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गांव जाने की जिदः जयपुर की सड़कों पर पलायन की तस्वीर, नहीं रुकना चाहते मजदूर

प्रदेश की सड़कों पर रोजाना दिखने वाली पलायन की तस्वीर ने यह साफ कर दिया है कि श्रमिकों को केंद्र और राज्य सरकार की मदद के वादे पर भरोसा नहीं है. इसलिए तपती सड़कों पर तेज धूप के बीच यह लोग बदस्तूर पलायन कर रहे हैं. जब ईटीवी भारत की टीम ने इनसे बात की तो हकीकत सामने आई.

जयपुर में पलायन, migration in jaipur
जयपुर से पलायन कर रहे मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात की
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Published : May 16, 2020, 6:41 PM IST

जयपुर. लॉकडाउन के बीच जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए राजस्थान की राजधानी जयपुर की सड़कों पर ईटीवी भारत की टीम ने दौरा किया. इस दौरान जेडीए सर्किल से ठीक पहले दुर्लभजी अस्पताल के सामने वाली सड़क पर श्रमिकों का एक समूह नन्हे बच्चों का हाथ थामे हुए रुखसत होता हुआ नजर आया. इनमें से कोई उत्तर प्रदेश जाना चाहता था तो किसी का घर बिहार में था. सब की कोशिश थी की कोरोना महासंक्रमण की महामारी से निपटने के लिए इस लॉकडाउन के बीच जैसे तैसे वे लोग अपने गांव पहुंच जाए.

जयपुर से पलायन कर रहे मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात की

इस बीच इन श्रमिकों को ना तो चढ़ते तापमान की परवाह थी और ना ही सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने का रंज और गम. इन लोगों के मुताबिक शुरुआती तौर पर उन्होंने यह प्रयास जरूर किया था की किसी तरह से सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं के तहत उन्हें रोजी रोटी मिल जाए. परंतु जब देखा कि लंबे समय तक काम सुचारू नहीं हो सकता है तो फिर हालात से हार मानकर यह लोग पैदल ही रवाना हो जाते है. इस बीच खबर आती है कि सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए उनकी घर वापसी का इंतजाम कर रही है. जिसके तहत अलग-अलग राज्यों से प्रतिदिन रेलगाड़ी के जरिए इन प्रवासियों को उनके नियत स्थान तक भेजने का प्रबंध किया जाएगा.

जयपुर में पलायन, migration in jaipur
जयपुर से पलायन कर रहे मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात की

पढ़ेंः गंगा की स्वच्छता के पीछे नमामि गंगा मिशन का बड़ा योगदानः शेखावत

सरकार ने दावा किया की तब तक इन लोगों के लिए सूखे राशन या फिर भोजन का भी इंतजाम किया जाएगा. लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम ने इन मजदूरों से बात की तो पता लगा कि ना तो इन लोगों के पास सरकारी वितरण के तहत रोटियां पहुंच रहीं हैं और ना ही कोई सूखा राशन देने वाला अब तक पहुंचा है. इन मजदूरों की बातों से यह स्पष्ट हो चुका है कि सरकार की तरफ से जो दावे किए जा रहे हैं वह या तो सीमित वर्ग तक सिमट कर रह गए हैं या फिर हकीकत कोसों दूर है.

जयपुर में पलायन, migration in jaipur
जयपुर से पलायन कर रहे मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात की

पढ़ेंः राज्य में एक जिले से दूसरे जिले में जाने पर क्वॉरेंटाइन अनिवार्य नहीं: मुख्यमंत्री

मजदूर ने खुद अपनी किस्मत लिखने का फैसला करते हुए अपनी जान को जोखिम में डालना तय किया. जिसके तहत जयपुर से रोजाना सैकड़ों मजदूर पैदल चलकर अलग-अलग रास्तों से होते हुए अपनी मंजिल को तय करने में जुटे हुए हैं. जिसके तहत यह लोग अपनी जान जोखिम में डालकर घर तक पहुंचना चाहते हैं.

जयपुर. लॉकडाउन के बीच जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए राजस्थान की राजधानी जयपुर की सड़कों पर ईटीवी भारत की टीम ने दौरा किया. इस दौरान जेडीए सर्किल से ठीक पहले दुर्लभजी अस्पताल के सामने वाली सड़क पर श्रमिकों का एक समूह नन्हे बच्चों का हाथ थामे हुए रुखसत होता हुआ नजर आया. इनमें से कोई उत्तर प्रदेश जाना चाहता था तो किसी का घर बिहार में था. सब की कोशिश थी की कोरोना महासंक्रमण की महामारी से निपटने के लिए इस लॉकडाउन के बीच जैसे तैसे वे लोग अपने गांव पहुंच जाए.

जयपुर से पलायन कर रहे मजदूरों से ईटीवी भारत ने बात की

इस बीच इन श्रमिकों को ना तो चढ़ते तापमान की परवाह थी और ना ही सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने का रंज और गम. इन लोगों के मुताबिक शुरुआती तौर पर उन्होंने यह प्रयास जरूर किया था की किसी तरह से सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं के तहत उन्हें रोजी रोटी मिल जाए. परंतु जब देखा कि लंबे समय तक काम सुचारू नहीं हो सकता है तो फिर हालात से हार मानकर यह लोग पैदल ही रवाना हो जाते है. इस बीच खबर आती है कि सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए उनकी घर वापसी का इंतजाम कर रही है. जिसके तहत अलग-अलग राज्यों से प्रतिदिन रेलगाड़ी के जरिए इन प्रवासियों को उनके नियत स्थान तक भेजने का प्रबंध किया जाएगा.

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सरकार ने दावा किया की तब तक इन लोगों के लिए सूखे राशन या फिर भोजन का भी इंतजाम किया जाएगा. लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम ने इन मजदूरों से बात की तो पता लगा कि ना तो इन लोगों के पास सरकारी वितरण के तहत रोटियां पहुंच रहीं हैं और ना ही कोई सूखा राशन देने वाला अब तक पहुंचा है. इन मजदूरों की बातों से यह स्पष्ट हो चुका है कि सरकार की तरफ से जो दावे किए जा रहे हैं वह या तो सीमित वर्ग तक सिमट कर रह गए हैं या फिर हकीकत कोसों दूर है.

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मजदूर ने खुद अपनी किस्मत लिखने का फैसला करते हुए अपनी जान को जोखिम में डालना तय किया. जिसके तहत जयपुर से रोजाना सैकड़ों मजदूर पैदल चलकर अलग-अलग रास्तों से होते हुए अपनी मंजिल को तय करने में जुटे हुए हैं. जिसके तहत यह लोग अपनी जान जोखिम में डालकर घर तक पहुंचना चाहते हैं.

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