जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan Highcourt) ने ब्यावर थाना पुलिस की ओर से जमीन की खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले में पीड़ित को ही गिरफ्तार करने पर आश्चर्य जताया है. अदालत ने कहा है कि मामला दर्ज होने के बाद पुलिस या तो आरोप पत्र पेश करती है या एफआर लगाती है. वहीं अपवाद स्वरूप कई झूठे मामलों में सीआरपीसी की धारा 182 के तहत कार्रवाई करती है, लेकिन इस मामले में पुलिस ने प्रकरण के पीड़ित को ही गिरफ्तार कर लिया.
इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को लंबित जमानत याचिका पर सुनवाई तक अंतरिम रूप से जमानत पर रिहा करने को कहा है. वहीं अदालत ने डीजीपी को कहा है कि वह मामलों में अब तक की गई जांच को देखें और तीनों मामलों की जांच अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक से लेकर किसी आईपीएस अधिकारी से कराए. जस्टिस फरजंद अली ने यह आदेश जसवंत चौधरी की आपराधिक याचिका पर दिए.
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अनिल उपमन ने बताया कि याचिकाकर्ता और उसके पुत्र ने कुछ लोगों के खिलाफ ब्यावर थाने दो एफआईआर दर्ज कराई थी. वहीं याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज एफआईआर को हाईकोर्ट ने पूर्व में रद्द कर दिया. इसके अलावा एक अन्य एफआईआर भी याचिकाकर्ता के खिलाफ हुई थी. याचिका में कहा गया कि तीनों एफआईआर की जांच एक ही अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के पास थी.
हाईकोर्ट से एफआईआर रद्द होने से नाराज होकर जांच अधिकारी ने शेष तीनों मामलों में याचिकाकर्ता को गिरफ्तार कर लिया. जबकि तीन एफआईआर में से दो एफआईआर में वह स्वयं ही पीड़ित है. तीनों एफआईआर में जमानत के लिए अदालत में जमानत याचिका भी पेश हो चुकी है जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ता को अंतरिम रूप से जमानत पर रिहा करते हुए मामले की जांच आईपीएस अधिकारी को सौंपी है.