. बताया जाता है कि एक बार पहले यह चिड़िया गुजरात में भी नजर आई थी.

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