जयपुर. लॉकडाउन के बीच जमीनी हालात का जायजा लेने के लिए राजस्थान की राजधानी जयपुर की सड़कों पर ईटीवी भारत की टीम ने दौरा किया. इस दौरान जेडीए सर्किल से ठीक पहले दुर्लभजी अस्पताल के सामने वाली सड़क पर श्रमिकों का एक समूह नन्हे बच्चों का हाथ थामे हुए रुखसत होता हुआ नजर आया. इनमें से कोई उत्तर प्रदेश जाना चाहता था तो किसी का घर बिहार में था. सब की कोशिश थी की कोरोना महासंक्रमण की महामारी से निपटने के लिए इस लॉकडाउन के बीच जैसे तैसे वे लोग अपने गांव पहुंच जाए.
इस बीच इन श्रमिकों को ना तो चढ़ते तापमान की परवाह थी और ना ही सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलने का रंज और गम. इन लोगों के मुताबिक शुरुआती तौर पर उन्होंने यह प्रयास जरूर किया था की किसी तरह से सरकार की तरफ से मिलने वाली सुविधाओं के तहत उन्हें रोजी रोटी मिल जाए. परंतु जब देखा कि लंबे समय तक काम सुचारू नहीं हो सकता है तो फिर हालात से हार मानकर यह लोग पैदल ही रवाना हो जाते है. इस बीच खबर आती है कि सरकार प्रवासी मजदूरों के लिए उनकी घर वापसी का इंतजाम कर रही है. जिसके तहत अलग-अलग राज्यों से प्रतिदिन रेलगाड़ी के जरिए इन प्रवासियों को उनके नियत स्थान तक भेजने का प्रबंध किया जाएगा.
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सरकार ने दावा किया की तब तक इन लोगों के लिए सूखे राशन या फिर भोजन का भी इंतजाम किया जाएगा. लेकिन जब ईटीवी भारत की टीम ने इन मजदूरों से बात की तो पता लगा कि ना तो इन लोगों के पास सरकारी वितरण के तहत रोटियां पहुंच रहीं हैं और ना ही कोई सूखा राशन देने वाला अब तक पहुंचा है. इन मजदूरों की बातों से यह स्पष्ट हो चुका है कि सरकार की तरफ से जो दावे किए जा रहे हैं वह या तो सीमित वर्ग तक सिमट कर रह गए हैं या फिर हकीकत कोसों दूर है.
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मजदूर ने खुद अपनी किस्मत लिखने का फैसला करते हुए अपनी जान को जोखिम में डालना तय किया. जिसके तहत जयपुर से रोजाना सैकड़ों मजदूर पैदल चलकर अलग-अलग रास्तों से होते हुए अपनी मंजिल को तय करने में जुटे हुए हैं. जिसके तहत यह लोग अपनी जान जोखिम में डालकर घर तक पहुंचना चाहते हैं.